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मंगल की अच्छी और बुरी दशा आपके जीवन में लाती है बड़े बदलाव


Wednesday, 14 April 2021
Mangal in Kundli

मंगल ग्रह को ज्योतिष शास्त्र में युद्ध का देवता बोला गया है। कुंडली के अंदर शुभ और अशुभ दोनों तरह के प्रभाव देते हुए नजर आते हैं। मंगल का प्रभाव हमारे ऊपर इसलिए भी अत्यधिक पड़ता है क्योंकि पृथ्वी के निकटवर्ती ग्रहों में मंगल सबसे करीब है। पृथ्वी से बहुत अधिक समानता के कारण मंगल को पृथ्वी पुत्र भी बोला गया। पाश्चात्य लोग मंगल को युद्ध का देवता बोलते आए। भारतीय ज्योतिष ग्रंथों में मंगल को बल एवं पराक्रम का प्रतीक माना गया। यह साहस, धैर्य तथा आत्मविश्वास देने वाले ग्रह हैं। इसका नाम तो मंगल है पर कुछ परिस्थितियों को छोड़कर मंगल अमंगल कारी ही होते हैं। अपनी कठोरता के लिए प्रसिद्ध मंगल ग्रह स्वभाव से जातक को अभिमानी, वीर, क्रोधातुर, सैनिक स्वभाव, योद्धा बनाते हुए नजर आते हैं।

आज हम मंगल के शुभ और अशुभ योग और कुछ उपाय आपके लिए लेकर आए हैं. आप अपनी कुंडली के अनुसार यह बात जरूर ज्ञात करने की मंगल आपकी कुंडली में किस स्थान पर हैं और किस राशि के साथ बैठे हुए हैं-

 

मंगल का पहला अशुभ योग

कुंडली में मंगल और राहु एक साथ हों तो अंगारक योग बनता है। यह योग व्यक्ति को काफी अधिक परेशान करने का कार्य करता है। राहु के साथ मंगल की स्थिति कभी भी अच्छी नहीं बोली गई। अंगारक योग बड़ी दुर्घटना का कारण बनता है। इसके चलते लोगों को सर्जरी और रक्त से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। अंगारक योग इंसान का स्वभाव बहुत क्रूर और नकारात्मक बना देता है। इस योग की वजह से परिवार के साथ रिश्ते बिगड़ने लगते हैं। 

 

अंगारक योग से बचने के उपाय 

 

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में अंगारक योग बन रहा हो, मंगल की राहु के साथ किसी भी तरीके की युति या दृष्टि संबंध भी बन रहा हो, तो अंगारक योग के बारे में एक बार ज्योतिष गुरु से सलाह जरूर ले लेनी चाहिए। 

यदि आपकी कुंडली में अंगारक योग बन रहा हो तो आपको प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी का व्रत निश्चित रूप से करना चाहिए। 

मंगलवार के दिन हनुमान जी के साथ साथ व्यक्ति शिव के पुत्र कार्तिकेय की पूजा उपासना भी निश्चित रूप से करनी चाहिए कार्तिकेय जी अंगारक योग में राहत देते हुए नजर आते हैं। हनुमान चालीसा का पाठ करना और गरीबों को भोजन कराने से भी इस दोष में राहत प्राप्त होती है।

 

मंगल का दूसरा अशुभ योग

 

अंगारक योग के बाद मंगल का एक और दूसरा अशुभ योग है मंगल दोष। यह इंसान के व्यक्तित्व और रिश्तों को नाजुक बना देता है। कुंडली के पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें स्थान में मंगल हो तो मंगलदोष का योग बनता है। इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति को मांगलिक कहते हैं। मांगलिक दोष की वजह से कुंडली में शादी-विवाह और जातक में गुस्सा बढ़ने लगता है।

 

मंगलदोष के लिए उपाय

 

