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गंगोत्री धाम, उत्तराखंड


Thursday, 18 March 2021
गंगोत्री धाम, उत्तराखंड

गंगोत्री धाम, उत्तराखंड

 

हमारे जीवन में मां गंगा का विशेष महत्व है. गंगोत्री गंगा  नदी का उद्गम स्थान है.  गंगोत्री भारत के राज्य उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में है. गंगोत्री मंदिर हिंदू धर्म के चार धामों में से एक है. यह चार धाम यात्रा का दूसरा पड़ाव है. गंगोत्री धाम की यात्रा यमुनोत्री धाम के बाद की जाती है. ये एक परम पवित्र तीर्थ स्थान है. जो भारत में ही नहीं विश्व भर में प्रसिद्ध है. इसकी सुंदरता देखने लायक है. हर साल यहां हजारों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। मंदिर के चारों तरफ पहाड़ों, वन और सुंदर घाटियां आकर्षित करने वाली है. गंगोत्री मंदिर भागीरथी नदी के तट पर स्थित है.

 

 

 

मंदिर का इतिहास

गंगोत्री मंदिर का इतिहास 1200 साल पुराना माना जाता है. उस दौरान चार धाम की तीर्थ यात्रा पैदल की जाती थी. इसके बाद साल 1980 में सड़क का निर्माण किया गया. साथ ही उस समय गंगोत्री पर कोई मंदिर नहीं था. मां गंगा के जल की पूजा ही की जाती थी. गंगोत्री धाम के मंदिर का निर्माण गढ़वाल के गुरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने 18वीं सदी में कराया था. जिसके बाद जयपुर के राजा माधो सिंह द्वितीय ने बीसवीं सदी में इस मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाने का काम किया.

 

गंगोत्री  मंदिर

गंगोत्री मंदिर समुद्र तल से 3100 मीटर की ऊंचाई पर ग्रेटर हिमालय रेंज पर स्थित है. गंगोत्री में गंगा का उद्गम स्त्रोत 24 किलोमीटर दूर गंगोत्री ग्लेशियर में 4225 मीटर की ऊंचाई पर होने का अनुमान लगाया जाता है. यहां से 19 किलोमीटर दूर, समुंद्रतल से तकरीबन 3892 मीटर की ऊंचाई पर गौमुख है. जहां पर जाना सबसे ज्यादा कठिन माना जाता है।

यहां पर एक अद्भुत दृश्य यह है कि भागीरथी नदी में  शिवलिंग के रूप में चट्टान स्थित है जो बेहद शोभा देती है। ऐसा लगता है मानो भगवान शिव स्वयं मां गंगा के जल में विराजमान हो।

 

गंगोत्री धाम की पौराणिक कथा

गंगोत्री धाम के बारे में कहा जाता है कि भगवान श्री रामचंद्र के पूर्वज चक्रवर्ती राजा भागीरथ ने यहां पर एक कठिन तपस्या की थी. एक ऐसी तपस्या जिसे करना कोई आसान बात नहीं है. उन्होंने एक पवित्र शिलाखंड पर बैठकर भगवान शंकर का नाम निरंतर जपा और उनकी प्रचंड तपस्या से उन्हें प्रसन्न कर लिया. जब भगवान शंकर ने भागीरथी को प्रसन्न होकर दर्शन दिए तो उन्होंने वरदान मांगा कि शंकर भगवान मां गंगा को पृथ्वी पर प्रवाहित कीजिए. जिसके बाद भगवान शंकर ने भागीरथी की प्रार्थना सुनते हुए मां गंगा का पृथ्वी पर उद्गम किया.

 

 

एक और मान्यता के अनुसार यह भी कहा जाता है कि पांडवों ने महाभारत में मारे गए अपने सभी परिजनों के लिए इसी स्थान पर यज्ञ किया था. पांडवों ने बड़ी श्रद्धा भक्ति और विश्वास के साथ गंगोत्री धाम पर अपने परिजनों की आत्मा की शांति के लिए पाठ किए.

 

 

गंगोत्री धाम की यात्रा का समय

गंगोत्री धाम की यात्रा मई से अक्टूबर के महीने के बीच की जाती है. जिसमें दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु भक्त आते हैं और मन इच्छा फल पाते हैं.

 

यहां पर पहुंचने के लिए आप वायु मार्ग और सड़क मार्ग या रेल मार्ग तीनों मार्गो से जा सकते हैं. देहरादून स्थित जौलीग्रांट निकट हवाई अड्डा है जो उत्तरकाशी मुख्यालय से लगभग 200 किलोमीटर दूर है। गंगोत्री ऋषिकेश से बस, कार, टैक्सी द्वारा भी पहुंचा जा सकता है. इसकी दूरी 259 किलोमीटर है. आप किसी भी साधन से गंगोत्री धाम की यात्रा कर सकते हैं. माना जाता है कि जीवन में एक बार जरूर गंगोत्री धाम की यात्रा करनी चाहिए.

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