प्रीमियम ज्योतिषियों से बात करें
अभी कॉल करे

इंदिरा एकादशी


Saturday, 20 March 2021
इंदिरा एकादशी

इंदिरा एकादशी
श्राद्ध में पितरों की शांति के लिए इंदिरा एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह एकादशी अश्वनी मास की कृष्ण पक्ष में आती है। देवता और पितरों की शांति और उन्हें मनाने के लिए इस एकादशी का व्रत अति महत्वपूर्ण है। माना जाता है यदि पूर्वज मरणोपरांत नर्क में चले जाएं तो उन्हें नर्क की यातना से मुक्ति दिलाने के लिए इंदिरा एकादशी का बड़ा महत्व है। जो इस एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें बैकुंठधाम प्राप्त होता है और उनके पितृगण भी नरक से मुक्त होकर स्वर्ग चले जाते हैं।

इंदिरा एकादशी 2021: 2 अक्टूबर

इंदिरा एकादशी का व्रत
सबसे पहले हम आपको बता दें कि जो भी लोग एकादशी का व्रत रखने की सोच हैं या एकादशी का व्रत रखते हैं। उन्हें एकादशी से एक दिन पहले ही चावल खाना छोड़ देना चाहिए। एकादशी के दिन तो चावल का बिल्कुल भी सेवन नहीं करना चाहिए।

एकादशी के दिन स्नान करने के बाद पीले या सफेद वस्त्र पहनें।

अपने पितरों का ध्यान करते हुए भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करके विष्णु जी की तस्वीर पर गंगाजल के छींटे दें और घर को भी गंगाजल से शुद्ध करें।

विष्णु की पूजा के लिए पीले फूल, रोली, तुलसी, धूप, दीप, शुद्ध घी और प्रसाद रखें।

सबसे पहले विष्णु जी को पीले फूल अर्पित करें और उसके बाद रोली का टीका लगाएं।

भगवान विष्णु को फूल और तुलसी अर्पित करते हुए मन में पितरों का ध्यान करें और उनकी शांति के लिए प्रार्थना करें।

नोट- यदि एकादशी के दिन रविवार है तो तुलसी ना चढ़ाएं।

पूजन करते समय इन मंत्रों का जाप करें
श्री कृष्ण गोविंद हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेवाय
ओम नमो नारायण भगवते वासुदेवाय नम:

मंत्रों के जाप के बाद भगवान विष्णु की आरती करें और उन्हें प्रसाद का भोग लगाएं।

पूजा पाठ करने के बाद पितरों के नाम का श्राद्ध करें और ब्राह्मणों को दक्षिणा दें।

इस दिन अन्न और नमक का सेवन ना करें।

अगले दिन द्वादशी को व्रत खोलें और गाय माता का पूजन करें।

द्वादशी के दिन श्रद्धा के अनुसार गरीबों को अन्नदान करें।

एकादशी व्रत कथा
धर्मराज युधिष्ठिर कहने लगे कि हे कृष्ण भगवान! अश्वनी मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम क्या है और इस व्रत की विधि और उसका फल क्या है। भगवान कृष्ण कहने लगे की अश्र्वनी मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम इंदिरा है। इस एकादशी का व्रत करने से पापों का नाश होता है और पितरों को शांति मिलती है। हे राजन् इसकी कथा को ध्यानपूर्वक सुनो
प्राचीनकाल में महिष्मति नाम की एक नगरी में इंद्रसेन नाम का राजा था। जो बड़ा ही धार्मिक और न्यायवादी था। वह राजा पुत्र, पौत्र आदि से संपन्न और विष्णु भगवान का परम भक्त था। एक दिन राजा सभा में बैठा था तो नारद मुनि वहां आएं। राजा ने नारद मुनि का आदर सत्कार किया और उन्हें बैठने के लिए आसन दिया। नारद जी बोले कि हे राजन् तुम्हारे पिता नरक लोक में यम की यातनाएं सह रहे हैं। उन्हें शांति प्रदान करने के लिए तुम अश्वनी मास की इंदिरा एकादशी का व्रत विधिपूर्वक करो। तब राजा ने नारद जी के कहे अनुसार इंदिरा एकादशी का विधिपूर्वक व्रत किया और व्रत का फल अपने पिता को प्रदान किया। जिससे राजा इंद्रसेन के पिता नरक से छूटकर विष्णु धाम को चले गए। जो भी मनुष्य इंद्रिरा एकादशी की व्रत की कथा सुनते या पढ़ते हैं। उनके जन्म-जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं और अंत में बैकुंठ लोक को प्राप्त होते हैं।

लेख श्रेणियाँ

Banner1
Banner1

ज्योतिष सेवाएँ आपकी चिंताएँ यहीं समाप्त होती हैं
अब विशेषज्ञों से बात करे @ +91 9899 900 296

Astro Only Logo

ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।

PayTM PayU Paypal
whatsapp