गोस्वामी तुलसीदास जयंती
भारत में गोस्वामी तुलसीदास जी की जयंती को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। 2021 में यह जयंती 14 अगस्त मनाई जाएगी। इस जयंती को पूरे भारतवर्ष में महान ग्रंथ रामचरितमानस के रचयिता तुलसीदास जी को याद करते ही मनाई जाती है। आइए जानते हैं कि गोस्वामी तुलसीदास जी के जीवन परिचय के बारे में
आपको बता दें कि गोस्वामी तुलसीदास जी वह महान व्यक्ति थे। जिन्होंने भगवान श्री रामचरित्र के जीवन का वृतांत बड़ी ही सुंदरता के साथ किया। तुलसीदास जी भक्ति भाव में श्री राम जी के लिए प्राण निछावर करने वाले थे। इन्होंने भगवान श्री राम की अनंत भक्ति की और तुलसीदास जी सभी के लिए पूजनीय बन गए।
तुलसीदास जी का जन्म
तुलसीदास जी का जन्म 1589 को उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के राजापुर नामक गांव में हुआ था। इनके पिता महान आत्माराम दुबे और माता हुलसी थी।
तुलसीदास जी के जीवन की शुरुआत दुखों के साथ हुई। इन्होंने बाल्यावस्था से ही बड़ी दुख सहें। कम उम्र में ही इनकी माता इन्हें छोड़कर चली गई थी। जिस कारण इनके पिता ने इन्हें अशुभ माना और त्याग दिया। जिसके बाद इनका पालन-पोषण संत बाबा नरहरिदास ने किया। नरहरिदास जी के संरक्षण में इन्होंने शिक्षा प्राप्त की और ये वापस से अपने गांव में आ गए। जहां इनका विवाह रत्नावली से हुआ। यह अपनी पत्नी से बेहद प्रेम करते थे। जिस कारण की पत्नी ने इन्हें ऐसी फटकार दी थी। जिसके बाद से इन्होंने अपना ध्यान और जीवन प्रभु के चरणों में लगा दिया। दरअसल, रत्नावली ने तुलसीदास जी से खिन्न होकर कहा था कि आप जितना मुझ पर ध्यान देते हो थोड़ा सा भी ध्यान भक्ति में लगा दिया तो साक्षात प्रभु आपको दर्शन दे देंगे। इन्होंने उसी के बाद से विद्वान शेष सनातन से वेद-वेदांग का ज्ञान प्राप्त किया और अपने जीवन को प्रभु श्री राम जी के चरणों में समर्पित करते हुए रामचरितमानस सहित अनेक रचनाएं की। इन्होंने अपने जीवन का सर्वाधिक समय काशी अयोध्या और चित्रकूट में व्यतीत किया। अंतिम समय में ये काशी आ गए और सन् 1623 में इन्होंने राम नाम जाप करते हुए काशी के अस्सी घाट पर अपने प्राण त्याग दिए।
तुलसीदास जी की रचनाएं
यह भक्ति काल के विख्यात कवि रहे और इन्होंने ने रामचरितमानस, गीतावली, जानकी मंगल, पर्वती मंगल, रामलला नहछू, हनुमान चालीसा, बरवै रामायण, कृष्ण गीतावली, दोहावली और कवितावली सहित विनय पत्रिका आदि रचनाएं की।
तुलसीदास जी ने किया सामाजिक बदलाव
तुलसीदास जी ने समाज के लिए भी कई कार्य किए। इन्होंने समाज में बुराइयों को दूर करने का प्रयास किया। तुलसीदास जी ने अनेक रचनाएं की और उन्होंने रचनाओं के माध्यम से पंथवाद और समाज में उत्पन्न बुराइयों की आलोचना करते हुए गो ब्राह्मण रक्षा, सगुणवाद और प्राचीन संस्कृति के सम्मान को ऊपर उठाने के लिए निरंतर प्रयास किया। यह चाहते थी कि रामराज्य फिर से उत्पन्न हो जाए क्योंकि इन्होंने भगवान श्री रामचंद्र की जीवन को अपने जीवन से जोड़कर उन्हीं के मार्ग पर चलने का निर्णय लिया था। यही कारण है कि लोग आज भी तुलसीदास जी को याद करते हैं और उनकी याद में हर साल जयंती मनाते हैं। इस दौरान लोग तुलसीदास जी को याद करते हुए श्री रामचंद्र मानस का पाठ भी करते हैं।
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