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कालीघाट काली मंदिर, कोलकाता


Friday, 19 March 2021
कालीघाट काली मंदिर, कोलकाता

कालीघाट काली मंदिर, कोलकाता
कोलकाता में सबसे प्रसिद्ध कालीघाट मंदिर 51 शक्तिपीठों में शामिल है। काली घाट मंदिर माता काली को समर्पित है। जहां लाखों की संख्या में भक्त आते हैं और माता काली के दर्शन करते हैं। माना जाता है कि यहां माता सती के दाहिने पैर की चार अंगुलियां गिरी थी। इसी कारण से  यहां पर मंदिर बनाया गया और 51 शक्तिपीठों में शामिल किया गया है। मंदिर में माता काली की बहुत ही विशाल प्रचंड मूर्ति विराजमान है। मंदिर की बहुत-सी विशेषताएं हैं। जिनके बारे में जानने मात्र से ही भक्त यहां पर जाने के लिए उत्सुक हो जाते हैं। आइए  बताते हैं आपको कालीघाट मंदिर की महिमा

कालीघाट मंदिर की अद्भुत मूर्ति
कालीघाट मंदिर में मां काली की मूर्ति का चेहरा श्याम रंग का है। लंबी जीभ है, जो सोने की बनी हुई है और दांत भी सोने से बने हुए हैं। आंखें और सिर सिंदुरिया रंग में है। सुंदरिया रंग में ही मां काली के तिलक लगा हुआ है और हाथ में फांसा है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि देवी को स्नान कराते समय धार्मिक मान्यताओं के कारण पुरोहितों की आंखों पर पट्टी बांधी जाती है। मां काली की वर्तमान मूर्ति ब्रह्मानंद गिरी और आत्मा गिरी ने बनाई है। देवी मां का यह रूप बड़ा ही शक्तिशाली और भक्तों का उद्धार करने वाला है।

कालीघाट मंदिर का इतिहास
कालीघाट मंदिर के इतिहास के बारे में माना जाता है कि 15वीं और 17 वीं शताब्दी में मंदिर का निर्माण कराया गया और यह मंदिर चंद्रगुप्त द्वितीय के समय से अस्तित्व में है। मूल मंदिर छोटी झोपड़ी के आकार का ढांचा था। जिसे राजा मानसिंह ने 16वीं शताब्दी में बनवाया था। वहीं वर्तमान मंदिर 19वीं शताब्दी का बताया जाता है। वर्तमान मंदिर  बनिशा के सबरन रॉय चौधरी परिवार के संरक्षण में बनाया गया था। हालांकि हल्दर परिवार मंदिर की संपत्ति का मालिक खुद को बताता है। 1960 के दशक में सरकार और हल्दर परिवार के प्रतिनिधित्व के साथ प्रशासनिक प्रबंधन के लिए एक समिति का गठन किया गया। इसके बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने कालीघाट मंदिर को बेहतर बनाने काम किया और मंदिर को बेहद खूबसूरती से बनाया गया। मंदिर कोलकाता के पर्यटन स्थलों में आकर्षण का केंद्र है और दूर-दूर से भक्त मंदिर में माता काली के अद्भुत रूप के दर्शन करने के लिए आते हैं।

काली घाट मंदिर जाने का सही समय

कालीघाट मंदिर जाने के लिए नवरात्रि का समय सबसे अच्छा है क्योंकि माता की पूजा सबसे ज्यादा नवरात्रों के समय की जाती है। इस समय यहां पर बंगाली मां काली की पारंपरिक तरीके से पूजा करते हैं। अक्टूबर से मार्च तक का समय सबसे उचित और सबसे अच्छा माना जाता है। मंदिर के आसपास घूमने के लिए भी बहुत सारी जगह है। अंधेरी मार्केट, गोपाल नगर ओल्ड मार्केट, चेतला मार्केट, सदर मार्केट और सिटी मार्केट में शॉपिंग कर सकते हैं। माता काली के दर्शन के लिए मंदिर सुबह 5:00 बजे से दोपहर 2:00 बजे तक और शाम 5:00 बजे से रात 10:30 बजे तक सार्वजनिक रूप से खोला जाता है। यहां पर मां काली की पहली आरती 4:00 बजे होती है। इसके अलावा भोग प्रसाद दोपहर 2:00 बजे से शाम 5:00 बजे तक का है।

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