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माँ कूष्माण्डा - नवरात्र का चौथा दिन माँ दुर्गा के कूष्माण्डा स्वरूप की पूजा विधि


Thursday, 07 October 2021
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Navratri 2021 Day 4  : मां कूष्माण्डा नवरात्र का चौथा दिन मां दुर्गा के चौथे स्वरूप कूष्माण्डा स्वरूप की पूजा

 

पंडित जी का कहना है कि नवरात्रि पूजन के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी के स्वरूप की उपासना पूजा की जाती है। जब सृष्टि का निर्माण हुआ था उस समय अंधकार का साम्राज्य था तब माता कूष्माण्डा देवी द्वारा ब्रह्मांड का जन्म हुआ। इसलिए माता देवी को कूष्माण्डा के रूप में जाना जाता है। इस देवी का निवास स्थान ब्रह्मांड के मध्य में है। और कूष्माण्डा माता सूर्य मंडल को अपने शक्तिओ से नियंत्रण में रखती है।  

 

माता देवी कूष्माण्डा कि आठ भुजाए बताई जाती हैं।  इसलिए माता को अष्टभुजा माता के नाम से भी जाना जाता है।  माँ अपने इन्हीं हाथों में क्रमश: कमण्डलु, धनुष, बाण, कमल का फूल, अमृत से भरा कलश, चक्र और गदा व माला लि हुई  है। माता की वर मुद्रा भक्तों को सभी प्रकार की रिद्धि सिद्धि प्रदान करने वाली होती है। माता देवी कूष्माण्डा सिंह की सवारी करती है। जो भक्त माता की सच्चे मन से प्रार्थना करते है तो माता देवी कूष्माण्डा अपने भक्तो का समस्त प्रकार के रोग ,शोक, संताप का अंत होता हैं । तथा भक्तों को दीर्घायु और यश की भी प्राप्ति होती है।  

 

नवरात्रि के चौथे दिन देवी कूष्माण्डा की आराधना मंत्र जाप

 

माँ कूष्माण्डा की भक्ति और आशीर्वाद पाने के लिए इस मंत्र का जाप करना चाहिए। 

या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

 

अर्थ : माँ  सर्वत्र विराजमान है और माँ कूष्माण्डा के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है अर्थात मैं आपको बारंबार प्रणाम करता हूँ। हे माँ, मुझे सब पापों से मुक्ति प्रदान करें।

 

माँ दुर्गा के कूष्माण्डा स्वरूप की पूजा विधि

 

पंडित जी की मानें तो नवरात्रि के चौथे दिन सर्वप्रथम कलश और उसमें उपस्थित देवी देवताओं की पूजा करनी चाहिए उसके बाद माता के साथ अन्य देवी देवताओं की पूजा भी करनी चाहिए इन सभी पूजा के बाद देवी कूष्माण्डा की पूजा करनी चाहिए।

 सबसे पहले आप स्नान आदि करके निवृत्त हो जाए। 

इसके बाद माता  कूष्माण्डा का ध्यान करें और उनको गंध, अक्षत्, लाल पुष्प, सफेद कुम्हड़ा, फल, सूखे मेवे   अर्पित करें।  इसके बाद माता कुष्मांडा को हल्दी और दही का भोग लगाएं।  इस प्रसाद को आप बाद में ग्रहण भी कर सकते हैं। अब मां का अधिक से अधिक ध्यान लगाए और अंत में माता की पूजा आरती करें। 

 

देवी कूष्मांडा मंत्र- 

 

या देवी सर्वभू‍तेषु मां कूष्‍मांडा रूपेण संस्थिता.

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:

 

मां कुष्मांडा की आरती | Maa Kushmanda Aarti

 

कुष्मांडा जय जग सुखदानी।

मुझ पर दया करो महारानी।।

पिंगला ज्वालामुखी निराली।

शाकंबरी मां भोली भाली।।

लाखों नाम निराले तेरे।

भक्त कई मतवाले तेरे।।

भीमा पर्वत पर है डेरा।

स्वीकारो प्रणाम ये मेरा।।

सबकी सुनती हो जगदंबे।

सुख पहुंचाती हो मां अंबे।।

तेरे दर्शन का मैं प्यासा।

पूर्ण कर दो मेरी आशा।।

मां के मन में ममता भारी।

क्यों ना सुनेगी अरज हमारी।।

तेरे दर पर किया है डेरा।

दूर करो मां संकट मेरा।।

मेरे कारज पूरे कर दो।

मेरे तुम भंडारे भर दो।।

तेरा दास तुझे ही ध्याए।

भक्त तेरे दर शीश झुकाए।।

 

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