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द्वारकाधीश मंदिर


Thursday, 18 March 2021
द्वारकाधीश मंदिर

द्वारकाधीश मंदिर

 

द्वारकाधीश मंदिर श्री कृष्ण को समर्पित है. द्वारका गुजरात में स्थित है और श्री द्वारकाधीश मंदिर गोमति नदी के तट पर स्थित है. द्वारका को श्री कृष्ण भगवान की नगरी कहा जाता है. द्वापर युग में द्वारका श्री कृष्ण भगवान की राजधानी थी और कलयुग में भक्तों के लिए पवित्र तीर्थ स्थान है. द्वारकाधीश मंदिर अद्भुत और सुंदर बना हुआ है. मंदिर के पास प्राकृतिक का अलग ही नजारा है. द्वारकाधीश भगवान विष्णु का 108 वां मंदिर माना गया है. द्वारकाधीश मंदिर चार धाम रामेश्वर, बद्रीनाथ, द्वारका और जगन्नाथपुरी में शामिल है. इस मंदिर से जुड़ी खास बातें हम आपको बताने जा रहे हैं

 

मंदिर का इतिहास

हिंदू कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि द्वारका का निर्माण श्री कृष्ण ने भूमि के टुकड़े पर किया था. जो समुंदर से मिला था. द्वारकाधीश मंदिर का निर्माण भगवान श्री कृष्ण के पोते व्रजनाभ ने किया था. माना जाता है कि यह मंदिर 2000-2500 साल पुराना है. मंदिर का वर्तमान स्वरूप 16वीं शताब्दी में बनाया गया है. द्वारकाधीश के मुख्य मंदिर से थोड़ी दूर पर रुक्मणी जी का मंदिर है. इतिहास में बाकी मंदिरों की तरह द्वारिकाधीश मंदिर पर भी आक्रमणकारियों ने आक्रमण करने का प्रयास किया और मंदिर का खजाना लूट कर मूर्तियां भी तोड़ डाली थी. जिसके बाद हिंदुओं ने मिलकर मंदिर का निर्माण किया और बड़े उत्साह के साथ द्वारकाधीश की पूजा अर्चना शुरू की गई. द्वारका नगरी भगवान श्री कृष्ण को मथुरा के जैसे ही प्रिय है क्योंकि भगवान श्री कृष्ण ने छोड़ने के बाद द्वारका बसाई थी.

 

 

 

द्वारका का रुक्मणी मंदिर

 

ऋषि दुर्वासा एक बार श्री कृष्ण और उनकी पत्नी रुक्मणी से मिलने गए तब ऋषि ने श्री कृष्ण से प्रार्थना की कि उन्हें अपनी महल ले जाए तब श्री कृष्ण जी ऋषि दुर्वासा और रुक्मणी के साथ अपने महल में जाने लगे लेकिन रुकमणी रास्ते में ही थक गई और उन्होंने श्री कृष्ण भगवान से कुछ पानी मांगा. भगवान श्री कृष्ण ने एक छेद बनाकर नदी को निकाल दिया. जिससे ऋषि दुर्वासा गुस्से में हो गए और उन्होंने रुक्मणी को उसी जगह रहने का शाप दे दिया. वहीं पर रुक्मणी का मंदिर बनाया गया. माना जाता है कि जो रुकमणी का मंदिर द्वारिकाधीश में है वो वही मूल मंदिर है जिस स्थान पर दुर्वासा ने रुकमणी को शाप दिया था.

 

द्वारकाधीश मंदिर की संरचना

द्वारकाधीश मंदिर बड़ा ही सुंदर और विचित्र मंदिर है. इसके चारों तरफ की सुंदरता कही नहीं जा सकती. यह मंदिर एक परकोटे से घिरा हुआ है. जिसमें चारों ओर एक द्वार है. माना जाता है कि उत्तर दिशा में स्थित मोक्ष द्वार तथा दक्षिणी स्थित में स्वर्गद्वार प्रमुख है. द्वारकाधीश मंदिर के गर्भ गृह में चांदी के सिंहासन पर भगवान श्री कृष्ण की श्यामवर्णी चतुर्भुजी है. जिन्हें द्वारकाधीश के साथ-साथ रणछोड़ जी भी कहा जाता है. इस प्रतिमा में भगवान श्री कृष्ण के हाथों में शंख चक्र गदा है. यह भगवान कृष्ण का पूर्ण रूप है. द्वारकाधीश का मंदिर पांच मंजिला है और मंदिर का शिखर 235 मीटर ऊंचा है. शिखर पर  करीब 84 फुट लंबी अनेक रंगों की ध्वजा लहराती है.

 

चक्रतीर्थ घाट

द्वारकाधीश मंदिर के दक्षिण में गोमती धारा पर चक्रतीर्थ घाट स्थित है. उससे कुछ ही दूरी पर अरब सागर है. जहां पर समुंद्रनारायण मंदिर स्थित है. पास में ही पंचतीर्थ है जहां पांच कुओं से जल से स्नान करने की परंपरा है.

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