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अश्र्विन नवरात्र की विशेष पूजा


Saturday, 20 March 2021
अश्र्विन नवरात्र की विशेष पूजा

अश्र्विन नवरात्र की विशेष पूजा- कल्परम्भ, महासप्तमी, महाअष्टमी, महानवमी

अश्वनी नवरात्र पर मां दुर्गे की नौ दिनों तक पूजा की जाती है लेकिन नवरात्र की विशेष पूजा केवल चार दिनों तक ही होती है। ये पूजा षष्ठी से शुरू होकर नवमी तक चलती है। जिसे क्रमश:  कल्परम्भ, महासप्तमी, महाअष्टमी, महानवमी पूजन कहा गया है। इस पूजा को ज्यादा भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में किया जाता है। आइए जानते हैं कि इन 4 दिनों में मां दुर्गे की किस प्रकार से पूजा की जाती है और इस प्रकार की पूजा करने के पीछे कारण क्या है

कल्परम्भ 2021: 11 अक्टूबर, सोमवार
षष्ठी प्रारम्भ: 2:16 बजे से (11 अक्टूबर)

षष्ठी समाप्त: 23:52 बजे तक (11 अक्टूबर)
12 अक्टूबर नव पत्रिका पूजन, मंगलवार
13 अक्टूबर महा अष्टमी पूजन, बुधवार
14 अक्टूबर महा नवमी पूजन, गुरुवार

कल्परम्भ पूजन
कल्परम्भ यानि काल प्रारंभ की पूजा सबसे पहले भगवान श्रीराम ने की थी। माना जाता है कि भगवान श्रीराम ने रावण का वध करने से पहले मां दुर्गा को नींद से जगाया और उन्हें मनाया इसीलिए ही आज तक भी दशहरा से पहले मां दुर्गे की विशेष पूजा करके उन्हें नींद से जगाया जाता है। जिसे काल प्रारंभ कहते हैं। काल प्रारंभ की पूजा सुबह जल्दी की जाती है। इस दौरान कलश में जल भरकर बिल्व के पेड़ के नीचे रखा जाता है और इसे मां देवी दुर्गा को समर्पित किया जाता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन मां दुर्गा पृथ्वी पर आई थी और उन्हें समय से पहले नींद से जगा गया था इसलिए कल्परम्भ को अकाल बोधन भी कहते हैं। कल्परम्भ की पूजा अश्र्विन नवरात्र के षष्ठी को की जाती है। जिसके बाद तीन दिन तक लगातार मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है। इन तीनों दिनों मां दुर्गा को अलग-अलग तरीके से मनाया जाता है।

नवपत्रिका पूजन

नवपत्रिका पूजन महासप्तमी को किया जाता है। नवपत्रिका पूजा में 9 पौधों की पत्तियों को मिलाकर बनाए गए गुच्छे की पूजा की जाती है। इन पत्तियों को मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का प्रतीक माना जाता है। लोग बड़े ही विश्वास और आस्था के साथ नवपत्रिका पूजन करते हैं। नवपत्रिका पूजन ज्यादातर पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, झारखंड, असम, त्रिपुरा और मणिपुर में की जाती है।

महाअष्टमी पूजन

महाअष्टमी का दिन दुर्गा पूजन का मुख्य दिन माना जाता है। महाअष्टमी के दिन भी मां दुर्गा का विधिवत पूजन करके लोग व्रत रखते हैं लेकिन बहुत से लोग इस दिन कन्याओं का पूजन करके उन्हें भोजन खिलाते हैं और कन्याओं को मां दुर्गा मनाकर उनका आदर सत्कार करते हैं। उन्हें सुंदर वस्त्र पहनातें हैं और पैर छूकर उनका आर्शिवाद लेते हैं।

महानवमी पूजन

महानवमी पूजन कल्परम्भ का तीसरा और अंतिम दिन होता है। इस दिन मां दुर्गा की कन्या रूप में विशेष पूजा की जाती है। कन्या को भोजन कराकर नवरात्र का व्रत पूरा करते हैं। इसी दिन महास्नान के साथ-साथ षोडशोपचार पूजा का भी विधान किया जाता है।

इस तरह से 3 दिन तक कल्परम्भ की पूजा की जाती है औ दशहरे के दिन मां दुर्गा का विसर्जन किया जाता है।

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