संतोषी माता जी हिंदू मान्यताओं के अनुसार एक प्रमुख देवी हैं जिनका शुक्रवार के दिन व्रत किया जाता है। स्त्रियां संतोषी माता जी का व्रत सप्ताह में शुक्रवार के दिन रखती हैं और ऐसा बोला गया है कि संतोषी माता जी का व्रत रखने से स्त्रियों के जीवन में सौभाग्य की वृद्धि होती है तथा घर में रिद्धि-सिद्धि धन की प्राप्ति होती है। संतोषी माता जी के पिता का नाम गणेश और माता का नाम रिद्धि सिद्धि बताया गया है इसीलिए बोला जाता है कि संतोषी माता के व्रत करने से परिवार में सुख शांति मनोकामना की पूर्ति होती है। साथ ही सभी तरीके की शोक विपत्तियां और परेशानियां घर से दूर रहती हैं। संतोषी माता जी के व्रत के प्रावधान में ऐसा बताया गया है कि 16 शुक्रवार तक इनका व्रत किया जाता है। शीघ्र विवाह की कामना, व्यवसाय व शिक्षा के क्षेत्र में कामयाबी, मनोवांछित फलों की प्राप्ति के लिए महिला और पुरुष दोनों ही एक समान व्रत कर सकते हैं।
संतोषी माता का व्रत करते समय विशेष सावधानी रखनी होती है कि इस दिन ना तो खट्टी वस्तुएं खाई जाती हैं और ना ही खट्टी वस्तु को स्पर्श किया जाता है। परिवार में कोई भी व्यक्ति इस दिन खट्टी वस्तुएं नहीं खा सकता है। यहां तक की पूजा व घर में खट्टे फल भी नहीं रखे होने चाहिए तथा दान में भी किसी व्यक्ति को इस दिन खट्टी वस्तुएं नहीं देनी चाहिए। एस्ट्रो ओनली आपके लिए माता संतोषी जी की आरती लेकर आया है, व्रत के दिन इस आरती का गायन किया जाना अति महत्वपूर्ण बताया गया है। संतोषी माता जी की यह आरती सामान्य और आसान से शब्दों में बताई गई है। एक सामने व्यक्ति भी इस आरती का जाप कर सकता है। इस आरती की मदद से व्यक्ति माता संतोषी के प्रति अपनी भक्ति प्रकट कर सकता है। एस्ट्रो ओनली पर माता संतोषी जी की आरती हिंदी और इंग्लिश दोनों ही भाषाओं में उपलब्ध है। आरती को सुनने से अधिक उसका मुख से गायन करने पर ही पूरा फल प्राप्त होता है। माता संतोषी जी की यह आरती आप लोग संतोषी जी के भक्तों पर भी शेयर जरूर करें-
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
सुन्दर चीर सुनहरी,
मां धारण कीन्हो ।
हीरा पन्ना दमके,
तन श्रृंगार लीन्हो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
गेरू लाल छटा छबि,
बदन कमल सोहे ।
मंद हंसत करुणामयी,
त्रिभुवन जन मोहे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
स्वर्ण सिंहासन बैठी,
चंवर दुरे प्यारे ।
धूप, दीप, मधु, मेवा,
भोज धरे न्यारे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
गुड़ अरु चना परम प्रिय,
तामें संतोष कियो ।
संतोषी कहलाई,
भक्तन वैभव दियो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
शुक्रवार प्रिय मानत,
आज दिवस सोही ।
भक्त मंडली छाई,
कथा सुनत मोही ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
मंदिर जग मग ज्योति,
मंगल ध्वनि छाई ।
विनय करें हम सेवक,
चरनन सिर नाई ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
भक्ति भावमय पूजा,
अंगीकृत कीजै ।
जो मन बसे हमारे,
इच्छित फल दीजै ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
दुखी दारिद्री रोगी,
संकट मुक्त किए ।
बहु धन धान्य भरे घर,
सुख सौभाग्य दिए ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
ध्यान धरे जो तेरा,
वांछित फल पायो ।
पूजा कथा श्रवण कर,
घर आनन्द आयो ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
चरण गहे की लज्जा,
रखियो जगदम्बे ।
संकट तू ही निवारे,
दयामयी अम्बे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ॥
सन्तोषी माता की आरती,
जो कोई जन गावे ।
रिद्धि सिद्धि सुख सम्पति,
जी भर के पावे ॥
जय सन्तोषी माता,
मैया जय सन्तोषी माता ।
अपने सेवक जन की,
सुख सम्पति दाता ॥
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