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दक्षिणेश्वर काली, मंदिर


Friday, 19 March 2021
दक्षिणेश्वर काली, मंदिर

दक्षिणेश्वर काली, मंदिर

माता दुर्गा ने देवताओं के उद्धार के लिए काली का अवतार लिया और राक्षकों को नष्ट किया। मां काली का अवतार मां दुर्गा का वो रूप है जो बेहद शक्तिशाली है और जो दुष्टों का नाश करता है। भारत में माता काली के पूजन के लिए हजारों मंदिर बने हैं। जो बड़े ही शक्तिशाली हैं। आज हम आपको उन्हीं मंदिरों में से एक माता काली के चमत्कारी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जो कोलकाता में हुगली नदी के किनारे स्थित है। ये मंदिर दक्षिणेश्वर काली मंदिर के नाम से विख्यात है।  इस मंदिर में स्थित मां काली के रूप को देवी भवतारिणी भी कहा जाता है। माना जाता है कि ये कोलकाता के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। वैसे तो पूरे देश में मां काली की पूजा की जाती है मगर कोलकाता में देवी के रूप को सबसे बड़े पैमाने पर पूजा जाता है। यहां पर नवरात्रों में अलग ही धूमधाम मची रहती है। आइए जानते हैं मां काली के दक्षिणेश्वर मंदिर के बारे में

दक्षिणेश्वर काली मंदिर का निर्माण

मां काली के इस मंदिर क निर्माण के बारे में बताया जाता है कि इसका निर्माण कार्य 1847 में शुरू हुआ था। जिसे जान बाजार की जमींदार रानी रासमणि ने बनाया था। कहा जाता है कि रानी रासमणि के सपने में मां काली ने दर्शन दिए और कहा कि उनके नाम से एक मंदिर बनाया जाए। तब रानी ने मां की बात मनाते हुए बड़े ही चाव के साथ दक्षिणेश्वर मंदिर का निर्माण कराया। मंदिर सन् 1855 में बनकर तैयार हुआ। क्षेत्रफल की दृष्टि से ये मंदिर 25 एकड़ में फैला हुआ है। जो काफी भव्य बना है।

मंदिर की संरचना

इस मंदिर की सुंदरता पूरे भारत में प्रसिद्ध है। ये देवी काली को बहुत ही प्रिय है। मंदिर के भीतरी भाग में चांदी के कमल के फूल पर मां काली शस्त्रों समेत भगवान शिव के ऊपर विराजमान है। ये माता काली का रूप है जब माता बहुत ही क्रोधित थी उन्होंने सारी दृष्टि का नाश करने की मन में ठान ली थी। उस समय शंकर भगवान ने माता के सामने आकर लेट गए और माता का पैर भगवान की छाती पर ऱखा गया, तब ही देवी काली का क्रोध शांत हुआ और पति के ऊपर पैर रखा देखते ही माता की जीभ बाहर निकल गई। ये मंदिर 46 फुट चौड़ा और 100 ऊंचा है। मंदिर तीन मंजिला है। मंदिर में 12 गुबंद बने है। दो मंजिलों पर 9 गुबंद समान रूप से फैले हुए है। जिनकी छत बेहद आकर्षित है। मां काली का मंदिर विशाल इमारत के रूप में चबूतरे पर स्थित है। जिसमें सीढ़ियों के माध्यम से जा सकते हैं। 

मंदिर का आर्कषण स्थल

दक्षिणेश्वर काली मंदिर के पास बहने वाली हुगली नदी मंदिर की खूबसूरती में चार चांद लगाने का काम करती है। चारों तरफ हरियाली ही हरियाली फैली रहती है। मंदिर की तरह मंदिर के चारों ओर का नजारा भी बेहद आकर्षण है। यहां पर प्रसिद्ध विचारक रामकृष्ण परमहंस ने मां काली की सालों तक पूजा की। माना जाता है कि वो माता के परम भक्त थे और उन्हें माता काली ने साक्षात दर्शन भी दिए थे। रामकृष्ण परमहंस ने यहां लोगों को धर्म और एकता का पाठ पढ़ाया था। मंदिर में परमहंस जी का एक कक्ष भी बना हुआ है। जो लोगों के लिए हमेशा खुला होता है।

दक्षिणेश्वर मंदिर की महिमा निराली है। यहां दर्शन के लिए लाखों की संख्या में भक्त आते हैं और मनवांछित फल पाते हैं।  

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