कामदा एकादशी 2021
तिथि- 23 अप्रैल 2021
जिस प्रकार प्रत्येक एकादशी के देवता भगवान विष्णु के अलग-अलग रुपों को माना गया है उसी प्रकार कामदा एकादशी के देवता स्वयं भगवान विष्णु है इसलिए इस दिन इन्ही की पूजा और अर्चना की जाती है। कामदा एकादशी को फलदा एकादशी भी कहा जाता है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को करने से आपकी अधूरी रह गई सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती है। अधिकतर कुवारी लड़कियां अच्छा वर पाने और घरेलू महिलाएं अपने पति और बच्चों को बुरी आदतों से बचाने के लिए यह व्रत रखती हैं।
कामदा एकादशी शुभ मुहूर्त
तिथि- 23 अप्रैल
समय- 24 अप्रैल को प्रातः 05:47:12 से 08:24:09 तक
समयावधि- 2 घंटे 36 मिनट
कामदा एकादशी पूजा विधि
कामदा एकादशी में भगवान विष्णु की अराधना किया जाता है। इसकी विधि को उल्लेखित कर रहे हैं जिसका पालन करना अनिवार्य हो जाता है-
चरण- 1 एकादशी व्रत करने वाले भक्तों को दशमी के दिन से ही इस व्रत का पालन करना पड़ता है।
चरण- 2 एकादशी के दि सूर्योदय के समय स्नान इत्यादि करके मंदिर जाना और वहाँ जाकर गीता, रामायण या हरि कथा का पाठन या श्रवण करना चाहिए।
चरण- 3 रात्रि के समय ब्रहमचर्य का पालन करना तथा भोग विलास से दूर रहना चाहिए।
‘ओम नमो भगवते वासुदेवाय नम:’ मंत्र का जाप करना चाहिए।
चरण- 4 द्वादशी के साथ मिली हुई एकादशी का व्रत करना अधिक फलदायी और सर्वश्रेष्ठ होता है ।
चरण- 5 अगले दिन व्रत का पारण ब्राह्मणों तथा जरुरतमंदों को भोजन कराकर या दान दान देकर करना चाहिए।
व्रत के दौरान इन कार्यों को करने से बचें-
इस व्रत को करने वाले लोगों को प्रात: काल लकड़ी से दातून करना या ब्रश करना निशेध माना जाता है।
व्रत में पेड़ से टहनी या पत्ता तोड़ना वर्जित होता है।
इस दिन भूल से भी किसी की निंदा नहीं करनी चाहिए। यदि किसी की निंदा हो भी जाए तो सूर्य नारायण भगवान के दर्शन कर श्री हरि के समक्ष दीप जलाकर उनसे क्षमा मांगन लेनी चाहिए।
इस दिन अपने घर में झाडू न लगाए क्योंकि इससे आपके हाथों चींटी जैसे छोटे-मोटे जीवों की हत्या हो सकती है।
एकादशी के दिन बाल कटवाना भी वर्जित होता है।
इस दिन प्याज, मसूर तथा मांस मछली, शहद की चीजों से भी दूरी बनाकर रखनी चाहिए।
कामदा एकदशी का महत्व
एकादशी को हरि दिन या हरि वासर भी कहा जाता है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु के अवतारों की पूजा की जाती है और देखा जाए तो प्रत्येक एकादशी भगवान विष्णु के अवतारों पर ही निर्भर है। कामदा एकादशी के दिन लोग विष्णु भगवान की पूजा करते है। इस दिन भक्तजन एकादशी के हिसाब से व्रत रखना बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। भक्त लोगों द्वारा अपने पितरों को तारने या उन्हें कुयोनि से मुक्ति दिलाने के लिए भी रखा जाता है। इसी कारण वस पद्म पुराण में शिव जी नारद मुनि से कहते है कि कामदा एकादशी सर्वश्रेष्ठ पुण्य देने वाली तथा पापों को नष्ट करने वाली है।
पौराणिक कथा
भारत में कोई भी पूजा या व्रत बिना कथा के पूर्ण नहीं माना जाता इसलिए कामदा एकादशी की भी एक कथा प्रचलित है जो इस प्रकार है-
माना जाता है कि एक पुण्डरीक नामक नाग का राज्य था। जहाँ अपसराए तथा गंधर्व और किन्नर वास करते थे। यह बहुत ही वैभवशाली और संपन्न राज्य था। उस राज्य में ललिता नाम की अप्सरा तथा उसका पति ललित रहा करते थे। वे दोनों एक दूसरे से बहुत प्रेम करते थें और हमेंशा एक दूसरे के साथ ही रहना चाहते थे। ललित राजा के दरबार में अपना गाना और नृत्य प्रस्तुत कर लोगों का मंनोरंजन करता था। एक बार सभा में राजा ने ललित को उसका गाना और नृत्य प्रस्तुत करने को कहा लेकिन अचानक नृत्य और गाना प्रस्तुत करते हुए उसे अपनी पत्नि ललिता की याद आ गयी। जिस कारण वह गाने के बोल और नृत्य की विधि भूल गया। तभी वहाँ उपस्थित कर्कोटक नामक नाग देवता ने यह सब देखा और पुण्डरीक राजा को बता दिया। इस पर पुण्डरीक राजा ने ललित को एक राक्षस बनने का श्राप दे दिया। इसके बाद ललित बहुत ही बुरा दिखने वाला राक्षस बन गया। इस पर उसकी पत्नि ललिता अत्यंत दुखी हुई और अपने पति को उस राक्षस योनि से निकालने का मार्ग ढूंढ़ने लगी। फिर वह एक मुनि के आश्रम में गई। ललिता की व्यथा को दूर करने के लिए मुनि ने उसे कामदा एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। ललिता ने मुनि के आश्रम में रहकर ही कामदा एकादशी का व्रत किया जिसके फलस्वरुप ललित राक्षस योनि से मुक्त होकर फिर से एक सुंदर नृत्यक और गायक बन गया।
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