कामदा एकादशी भारतीय हिन्दू कैलेंडर के चैत्र महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। हिंदू नव वर्ष के बाद यह पहली एकादशी होती है। हिंदुओं द्वारा मनाई जाने वाली अन्य सभी एकादशियों की भांति, इस एकादशी पर भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार की पूजा करके मनाई जाती है। जैसा कि कामदा एकादशी नवरात्रि के उत्सव के बाद आती है, इसे आमतौर पर 'चैत्र शुक्ल एकादशी' के नाम से भी जाना जाता है। इस ग्यारस को आध्यात्मिक धारणा में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है जो सभी सांसारिक इच्छाओं को पूरा करता है। यह एकादशी पूरे भारत वर्ष में मनाई जाती है लेकिन मुख्य रूप से कर्नाटक में बहुत अलग ढंग से मनाई जाती है।
वहीं 2021 में कामदा एकादशी 23 अप्रैल को शुक्रवार के दिन मनाई जाने वाली है।
कामदा एकादशी के दौरान अनुष्ठान
कामदा एकादशी का दिन सूर्योदय से आरंभ होता है। फिर इसके बाद श्रद्धालु भगवान विष्णु जी की पूजा अर्चना करने की तैयारी में जुट जाते हैं। इस दिन कृष्ण भगवान की मूर्ति की पूजा करते है।
कामदा एकादशी का व्रत भक्तिभाव से और कुछ नियमों का पालन करके रखा जाना चाहिए। इस व्रत के पालनकर्ता कुछ भोजन अवश्य खा सकते हैं जैसे दूध से बने पदार्थ, फल, सब्जियाँ, मेवे और सूखे मेवे खा सकते हैं। हालांकि भोजन 'सात्विक' और पूर्णतः शाकाहारी होना चाहिए अवश्य है।
जो लोग व्रत न रखते है उन लोगों को भी कामदा एकादशी के अवसर चावल, मूंग की दाल, गेहूं और जौ नहीं खाना चाहिए।
इस एकादशी का व्रत 'दशमी' से शुरू होता है। इस तीथि पर श्रद्धालु सूर्यास्त से पहले केवल एक बार ही खाना खाते है। एकादशी के सूर्योदय के अगले दिन, द्वादशी के सूर्योदय तक 24 घंटे का व्रत रहता है। इस दौरान जितना हो सके श्रद्धालुओं को खाना खाने और पानी पीने से भी बचना चाहिए। इसके अलावा जब व्रत तोड़ें तब ब्राह्मणों को 'दक्षिणा' में कुछ दान करना चाहिए।
कामदा एकादशी के दिन श्रद्धालु रात में सोते भी नहीं है और भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण की वैदिक मंत्रों और भजन करते है। 'विष्णु सहस्त्रनाम' जैसी धार्मिक पुस्तकों को पढ़ना इस दौरान बहुत शुभ माना जाता है। इस अवसर पर पूरे भारत में भगवान विष्णु के मंदिरों में विशेष यज्ञ, प्रवचन और साथ ही साथ भजन कीर्तन का आयोजन होता है।
कामदा एकादशी का महत्व
कामदा एकादशी हिंदू वर्ष की पहली एकादशी है, जो इसे सभी एकादशी अनुष्ठानों में सबसे अधिक पूजनीय बनाती है। कामदा एकादशी की महानता का वर्णन कई हिंदू धार्मिक ग्रंथों और पुराणों जैसे 'वराह पुराण' में किया गया है। महाभारत के दौरान, श्रीकृष्ण ने पांडव राजा युधिष्ठिर को कामदा एकादशी के गुण और लाभ के बारे में बताया था। कामदा एकादशी व्रत व्यक्ति को अपने गुणों को पुनः प्राप्त करने और बेहतर बनाने में मदद करता है। यह भक्तों और उनके परिवार के सदस्यों को उन पर लगे सभी शापों से भी बचाता है। यहां तक कि सबसे जघन्य पाप से भी मुक्ति दिलाता है यदि कोई व्यक्ति पूरी प्रतिबद्धता के साथ कामदा एकादशी व्रत रखता है। यह भी प्रचलित मान्यता है कि कामदा एकादशी व्रत को समर्पण के साथ करने से संतानहीन दंपतियों को पुरुष संतान की प्राप्ति होती है। इस पवित्र व्रत का पालन करने वाले लोग जन्म और मृत्यु के चक्र से भी मुक्त हो जाएंगे और अंततः भगवान विष्णु के आराध्य वैकुंठ जाएँगे।
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