गणेश महोत्सव 2021
भगवान गणेश की महिमा अपरंपार है, वह विघ्नहर्ता, विनायक और प्रथम पूजनीय है। भगवान गणेश को भारत के लगभग सभी राज्यों में पूजा जाता है लेकिन सबसे ज्यादा गणेश जी की पूजा महाराष्ट में की जाती है। यहां पर गणेश महोत्सव बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस साल गणेश महोत्सव कब है और गणेश महोत्सव को कैसे बनाया जाता है।
गणेश महोत्सव 2021: 10 सितंबर, शुक्रवार
गणेश पूजन का मुहूर्त: 11: 03 से 13: 32 तक
गणेश महोत्सव के दिन लोग अपने घर में गणपति की माटी के मूर्ति लाकर उसका 10 दिन तक पूजन करते हैं। श्री गणेश जी का सुबह-शाम विधिवत पूजन किया जाता है। गणेश महोत्सव पर जगह-जगह पर पंडाल बनाए जाते हैं। जिसमें बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ श्री गणेश जी की लोग एक साथ मिलकर पूजा अर्चना करते हैं। गणेश महोत्सव भादो मास के शुक्ल पक्ष में चतुर्थी के दिन से शुरू होता है और अनंत चतुर्दशी पर गणेश जी का विसर्जन किया जाता है। 10 दिन तक लोग बड़ी श्रद्धा के साथ गणपति की सेवा करते हैं और उनके लिए व्रत रखते हैं।
गणेश महोत्सव व्रत पूजा विधि
सबसे पहले गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की मूर्ति को बाजार से लाया जाता है। कुछ लोग घर पर भी मूर्ति बनाते हैं। मूर्ति को विराजमान करने के लिए पूजा घर में ईशान कोण में चाक पूरा जाता हैं यानी रंगोली डाली जाती है।
उसके बाद रंगोली के ऊपर ही एक चौकी रखकर उसपर लाल या पीला कपड़ा बिछाते हैं और केले के पत्ते पर मूर्ति की स्थापना की जाती है।
उसके बाद भगवान गणेश के पास में एक स्वच्छ जल का कलश भर कर रख दिया जाता है और कलश के ऊपर एक नारियल रखते हैं। साथ ही कलश पर रोली या मौली भी बांधी जाती है।
पूरे 10 दिन तक यह कलश ऐसे ही रखा रहता है और विसर्जन के समय कलश का जल सिला कर नारियल को भक्तों में बांट दिया जाता है।
कलश स्थापना के बाद भगवान गणेश के सामने एक पान और सुपारी रखी जाती है और फिर भगवान गणेश को कुमकुम का टीका लगाया जाता है।
उसके बाद भगवान गणेश पर चावल, पुष्प, दुर्वा चढ़ाई जाती है।
फिर परिवार के साथ भगवान गणेश का पूजन करें और गणेश अथर्वशीर्ष का पाठ करें।
विधिवत पूजन करने के बाद भगवान गणेश की आरती करें।
आरती के बाद भगवान गणेश को मोदक का भोग लगाया जाता है क्योंकि भगवान गणेश को मोदक बहुत अधिक प्रिय है।
गणपति को मोदक, मोतीचूर के लड्डू, नारियल चावल, श्रीखंड, केले का शीरा, रवा पोंगल, शुद्ध घी के साथ गुड़, शमी के पत्ते और दुर्वा का क्रमश: 10 दिनों तक भोग लगाया जाता है।
जो लोग गणेश महोत्सव पर व्रत रखते हैं, उन्हें हर रोज विधिवत पूजन करना चाहिए और शाम को भी गणेश जी की आरती और उन्हें मोदक का भोग लगाना जरूरी होता है।
गणेश महोत्सव का महत्व
जो भी गणेश चतुर्थी से गणेश चतुदर्शी तक भगवान गणेश का विधिवत पूजन करते हैं। उनकी हर एक मनोकामना पूर्ण होती है। घर में सुख शांति का माहौल रहता है। बुद्धि तेज होती है और व्यवसाय और नौकरी आदि में तरक्की मिलती है।
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