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गणगौर तीज


Wednesday, 17 March 2021
गणगौर तीज

गणगौर तीज हिंदुओं का एक विशेष त्योहार माना जाता है जो हर साल हिन्दू कैलेंडर के चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की तृतीया अर्थात तीज तिथि पर मनाई जाती है, गणगौर तीज को सौभाग्य तीज के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि विवाहित महिलाएँ अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए व्रत रखकर देवी गंगा की पूजा करती हैं। साथ इस विशेष दिन पर अविवाहित लड़कियां भी अपने बेहतर जीवनसाथी के लिए कामनायें करती हैं। इस वर्ष 2021 में गणगौर तीज का व्रत 15 अप्रैल को मंगलवार के दिन रहने वाली है।

क्या है गणगौर तीज व्रत और उसकी पूजा विधि

गणगौर तीज का व्रत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को पड़ता है इसलिए उस दिन सूर्योदय से पहले ही स्नान कर लेनी चाहिए जो श्रद्धालु इस दिन व्रत रखते है उन्हें। इस दिन माता पार्वती की गणगौर माता के रूप में पूजा की जाती है, और पूर्व में लगाए जाने वाले शर्बत को ईसर यानी शिव के रूप में पूजा जाता है। साथ ही जो महिलाएं व्रत रखती है वो सुहाग की सभी सामग्री को माता गणगौर को अर्पित करती है। गणगौर तीज में पूजा में मां को महिलाओं द्वारा सिंदूर चढ़ाया जाना चाहिए और फिर इसके बाद प्रतिदिन उसी सिंदूर से अपनी मांग भरनी चाहिए, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ऐसे करने से वे हमेशा सुहागन रहती है। जबकि जो लड़कियां अविवाहित है वो भी गौरी तीज का व्रत रखकर गौरी माता से अपने अच्छे और सुशील जीवनसाथी की प्रार्थना कर सकते है और उनसे आशीर्वाद प्राप्त करती हैं। गणगौर तीज के व्रत को महिलाएं अपने पति को बिना बताए उपवास रखती हैं।

जानिए गणगौर तीज की कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को, एक बार भगवान शिव जी और माँ पार्वती, नारद मुनि के साथ पृथ्वी पर घूमने आए थे। इस तरह वो पृथ्वी पर चलते हुए किसी एक गाँव में गए। इस तरह उनके आगमन का समाचार सुनकर सभी गाँव वालों ने उनके स्वागत के लिए तैयारियां शुरू कर दी। वहीं एक ओर बड़े घरों से स्वादिष्ट भोजन पकाने की खुशबू आ रही थी। लेकिन इससे पहले कि बड़े घरों की महिलाएं स्वादिष्ट भोजन लेकर वहाँ पहुंचतीं, तब तक गरीब परिवारों की औरतों ने अपनी श्रद्धा के साथ भगवान के पास पहुंच जाती है। इस प्रकार माँ पार्वती उनकी भक्ति को देखते बहुत प्रसन्न हो जाती है और उन पर सुहाग का रस छिड़क देती है।

इस प्रकार जब कुलीन घरों महिलाएं विभिन्न प्रकार की मिठाइयाँ तथा पकवान लेकर पहुंची तो माँ पार्वती के पास उन्हें देने के लिये कुछ भी नहीं बचा था, इस तरह भगवान शिव जी पार्वती जी को कहते है, आपने अपना सारा आशीर्वाद तो उन गरीब महिलाओं को दे दिया अब इन्हें क्या आशीर्वाद देंगी? तो माता पार्वती कहती है कि इनमें से जो भी सच्ची भावना लेकर यहां आयी है उन पर ही इस विशेष सुहागरस के छींटे पड़ेंगे और वह सौभाग्यशालिनी हो जाएगी। इस तरह तब माता पार्वती ने अपने रक्त के कुछ छींटे बिखेर दिये जो सच्ची श्रद्धा से आयी थीं वो सौभाग्यशालिनी बन गयी। किन्तु जो महिलाएं महज अपने लोभ और लालच के लिए आई थी उन्हें निराश मन से खाली हाथ लौटना पड़ा।

इस तरह हर साल सुहागन और कुंवारी लड़कियां माता पार्वती की पूजा करते हुए गणगौर तीज व्रत रखती है।

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