प्रीमियम ज्योतिषियों से बात करें
अभी कॉल करे

इंदिरा एकादशी 2021


Wednesday, 17 March 2021
इंदिरा एकादशी 2021

इंदिरा एकादशी 2021

तिथि- 02 अक्टूबर 2021

 

इंदिरा एकादशी अश्विन मास के कृष्ण पक्ष को माना जाता है। यह एकादशी बहुत ही महत्वपूर्ण होती है क्योंकि यह पितृ पक्ष में आता है। यही कारण हैं कि इस व्रत को करने से पुर्वजों और पितृ के पापों से उन्हें मुक्ति मिल जाता है और वह स्वर्ग लोक में स्थान प्राप्त करते है। इन्दिरा एकादशी व्रत रखने का मुख्य कारण भगवान विष्णु और अपने पूर्वजों का आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है।

 

इंदिरा एकादशी शुभ मुहूर्त

तिथि- 02 अक्टूबर

समय- 03 अक्टूबर को प्रातः 06:14:47 से 08:36:54 तक

समयावधि- 2 घंटे 22 मिनट

 

इंदिरा एकादशी पूजा विधि

पितृ को स्वर्ग दिलाने तथा उनके पापों से मुक्ति दिलाने के लिए इस विधि का उपयोग कर व्रत रखा जाना चाहिए-

चरण- 1  इस व्रत के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए।

चरण- 2  स्वच्छ कपड़ों का धारण करना चाहिए। 

चरण- 3  सुबह स्नान के बाद व्रत का संकल्प लेना उचित है।

चरण- 4  स्नान के पश्चात भगवान विष्णु की आराधना करनी चाहिए।  

चरण- 5  पंच अमृत से भगवान शालिग्राम को नहलाना चाहिए तथा विधिवत श्राद्ध करना चाहिए।

चरण- 6  भगवान ऋषिकेश के अराधना धूप, दीप तथा नैवेद्य द्वारा करना चाहिए।

चरण- 7  एकादशी के दिन सिर्फ एक बार ही अन्न ग्रहण करना चाहिए।

चरण- 8  एकादशी की रात जागरण करना चाहिए।

चरण- 9  इसके पश्चात् द्वादशी पर ब्राहम्णों को उचित दान देना चाहिए।

 

व्रत के दौरान इन कार्यों को करने से बचें-

एकादशी के व्रत के दिन यजमान को अपने घर में भूलकर भी झाडू, पोछा नहीं लगाना चाहिए चाहे उसका घर कितना भी गंदा क्यों न हो। यदि कोई ऐसा करता है तो इससे जमीन पर चल रहे जीवों को खतरा हो सकता है। इसलिए एकादशी के व्रत में अपने घर द्वार में झाडू लगाना वर्जित माना जाता है।

इस दिन व्यक्ति को व्रत के अनुसार चुने या बताए गए खाद्य पदार्थो का सेवन करना चाहिए प्याज, लहसुन, शहद या मांस मछली का प्रयोग यजमान द्वारा भूल से भी नहीं किया जाना चाहिए।

इस व्रत में यजमान को बाल कटवाना वर्जित माना गया है इसलिए इस व्रत में बाल कटवाने से बचना चाहिए।

ब्रहम्चर्य व्रत का पालन करते हुए भोग विलास से संबंधित किसी भी वस्तु या क्रिया का प्रयोग नहीं करना चाहिए। 

अधिक बोलने से बचना चाहिए। 

 

इंदिरा एकदशी का महत्व

इस व्रत के महत्व के विषय में अनेकों मान्यताएं है परन्तु अधिकतर लोग इस व्रत को अपने पितरों को बुरी योनि से निकालने और स्वयं स्वर्ग की प्राप्ति के लिए करते हैं। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु तथा मनुष्य के पितृ प्रसन्न होते है। जिसके परिणाम स्वरुप वे यजमान को उत्तम फल देते हैं इसलिए इस व्रत को करने से मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति तथा पृथ्वी पर बार-बार जन्म मरण की प्रक्रिया से मुक्ति मिलती है। यदि कोई पितृ मत्योपरान्त यमराज के दंड का भागी बनता है। तो शास्त्रों के अनुसार उसके परिवारजनों को इस व्रत को किया जाना चाहिए। इससे उन्हें मुक्ति मिल जाती है और वैकुण्ठ धाम को चले जाते हैं।

 

पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार प्रचानी में महिष्मति नामक राज्य का राजा इंद्रसेन बहुत अच्छा राजा और श्री हरि का बहुत बड़ा भक्त था। उसके राज्य में किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं थी। हर ओर खुशहाली थी। प्रजा भी अपने राजा से बहुत प्रसन्न थी। एक बार भगवान विष्णु के परम भक्त और ब्रहा के मानस पुत्र नारद मुनि उनकी सभा में पधारे। नारद ने राजा को उनके स्वर्गवास हुए पिता की स्थिति के बारे में  राजा को बताया। नारद के अनुसार राजा के पिता अपने जीवनकाल में एक एकादशी का व्रत पूर्ण न कर पाने के कारण कष्ट भोग रहे थे। अपने पिता के कष्ट का सुनकर राजा बहुत दुखी हुआ और उन्होनें नारद जी से इसका कोई उपाय सुझाने को कहा। तब नारद जी ने उन्हें अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली इन्दिरा एकादशी के बारे में बताया कि इस व्रत को करने से पिताजी की आत्मा को शांति मिलेगी। इस एकादशी को पितृ पक्ष की एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि इस समय पितरों के दिवस चल रहे होते है। इस दिन किये गए श्राद्ध कर्मो द्वारा पितृ प्रसन्न होते है और उन्हें किसी बुरी योनि से छुटकारा भी मिल जाता है। पितृ श्री हरि के परम धाम को प्राप्त होते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को अगले दिन अर्थात द्वादशी के दिन सूर्योदय के पश्चात पारण के मूहूर्त में ही खोलते है। तब राजा ने नारद मुनि की बात सुनकर इस एकादशी को विधिवत रुप से पूरा किया जिसके फलस्वरुप उनके पिताजी यमलोक के कष्टों से मुक्ति पाकर सीधे भगवन विष्णु के परम धाम वैकुंठ को सिधार गए।

लेख श्रेणियाँ

Banner1
Banner1

ज्योतिष सेवाएँ आपकी चिंताएँ यहीं समाप्त होती हैं
अब विशेषज्ञों से बात करे @ +91 9899 900 296

Astro Only Logo

ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।

PayTM PayU Paypal
whatsapp