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माँ शैलपुत्री - नवरात्र का पहला दिन, माँ दुर्गा के स्वरूप शैलपुत्री की पूजा विधि


Sunday, 11 April 2021
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13 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है और इसी के साथ नवरात्रों का प्रारंभ हो जाएगा। नवरात्रों में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। पहली नवरात्रों के ऊपर शैलपुत्री माता की पूजा की जाती है। नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री की पूजा का आयोजन किया जाता है। शैलपुत्री माता को हिमालय की पुत्री कहा जाता है। इसी वजह से इनको शैलपुत्री बोला गया।

इनकी आराधना करने से सभी तरीके की इच्छाएं पूरी होती हुई नजर आती हैं। मां शैलपुत्री को प्रसन्न करने के लिए ध्यान और मंत्र का विशेष रूप से जाप करना चाहिए। इसके प्रभाव से माता जल्दी प्रसन्न होती हुई नजर आती हैं। 

 

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माँ शैलपुत्री की पूजा विधि

 

पूजा विधि की बात करें तो सबसे पहले मां शैलपुत्री की तस्वीर को स्थापित करना चाहिए। उसके नीचे लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा जरूर बिछा लेना चाहिए। इसके ऊपर शं लिखें और तब इसके ऊपर अपनी मनोकामना पूर्ति का गुटिका रखना चाहिए। तत्पश्चात लाल फूलों से माता की विशेष पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

मंत्र इस प्रकार है ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे, ॐ शैलपुत्री देवी नमः मंत्र के साथ ही हाथ में फूलों को लेकर मनोकामना गुटिका एवं बाकी तस्वीर के ऊपर छोड़ देना चाहिए। इसके बाद प्रसाद अर्पित करें और मां शैलपुत्री के मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करना चाहिए। यह मंत्र है ॐ शं शैलपुत्री देव्यै नमः।

इस मंत्र का जाप 108 बार जप लिया जाए। इसके बाद माता के चरणों में अपनी मनोकामना व्यक्त करनी चाहिए। आरती एवं कीर्तन करना चाहिए। इसके बाद माता को भोग अर्पित करना चाहिए और मां शैलपुत्री के मंत्रों का जाप करना चाहिए। जप कम से कम 108 बार होना चाहिए। 

 

यह ध्यान मंत्र है- मंत्र - ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:। ध्यान मंत्र को करने के बाद स्रोत पाठ का विशेष रूप से जाप करना चाहिए इससे विशेष फल प्राप्त होता है। 

 

स्रोत पाठ

 

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।

धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥

त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।

सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥

चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।

मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥

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