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अनंत चतुदर्शी 2021


Saturday, 20 March 2021
अनंत चतुदर्शी 2021

अनंत चतुदर्शी 2021: जानिए व्रत की पूजन विधि

अनंत चतुदर्शी पर भगवान विष्णु जी का पूजन किया जाता है। ये चतुदर्शी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष को पड़ती है। हिंदू धर्म में इस दिन का व्रत करके भगवान विष्णु को मनाया जाता है। अनंत चतुर्दशी के दिन ही भगवान गणेश का भी विसर्जन किया जाता है और साथ में ही भगवान विष्णु के अनंत रूप का पूजन करके उनके लिए व्रत रखा जाता है। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से भगवान विष्णु प्रसन्न होकर मनोवांछित फल देते हैं।

अनंत चतुर्दशी 2021: 19 सितंबर, रविवार
चतुर्दशी तिथि शुरू: 06: 00 AM 19  सितंबर
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 5.30 AM 20 सितंबर

क्या है अनंत चतुर्दशी
कहा जाता है कि अनंत चतुर्दशी की शुरुआत महाभारत काल में ही हो गई थी। भगवान विष्णु को ही अनंत कहा जाता है। भगवान विष्णु ने सृष्टि के प्रारंभ में 14 लोकों तल, अतल, वितल, सुतल, तलाताल, रसातल, पताल, भू, भुव:, स्व:, जंतर, सत्य, मह की रचना की थी। इन 14 लोकों की रक्षा करने के लिए भगवान विष्णु 14 में प्रकट हुए। जिसमें भगवान भी अनंत प्रतीत होने लगे इसलिए ही अनंत चतुर्दशी का व्रत किया जाता है।

अनंत चतुर्दशी का महत्व
परमात्मा अनंत है। इसके रूपों की कल्पना भी नहीं की जा सकती और भगवान विष्णु तो तीनों लोकों के स्वामी हैं और भगवान विष्णु को खुश करने के लिए इस चतुर्दशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। इस व्रत को करने से जीवन के दुखों से छुटकारा मिलता है। परिवार में सुख शांति का माहौल रहता है। हर एक बाधा को आने से पहले ही भगवान जिस में डाल देते हैं। इस व्रत को करने से सुख संपदा और संतान आदि की कामना पूरी होती है। जो भी इस व्रत को सच्चे मन से करता है उसे मनोवांछित फल मिलता है। जो भी इस व्रत को हर साल करता है, उसके जीवन में धन-धान्य की कोई कमी नहीं रहती और आर्थिक लाभ मिलता रहता है।

अनंत चतुर्दशी व्रत की विधि

इस व्रत के दिन प्रात काल उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र धारण करें।

पूजा स्थल की साफ-सफाई करके भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करें, आप विष्णु जी का पोस्टर भी लगा सकते हैं।

पूजा स्थान पर मिट्टी का कलश पानी से भरकर रखें।

इसके बाद एक पवित्र लाल रंग के धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र बनाएँ और इसमें पूरी 14 गांठ लगाकर भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने रखें।

भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की दीप, धुप से पूजा अर्चना करें और इसे नीचे दिए गए मंत्र का 11 बार जाप करें।

अनंत संसार महासुमद्रे मंग्र समभ्युद्धर वासुदेव।

अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।

पूजा संपन्न करने के बाद अनंत सूत्र को अपनी बाजु पर बांध लें और ब्राह्मण को भोजन कराकर व्रत को संपन्न करें।

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