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गणेश विसर्जन 2021


Saturday, 20 March 2021
गणेश विसर्जन 2021

गणेश विसर्जन 2021


भाद्रपद की शुक्ल पक्ष में अनंत चतुर्दशी को भगवान गणेश का विसर्जन किया जाता है। गणेश चतुर्थी से 10 दिन तक लोग भगवान गणेश की विधिवत पूजा अर्चना करते हैं। उनका व्रत रखते हैं और हर रोज जागरण कीर्तन करते हैं। भगवान गणेश की संध्या आरती भी की जाती है। उसके बाद अनंत चतुर्दशी पर भगवान गणेश जी की मूर्ति को जल में प्रवाहित कर दिया जाता है। जिसे गणेश विसर्जन कहते हैं। इस दिन लोग बड़े उत्साह के साथ मिलजुल कर भगवान गणेश की जय जयकार करते हुए पास की नदी आदि में जाते हैं और उनका विसर्जन कर देते हैं।

गणेश विसर्जन 2021: 19 सितंबर, रविवार
चतुर्दशी तिथि प्रारंभ: 5: 59AM 19 सितंबर से
चतुर्दशी तिथि समाप्त: 05: 28 PM 20 सितंबर तक

महाराष्ट्र में गणेश विसर्जन बड़ी उत्सव धूमधाम के साथ किया जाता है। लोग गाते बजाते जाते हैं और रंगों से होली भी खेलते हैं। अपनी श्रद्धा के अनुसार गणेश महोत्सव के दौरान 1 दिन, 3 दिन, 5 दिन, 7 दिन या 11 दिन तक पूजा करके विसर्जन कर सकते हैं।

गणपति विसर्जन का महत्व
जब गणपति स्थापना की जाती है तो माना जाता है कि भगवान गणेश को कैलाश से अपने घर लाया जा रहा है और 10 दिन बाद गणेश विसर्जन करके गणेश जी को दोबारा से भगवान शिव और पार्वती के पास कैलाश पर्वत पर वापस भेजा जाता है। गणेश विसर्जन पर भक्तों में सच्ची आध्यात्मिक शक्ति दिखाई देती है। जगह-जगह से लोग भगवान को विदा करने के लिए लोग आते हैं। लोग उत्सव में डूबे रहते हैं। भगवान की विदाई के लिए आंखें नम हो जाती हैं। इस दौरान 10 दिन तक जो भगवान गणेश घर पर रहते हैं तो लगता है कि परिवार में एक और सदस्य आ गया है। लेकिन जब विसर्जन करने वाला दिन आता है तो लोग बड़े ही उदास से हो जाते हैं क्योंकि भगवान गणेश को वापस उनके घर भेजना पड़ता है। ऐसा भक्ति और प्यार केवल हिंदू धर्म में देखने को मिलता है। हिंदू धर्म के लोग बड़ी श्रद्धा, लगन के साथ इस पर्व को मनाते हैं और भगवान गणेश उनकी हर एक मनोकामना को पूर्ण करते हैं।

गणेश विसर्जन कैसे करें
इस दिन सुबह सुबह स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें।
सुबह को भगवान गणेश गणेश को फूल मालाओं से सजाएं और पूजा के स्थान पर स्वास्तिक चिन्ह बनाएं।
भगवान गणेश की चालीसा का पाठ और मंत्रों का जाप करें।
विधिवत पूजन करने के बाद आरती करें।
गणेश की मनपसंद मोदक, मोतीचूर लडडू, दुर्वा आदि का का उन्हें भोग लगाएं।
भोग में 21 दुर्वा चढ़ाएं और 21 लड्डुओं का भोग लगाएं। जिनमें से पांच लड्डू मूर्ति के पास चढ़ाएं और पांच ब्राह्मणों को प्रदान करने के बाद शेष लालू प्रसाद के रूप में भक्तों को बांट दें।
उसके बाद भगवान गणेश की मूर्ति को उठाएं और जहां पर मूर्ति को विसर्जित करना है वहां तक यात्रा निकालते हुए जाएं। इस दौरान ‘गणपति बाबा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आ’ का जयकारा लगाना होता है।
भगवान गणेश की मूर्ति को विसर्जित करते समय इस मंत्र को बोलें...
यान्तु देवगणा: सर्वे पूजामादाय मामकीम्। इष्टकामसमृद्धयर्थं पुनर्अपि पुनरागमनाय च।।

गणेश विसर्जन मंत्र
ओम गनाधिपाए नमः
ओम उमापुत्राए नमः
ओम विघ्ननाशक नमः
ओम एकादन्ताय नम:
ओम कुमारगुरवे नमः

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