जानिए, हर की पौड़ी की महिमा, स्नान मात्र से दुख को होगा निवारण
हर की पौड़ी, हरिद्वार, उत्तराखंड
आज हम आपको हिंदुओं का सबसे प्रिय स्नान हेतु उस स्थान के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी महिमा युगो-युगो से गाई जा रही है। जी हां, हम बात कर रहे हैं हरिद्वार के सबसे पवित्र स्थान हर की पौड़ी के बारे में। हरिद्वार भारत के उत्तराखंड राज्य में स्थित है। हरिद्वार एक धार्मिक नगरी है। यहां पर आध्यात्मिकता से पूरा शहर जगमगाया रहता है। हर जगह भगवान के मंदिरं पुजारी और साधु संत नजर आते हैं। हिंदू धर्म में हर की पौड़ी पर स्नान करने का बड़ा महत्व माना जाता है। यहां पर स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। हर की पौड़ी पर मां गंगा स्वयं अपने जल से अपने भक्तों के संकट को दूर करती हैं और हर रोज बड़ी धूमधाम से मां गंगा की आरती की जाती है। आइए जानते हैं हर की पौड़ी में
हर की पौड़ी की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार, माना जाता है कि समुद्र मंथन के समय देव दानवों में एक भयंकर युद्ध छिड़ गया था। देवता चाहते थे कि अमृत उन्हें मिले और दानव मानना था कि अमृत के हकदार केवल वे ही हैं। देव और दानव आपस में झगड़ रहे थे कि अमृत की कुछ बूंदें गिर पृथ्वी पर गई। जिस स्थान पर अमृत की बूंदी गिरी वह एक धार्मिक स्थान बन गया। हरिद्वार में हर की पौड़ी पर भी अमृत की बूंदे गिरी थी जिससे यहां पर स्नान करन की परंपरा बन गई। हिंदू धर्म में हर किसी को एक बार जरूर हर की पौड़ी में स्नान करना चाहिए और यहां की संध्या आरती में जो शामिल होते हैं, वो सबसे खुशनसीब कहलाते हैं।
हर की पौड़ी का इतिहास
माना जाता है कि हर की पौड़ी का निर्माण राजा विक्रमादित्य ने कराया था। राजा ने अपने मृतक भाई ब्रिथारी की याद में हर की पौड़ी घाट का निर्माण कराया। दरअसल, उनके भाई ब्रिथारी इसी घाट पर बैठकर ध्यान किया करते थे। हर की पौड़ी को ब्रह्मकुंड भी कहा जाता है। इसके पीछे भी एक कारण छुपा है एक बार राजा श्वेत ने हर की पौड़ी पर बैठकर भगवान ब्रह्मा जी की पूजा की और राजा कठिन आराधना से खुश होकर ब्रह्मा जी ने उनसे वरदान मांगने को कहा। तब राजा ने कहा कि बस मैं इतना चाहता हूं कि ये स्थान ब्रह्मा जी के नाम से जाना जाए। इसलिए हर की पौड़ी को ब्रह्मकुंड का नाम दिया गया।
हर की पौड़ी की महाआरती
हर की पौड़ी पर मां गंगे की संध्या महाआरती की जाती है। जिसमें दुनिया भर से श्रद्धालु आकर शामिल होते हैं। यहां पर स्नान करने के साथ-साथ आरती में शामिल होने का भी विशेष महत्व माना जाता है। हर रोज शाम के समय साधु सन्यासी और श्रद्धालु गंगा जी की महा आरती करते हैं। इस दौरान दीयों की रोशनी से पूरा घाट जगमग आ उठता है। हर की पौड़ी पर हर 12 साल कुंभ मेले का आयोजन भी किया जाता है। जिसमें भारी संख्या में देश विदेश से श्रद्धालु आकर मेले का आनंद उठाते हैं।
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