हनुमान जी को रोज चोला चढ़ाने से मंगल दोष से राहत मिल सकती है।

मंगल दोष से पीड़ित व्यक्ति को जमीन पर ही सोना चाहिए। 

 

मंगल का तीसरा अशुभ योग

 

कुंडली में बैठा हुआ नीचस्थ मंगल तीसरा सबसे अशुभ योग बनाता है। जिनकी कुंडली में यह योग बनता है, उन्हें अजीब परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। अगर कुंडली में यह योग है तो कर्क राशि में मंगल नीच का यानी कमजोर हो जाता है। जिनकी कुंडली में नीचस्थ मंगल योग होता है, उनमें आत्मविश्वास और साहस की कमी होती है। यह योग खून की कमी का भी कारण बनता है।

लेकिन एक बात का विशेष ध्यान रखें कि कभी–कभी कर्क राशि का नीचस्थ मंगल इंसान को डॉक्टर या सर्जन भी बना देता है। लेकिन यह स्थिति कभी कभी आती है। दूसरे ग्रह इस कार्य के लिए मजबूत होने चाहिए। (ज्योतिषाचार्य गुरूजी से बात करने स्थिति एक बार जरूर जान लें) 

(मांगलिक हैं तो आप कुंडली बनवायें और फोन कॉल पर अच्छा बुरा सब समझ लें) 

 

नीचस्थ मंगल के लिए उपाय

 

नीचस्थ मंगल के अशुभ योग से बचने के लिए तांबा पहनना शुभ सकता है।

इस योग में गुड़ और काली मिर्च खाने से विशेष लाभ होगा। 

हनुमान जी की पूजा करना, उपासना करना एवं बिना डरे हनुमान बजरंग बाण का जाप करें। 

 

मंगल का चौथा अशुभ योग 

 

मंगल का एक और अशुभ योग बताया गया है। यह योग सबसे अधिक खतरनाक बोला जाता है, इसे अग्नि योग कहते हैं। यह लोगों की जिंदगी में बड़े जानलेवा घटनाओं को लेकर आता है। इसकी वजह से बड़े बड़े हादसे होते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि को हवा और मंगल को आग बोला गया है। शनि और मंगल की युति हादसों का निर्माण करती हुई नजर आती है। यह योग बड़ी-बड़ी दुर्घटना जीवन में लेकर आता हुआ नजर आता है। हालांकि यह योग कभी–कभी बड़ी कामयाबी भी दिलाता है।

 

शनि मंगल (अग्नि योग) के लिए उपाय

 

शनि मंगल (अग्नि योग) दोष के प्रभाव को कम करने के लिए रोज सुबह माता-पिता के पैर छुएं।

हर मंगलवार और शनिवार को सुंदरकांड का पाठ करने से इस योग का प्रभाव कम होगा। 

 

मंगल का पहला शुभ योग 

अब ऐसा नहीं है कि मंगल हमेशा ही अशुभ योग निर्माण करते हुए नजर आते हैं। कई बार मंगल की वजह से कुंडली में शुभ योग भी निर्मित होते हुए दिखते हैं। तो आइए जानते हैं कि वह शुभ योग कौन से हैं जो कि मंगल के कारण कुंडली में बनते हुए दिखते हैं-

 

लक्ष्मी योग

 

चंद्रमा और मंगल के संयोग से लक्ष्मी योग बनता है। यह योग इंसान को धनवान बनाता है। जिनकी कुंडली में लक्ष्मी योग है, उन्हें नियमित दान करना चाहिए।

 

मंगल का दूसरा शुभ योग

 

मंगल से बनने वाले पंच-महापुरुष योग को रूचक योग कहते हैं। जब मंगल मजबूत स्थिति के साथ मेष, वृश्चिक या मकर राशि में हो तो रूचक योग बनता है। यह योग इंसान को राजा, भू-स्वामी, सेनाध्यक्ष और प्रशासक जैसे बड़े पद दिलाता है।

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