प्रीमियम ज्योतिषियों से बात करें
अभी कॉल करे

बैद्यनाथ धाम


Friday, 19 March 2021
बैद्यनाथ धाम

जानिए, पंचशूल विस्थापित बाबा बैद्यनाथ की महिमा

बैद्यनाथ धाम
बैद्यनाथ धाम झारखंड के देवघर में स्थित है। ये वो पवित्र स्थान है जो 12 ज्योतिर्लिंग में शामिल है। कहा जाता है कि देवघर में माता सती का हृदय गिरा था इसलिए हृद्य की रक्षा के लिए भगवान शिव ने बाबा भैरव को निर्देश दिए। भैरवनाथ ही बैद्यनाथ के नाम से यहां पर विराजमान हैं। इस मंदिर  की एक पौराणिक कथा है। आइए जानते हैं

बैद्यनाथ मंदिर की पौराणिक कथा
पुरानी कथा के अनुसार कहा जाता है कि शिव को प्रसन्न करने के लिए एक बार राक्षसों का राजा रावण ने हिमालय में पहुंचकर घोर तपस्या की। रावण ने इतनी कठिन तपस्या की थी कि उसने भगवान शिव को अपने 9 सिर चढ़ा दिए थे। जब वो दसवां सिर काटकर चढ़ाने वाला था तभी भगवान शिव प्रकट हुए और उन्होंने कहा कि मैं तुम्हारी घोर तपस्या से प्रसन्न हूं अब तुम जो चाहो वह मांग सकते हो।
रावण ने वरदान ने मांगा कि भगवान शिव मैं आपकी हिमालय पर स्थित शिवलिंग को लंका ले जाना चाहता हूं। तब शिव ने इजाजत तो दे दी साथ ही एक चेतावनी भी दी कि इस शिवलिंग को यदि तुमने कहीं भी रास्ते में रख दिया तो ये वहीं पर ही विस्थापित हो जाएगी और उसे तुम चाह कर भी उठा नहीं पाओगे। तब रावण शिवलिंग लेकर लंका की तरफ चल पड़ा और रास्ते में रावण को लघुशंका के लिए जाना था। रावण ने शिवलिंग को एक ग्वाले के हाथ में दे दिया। शिवलिंग के वजनदार होने के कारण ग्वाले ने उसे धरती पर रख दिया और वह वहीं पर स्थापित हो जब रावण वापस लौटा तो उसने देखा कि शिवलिंग तो विस्थापित हो चुकी हैं। उसने बहुत कोशिश की शिवलिंग को उठाने की लेकिन फिर उसे भगवान शंकर की कही हुई बात याद आई गई। जिसके रावण हाथ जोड़कर और शिवलिंग पर अंगूठा गाडकर लंका चला गया। भगवान की चमत्कारी शिवलिंग की पूजा आराधना करने के लिए देवता यहां पर आएं। सभी ने जलाभिषेक कर भगवान शिव को प्रणाम किया तब से इस शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा चलती आ रही है। जो भी यहां पर सावन मास में कांवर लाकर जल चढ़ाता है उसे शिव के साथ-साथ अन्य देवताओं का भी आशीर्वाद मिलता है।

 

कैसे पड़ा बैद्यनाथ नाम

जब रावण शिवलिंग को रखकर लंका चला गया था तब देवताओं ने उस शिवलिंग का नाम बैद्यनाथ रख दिया। एक मान्यता के अनुसार ये भी कहा जाता है कि बैजू नाम के एक भक्त ने भगवान शिव की सच्ची अराधना की और उस भगवान शिव ने उसकी भक्ति से खुश होकर अपना बैजू भी रख लिया इसलिए इस शिवलिंग को बैजनाथ कहने लगे तो बाद में बैद्यनाथ के नाम से प्रसिद्ध हुई।

 

बैद्यनाथ मंदिर का सावन मेला

यहां सावन में मेले का आयोजन किया जाता है और जल अभिषेक के लिए यहां पर भारी संख्या में भक्तों का तांता लगता है। पूरे माह तक बम भोले के जयकारों से मंदिर गूंज उठता है। सावन में मंदिर में भक्त 105 किलोमीटर पैदल चलकर सुलतानगंज गंगा घाट से जल लेकर बैद्यनाथ धाम पहुंचते है और बाबा बैद्यनाथ को जल चढ़ाकर मनवांछित फल पाते हैं।

पंचशूल की महिमा

आज तक आपने विश्व के सभी मंदिरों के शिखर पर केवल त्रिशूल लगा ही देखा होगा। मगर वैद्यनाथ धाम के मंदिर में पंचशूल लगा है। यहां पर बैद्यनाथ मंदिर के अलावा 21 और मंदिर हैं। जिनके पार्वती, विष्णु और लक्ष्मी जी का मंदिर भी शामिल है। इस मंदिर के पंचशूल को शिवरात्री से पहले उतारा जाता है और पंचशूल को स्पर्श करने के लिए भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। पंचशूल की पूजा करके दोबारा मंदिर के शीर्ष पर विस्थापित कर दिया जाता है।

लेख श्रेणियाँ

Banner1
Banner1

ज्योतिष सेवाएँ आपकी चिंताएँ यहीं समाप्त होती हैं
अब विशेषज्ञों से बात करे @ +91 9899 900 296

Astro Only Logo

ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।

PayTM PayU Paypal
whatsapp