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कामिका एकादशी 2021


Wednesday, 17 March 2021
कामिका एकादशी 2021

कामिका एकादशी 2021

तिथि- 04 अगस्त 2021

 

सावन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम कामिका एकादशी है। कामिका एकादशी को कामदा व पवित्रा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी के व्रत में शंख चक्र धारी विष्णु भगवान की अराधना की जाता है। कामिका एकादशी के व्रत के प्रभाव से आपके पुनर्जन्म की समस्याएं भी दूर हो जाती हैं। कामिका एकादशी लोक परलोक दोनों में ही अति उत्तम है। इसका व्रत करने से हजारों गाय दान करने के समान पुण्य मिलता है। जीवन में खुशहाली के लिए भी इस व्रत को रखा जाता है।

 

कामिका एकादशी शुभ मुहूर्त

तिथि- 04 अगस्त

समय- 05 अगस्त को प्रातः 05:44:22 से 08:25:23 तक

समयावधि- 2 घंटे 41 मिनट

 

कामिका एकादशी पूजा विधि

कामिका एकादशी का व्रत करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। घर में हर प्रकार के सुख समृद्धि आती है। इसकी विधि को उल्लेखित कर रहे हैं जिसका पालन प्रत्येक व्रत रखने वाले मनुष्य को करना चाहिए-

चरण- 1  सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर प्रथम व्रत का संकल्प लें।

चरण- 2  स्नान के पश्चात शंख चक्र गदाधारी भगवान विष्णु की पूजा प्रारंभ करें।

चरण- 3  दूध, फल, फूल, पंचामृत, तिल, भगवान विष्णु की मूर्ति को अर्पित करें। 

चरण- 4  कामिका एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु का स्मरण करें।

चरण- 5  वृत्त के अगले दिन ब्राह्मण को भोजन कराएं तथा दान दें। उसके पश्चात आप स्वयं भोजन ग्रहण करें।   

 

व्रत के दौरान इन कार्यों को करने से बचें-

चावल तथा उससे बनी चीजों का सेवन करना वर्जित है।

किसी भी तरह के मांस मदिरा जैसी वास्तुओं का सेवन खाने में न करें। जो मनुष्य व्रत रखता है उसे मांस मदिया तो सामान्य दिनों में भी त्यागना चाहिए लेकिन व्रत के दौरान खास ध्यान रखने की जरुरत है।

किसी भी स्थिति में क्रोध नहीं करना चाहिए तथा अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए।

रात्रि में सोना चाहिए। रात्रि में जागरण करना फलदायी होता है।

 

कामिका एकदशी का महत्व

कामिका एकादशी के दिन नारायण भगवान की पूजा करने से मन को शांति मिलती है। इस एकादशी का व्रत करने से रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं। जो मनुष्य इस एकादशी का व्रत करते हैं उन्हें गंगा स्नान के फल से भी बड़ा फल मिलता है। उनके पितरों के कष्ट भी इस एकादशी के प्रभाव से दूर हो जाते हैं। यदि कोई मनुष्य इस एकादशी के दिन तुलसी से भक्ति पूर्वक भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन करता है तो मनुष्य इस संसार में रहते हुए भी से अलग रहता है जिस प्रकार जल से कमल है। हर मनुष्य को इच्छा होती हैं कि वह अगले जन्म में भी मनुष्य योनि में ही जन्म लें। ऐसे में इस एकादशी का व्रत रखने से वह अपने अगले जन्म को भी निर्धारित कर लेता है और उसका जन्म मनुष्य योनि में निश्चित हो जाता है।  

 

पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं में कामिका एकादशी की किसी तरह की दंत कथाएं तो नहीं है लेकिन इसके महत्व को लेकर अनेक बार चर्चा की गई है। कुंती पुत्र धर्मराज युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण से कहा- हे माधव आप मुझे श्रावण मास की कृष्ण पक्ष की कामिका एकादशी की कथा विस्तार से सुनाएं। इस पर श्री कृष्ण ने कहा- कामिका एकादशी की पावन कथा को ब्रह्मा जी ने लोक हित के लिए नारद जी को बताया कि कामिका एकादशी की कथा श्रवण करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है इस एकादशी के दिन श्री हरि नारायण का पूजन होता है। सूर्य ग्रहण चंद्र ग्रहण और कुरुक्षेत्र में स्नान करने से जो फल मिलता है वही फल इस एकादशी के दिन श्री नारायण की पूजा करने से मिलता है। अपने पापों से मुक्ति पाने के लिए प्रत्येक मनुष्य को कामिका एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए। स्वयं श्री हरि ने कहा है कि कामिका एकादशी का व्रत करने से मनुष्य योनि के अलावा किसी अन्य योनि को धारण नहीं करता। इस एकादशी के दिन विष्णु की को तुलसी अर्पित करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है।

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