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काशी विश्वनाथ मंदिर


Thursday, 18 March 2021
काशी विश्वनाथ मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर

 

पृथ्वी पर भगवान शिव का सबसे प्रिय स्थान काशी को माना जाता है। काशी यानि वाराणसी जो उत्तर प्रदेश जिले का धार्मिक नगर है। यहां पर भगवान शिव ही सबसे आराध्य है। भारत में सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में एक काशी विश्वनाथ मंदिर काशी का वो चमकता सितारा है जिसके प्रकाश में लाखों, करोड़ों भक्तों का जीवन सफल हुआ है। इस मंदिर में भगवान शिव विश्वनाथ के रूप में विराजमान है। श्री विश्वनाथ का मंदिर पवित्र नदी गंगा जी के पश्चिमी तट पर स्थित है, जो 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है और यह भगवान शिव का सबसे पवित्र और प्रिय स्थान है। यहां दर्शन के लिए बड़े-बड़े ऋषि मुनि आए थे। मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना माना जाता है। इस मंदिर में दर्शन के लिए आदि शंकराचार्य, संत एकनाथ, रामकृष्ण परमहंस, स्वामी विवेकानंद जी, महर्षि दयानंद और गोस्वामी तुलसीदास जी भी आए थे। उन्होंने भगवान शिव के दर्शन करके अपना जीवन सफल बनाया था। आपको बता दें कि मंदिर की शोभा महाशिवरात्रि पर अलग ही होती है। महाशिवरात्रि की मध्य रात्रि में काशी विश्वनाथ के मंदिर को भव्य तरीके  से सजाया जाता है। यहां पर शिवरात्रि के मौके पर ढोल नगाड़ों के साथ भगवान शिव की शोभायात्रा निकाली जाती है।

 

काशी विश्वनाथ जी मंदिर का इतिहास

इस मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण राजा हरिश्चंद्र 12 वीं सदी में कराया था। साल 1194 मोहम्मद गोरी ने मंदिर को ध्वस्त करा दिया। जिसके बाद एक बार फिर से श्रद्धा भक्ति ने इस मंदिर को पुनः खड़ा किया। 1447 में एक बार फिर से जौनपुर के सुल्तान महमूद शाह ने मंदिर को तुड़वा दिया। 1585 में राजा टोडरमल की सहायता से पंडित नारायण भट्ट ने मंदिर का निर्माण कराया।

 

 

 

हिंदू-मुस्लिम विवादों का केंद्र रहा मंदिर

 

शी विश्वनाथ जी के मंदिर पर हमेशा विवाद चलता रहा। मंदिर को तुड़वाने के लिए शाहजहां अपनी सेना भेजी लेकिन शाहजहां कामयाब नहीं हो सके। आपको बता दें मंदिर को तुड़वाने का सिलसिला यहीं खत्म नहीं हुआ।1169 में औरंगजेब ने मंदिर को ध्वस्त करने के आदेश दिए। उस दौरान औरंगजेब ने हिंदुओं को मुसलमान बनाने के लिए भी आदेश पारित किया और मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण कराया दिया गया, जो ज्ञानवापी मस्जिद के नाम से जानी जाती है। बाद में मंदिर इंडिया कंपनी के अधीन हो गया और 1809 में काशी के हिंदुओं ने मंदिर तोड़कर बनाई गई ज्ञानवापी मस्जिद पर कब्जा कर लिया। 30 दिसंबर 28 अगस्त को बनारस के तत्कालीन जिला दंडाधिकारी ने वाइस प्रेसिडेंट इन काउंसलिंग को एक पत्र लिखकर ज्ञानवापी जगह को हिंदुओं को देना का आदेश दिया। लेकिन आज भी यह विवाद चलता आ रहा है।

 

काशी विश्वनाथ मंदिर के कुछ रहस्य

कहा जाता है कि गंगा किनारे बसी काशी नगरी भगवान शिव के त्रिशूल की नोक पर बसी है। जहां 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ विराजमान है।

 

 

पुराणों के अनुसार कहा जाता है कि काशी भगवान विष्णु भगवान श्री हरि के आनंद आंसू गिरे थे। जहां पर एक सरोवर बन गया और बिंदु माधव के नाम से भगवान विष्णु यहां पर विराजमान हुए। भगवान महादेव को काशी बहुत ज्यादा पसंद आई। उन्होंने विष्णु भगवान से काशी को अपने आवास के लिए मांग लिया और शिव काशी में विश्वनाथ के रूप में प्रकट हुए।

 

कहा जाता है कि काशी वह नगरी है जहां पर मनुष्य को मोक्ष प्राप्त होता है। मृत्यु होने के पश्चात मोक्ष हेतु मृतक की अस्थियां यही गंगा में विसर्जित की जाती है। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि अधिकतर लोग काशी में अपने जीवन का अंतिम वक्त बिताने के लिए आते हैं और मरने तक यहीं रहते हैं।

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