गृह प्रवेश मुहूर्त 2021
प्रॉपर्टी को घर नहीं कहा जाता बल्कि प्रॉपर्टी को घर बनाया जाता है। घर को घर बनाने में सालो लगते हैं और उसे बनाए रखने के लिए सारी जिदंगी प्रयास करना पड़ता है। हमारे जीवन में गृह का विशेष स्थान है। यही कारण है कि जब कोई संपत्ति खरीदता है और उसे गृह के रुप में उपयोग करना चाहता है तो जब मालिकाना हक रखने वाला व्यक्ति उस घर में पहली बार प्रवेश करता है तो उसे गृह प्रवेश कहते है। गृह प्रवेश घर में समृद्धि, सुख-शांति के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। हम इसी गृह प्रवेश के मुहूर्त की बात इसमें करेंगे क्योंकि गृह प्रवेश ऐसे ही नहीं किया जाता बल्कि इसके लिए सही समय, नक्षत्र, तिथि आदि के आधार पर निर्णय लिया जाता है कि कब गृह प्रवेश करना है।
गृह प्रवेश का शुभ मुहूर्त
दिनांक |
आरंभ काल |
समाप्ति काल |
शनिवार, 09 जनवरी |
12:33:00 |
19:19:20 |
गुरुवार, 13 मई |
5:31:52 |
5:31:52 |
शुक्रवार, 14 मई |
5:31:14 |
29:31:14 |
शुक्रवार, 21 मई |
15:23:24 |
5:27:26 |
शनिवार, 22 मई |
5:26:58 |
14:06:43 |
सोमवार, 24 मई |
5:26:08 |
9:50:08 |
बुधवार, 26 मई |
16:45:35 |
1:16:10 |
शुक्रवार, 04 जून |
5:23:05 |
5:23:05 |
शनिवार, 05 जून |
5:22:57 |
23:28:20 |
गुरुवार, 10 जून |
16:24:10 |
5:22:34 |
शुक्रवार, 11 जून |
5:22:34 |
14:30:41 |
शनिवार, 19 जून |
20:29:09 |
5:23:14 |
शनिवार, 26 जून |
5:24:52 |
2:36:47 |
गुरुवार, 01 जुलाई |
5:26:31 |
14:04:18 |
बुधवार, 07 जुलाई |
5:28:57 |
27:23:00 |
शुक्रवार, 05 नवंबर |
26:23:52 |
30:35:38 |
शनिवार, 06 नवंबर |
6:36:21 |
23:39:39 |
बुधवार, 10 नवंबर |
8:26:59 |
15:41:47 |
शनिवार, 20 नवंबर |
6:47:15 |
6:47:15 |
सोमवार, 29 नवंबर |
6:54:25 |
21:42:40 |
सोमवार, 13 दिसंबर |
7:04:38 |
2:05:48 |
शुक्रवार, 31 दिसंबर |
10:42:03 |
22:04:40 |
ग्रह प्रवेश के प्रकार
सनातन धर्म में वास्तु शास्त्र के अनुसार गृह प्रवेश तीन प्रकार के होते हैं-
आपुर्व- जब आप अपने नए भवन में रहने के लिए जाते हैं तो यह अपूर्व ग्रह प्रवेश कहा जाता हैं।
सपूर्व- अपने घर को छोड़कर किसी अन्य स्थान पर रहने के लिए चले जाते हैं और कुछ समय पश्चात वापस अपने घर में आते हैं तो इस गृह प्रवेश को सपूर्व कहते हैं।
द्वान्धव- किसी भी परेशानी की वजह से मजबूरी में अपने घर को छोड़कर किसी अन्य घर में रहना और पुनः लौट कर वापस अपने घर में आकर रहने के लिए पूजा पाठ करना। इसे द्वान्धव गृह प्रवेश कहते हैं।
गृह प्रवेश के नियम
हिंदू शास्त्रों के अनुसार गृह प्रवेश के लिए कुछ माह अति उत्तम माने जाते हैं। माघ, फाल्गुन, बैशाख ज्येष्ठ।
कुछ माह ऐसे भी हैं जिनमें गृह प्रवेश करना निषेध माना गया है। एक चातुर्मास है जिसमें भगवान विष्णु समस्त देवी देवताओं के साथ क्षीर सागर में शेषनाग की सैया पर निद्रा में चले जाते हैं। पौष श्रावण, भाद्रपद और आश्विन माह भी गृह प्रवेश के लिए उत्तम माह नहीं है।
सोमवार, बुध, बृहस्पति और शुक्र में गृह प्रवेश करना अति उत्तम माना गया है। रविवार और शनिवार के दिन कुछ विशेष क्षणों में गृह प्रवेश करना उत्तम माना जाता है।
मंगलवार और शनिवार को गृह प्रवेश करना हानिकारक सिद्ध होता है।
शुक्ल पक्ष की कुछ तिथियां गृह प्रवेश के लिए शुभ मानी गई है। अमावस्या और पूर्णिमा को गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए। गृह प्रवेश के लिए शुक्ल पक्ष की द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी और त्रयोदशी अति उत्तम मानी गई है।
वास्तु शांति का महत्व
प्राचीन समय से ही भारत मी वास्तु शास्त्र अर्थात भारतीय विज्ञान है। भारतीय विज्ञान में दिशाओं का ज्ञान एवं उसके महत्व को दर्शाया गया है। वास्तु से अभिप्राय है, जहां पर ईश्वर और मनुष्य दोनों एक साथ रहते हो। वास्तु का संबंध अग्नि, वायु, आकाशस जल और पृथ्वी इन पंचतत्व से माना गया है। मनुष्य शरीर पांच तत्वों से मिलकर ही बना है। वास्तु शास्त्र के अनुसार 10 दिशाएं होती है। प्रत्येक दिशा में देवताओं का वास होता है, जिसमें से मिलने वाली ऊर्जा हमें सकारात्मक सुख समृद्धि और शांति प्रदान करती है। गृह प्रवेश से पूर्व वास्तु शास्त्र की पूजा करना महत्वपूर्ण माना गया है।
निर्माण कार्य पूरा होने के बाद गृह प्रवेश
कभी-कभी हम परिस्थितियों की वजह से आधे अधूरे बने हुए घर में प्रवेश करते हैं लेकिन शास्त्रों के अनुसार यह गृह प्रवेश अशुभ माना गया है । गृह प्रवेश करने से पहले कुछ नियम और विधि विधान बताए गए हैं जिनका पालन करना अनिवार्य है।
आपके बनाए गए भवन में जब तक दरवाजे ना लगे हो तो आपको अपने भवन में गृह प्रवेश नहीं करना चाहिए।
आपकी भवन की छत पूरी तरह से बनी न हो, तो ग्रह प्रवेश ना करें।
गृह प्रवेश के बाद मुख्य द्वार पर ताला ना लगाएं। अगर आप ऐसा करते हैं तो यह बहुत ही अशुभ होता हैं।
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