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बुधवार व्रत


Thursday, 18 March 2021
बुधवार व्रत

बुधवार व्रत की विधि, महत्व और कथा

 

बुधवार का व्रत बहुत ही फलदाई होता है। मनुष्य अपने बुध ग्रह को शांत करने के लिए इस दिन का व्रत रखता है। वैसे बुधवार का व्रत ज्यादातर वही लोग रखते हैं जिन जो भगवान गणेश में आस्था रखते हैं। इस दिन भगवान गणेश की पूजा अर्चना की जाती है। पुराणों में माना जाता है कि बुधवार का व्रत रखने से भगवान गणेश के आशीर्वाद से मनुष्य के सभी संकट दूर हो जाते हैं और खुशियों का प्रवेश होता है।

 

बुधवार व्रत की विधि

बुधवार के व्रत को बहुत ही सावधानी के साथ रखना होता है। जीवन के संकट दूर करने के लिए बुधवार का व्रत पूरे विधि विधान के साथ रखना महत्वपूर्ण है। यह विधि है-

चरण- 1  अगर कोई पहली बार बुधवार का व्रत रखना चाहता है तो विशाखा नक्षत्र के बुधवार से प्रारंभ करें।

चरण- 2  भगवान गणेश और नौ ग्रहों की पूजा बुधवार के व्रत के शुरू करने से पहले करना चाहिए।

चरण- 3  बुधवार की सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करना चाहिए।

चरण- 4  व्रत्र के संकल्प के बाद पूरे दिन हरे रंग की माला या हरे रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए। 

चरण- 5  गणेश भगवान, भगवान बुध या शंकर भगवान में से किसी की भी पूजा की जा सकती है।

चरण- 6  दिन में किसी भी प्रकार का भोजन नहीं करना चाहिए। फलाहार कि सेवन किया जा सकता है।

चरण- 7  सूर्यास्त की आरती के बाद बिना नमक का भोजन ग्रहण किया जा सकता है। दही मूंग दाल का हलवा या हरी वस्तु से बनी चीजों का सेवन किया जा सकता है।

 

बुधवार व्रत का महत्व

भगवान गणेश को समर्पित बुधवार के व्रत का अपना विशेष महत्व है। इस दिन व्रत रखने से धन संचय की योजना सफल होती है। व्यर्थ का धन बर्बाद होने से बचता है। जो लोग अच्छा कमाते हैं धन संचय करने में सफल होते हैं। उन्हें बुधवार का व्रत अवश्य ही रखना चाहिए। कई लोग परिवार के क्लेश हो को दूर करने के लिए तथा परिवार में खुशनुमा माहौल बनाने के लिए बुधवार का व्रत रखते हैं।

 

बुधवार के दिन क्या करें

इस दिन उनका त्याग करना चाहिए। सिर्फ दिन में एक बार ही भोजन ग्रहण करना चाहिए।

व्रत में साधारण नमक की जगह सेंधा नमक का उपयोग करना अनिवार्य है।

दही और आलू का सेवन किया जा सकता है।

कुट्टू के आटे बनाई गई चीजों का उपयोग किया जा सकता है।

सोंठ की चटनी व्रत में उपयोग कर सकते हैं।

बुधवार का व्रत कृष्ण पक्ष के बुधवार में नहीं रखना चाहिए।

 

बुधवार के व्रत की कथा

बुधवार के दिन किसी भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है। प्राचीन समय में एक साहूकार बुधवार के दिन अपनी पत्नी को घर ले जाने के लिए हठ करने लगा। सभी के समझाने के बावजूद भी जब वह नहीं माना तो लोगों ने उसे पत्नी की विदाई कराने की इजाजत दे दी। रास्ते में उसकी पत्नी को जब प्यास लगी तो वह पानी लेने के लिए नजदीक नदी पर चला गया। पानी लेकर वापस लौटने पर उसकी पत्नि के साथ उसी की शक्ल का एक दूसरा व्यक्ति खड़ा दिखाई दिया, जो उसकी पत्नी को अपनी पत्नी बता रहा था। साहूकार की पत्नी भी एक ही शक्ल के दो व्यक्ति को देखकर परेशान हो गई और निर्णय नहीं कर पा रही थी कि असली में उसका पति कौन है। साहूकार और उसके हमशक्ल आपस में लड़ने लगे। अंत में साहूकार को समझ आ गया कि यह उसके हठ का परिणाम है। साहूकार ने तुरंत ईश्वर से अपनी गलती की क्षमा मांगी और ईश्वर से प्रार्थना की कि इस मुसीबत से उसको बचा ले। हमशक्ल के रुप में खुद बुधदेव मौजूद थे। तब हम शक्ल के रूप में मौजूद भगवान बुध देव साक्षात उपस्थित हुए और उन्होंने उसे बुधवार के व्रत के बारे में बताया।

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