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कुंडली में विषकन्या योग कैसे बनता है | Kundli main Vish Kanya Yog


Friday, 30 July 2021
Vish Kanya Yog

कुंडली के अंदर बहुत सारे योग बनते हैं जिनमें से कुछ अच्छे होते हैं तो कुछ बुरे होते हैं। ज्योतिष विद्या एक विज्ञान के तरीके से कार्य करती है। यह हमें बताती है कि भविष्य में आने वाली परेशानियों से किस तरीके से बचा जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र में बहुत सारे अच्छे योग का भी जिक्र किया गया है जो कि भाग्य बदल देने वाले होते हैं। अच्छे योग की बात करें तो गजकेसरी योग, राजयोग, हंस योग, बुधादित्य योग, छोटे बड़े कई शुभ फलदायक योग बनते हैं लेकिन वहीं दूसरी तरफ कुंडली में कुछ बुरे योग का भी निर्माण होता है जिनमें पितृदोष, ज्वालामुखी, विषकन्या योग, मांगलिक योग, कालसर्प योग जैसे अशुभ योग भी शामिल हैं जो कि व्यक्ति के लिए कष्टदायक साबित होते हैं।

आज हम बात कर रहे हैं कुंडली में बनने वाले विषकन्या योग की। कई बार इस तरीके की कुंडली व्यक्ति के लिए बर्बादी का भी कारण बन जाती है। ना सिर्फ यह योग स्वयं के लिए बल्कि परिवार के दूसरे व्यक्तियों के लिए भी काफी घातक बताये गए हैं। तो आइए जानते हैं कि कैसे और कब विषकन्या योग का निर्माण हो जाता है-

 

अपनी या अपने बच्चे की कुंडली दिखाओ कहीं है तो नहीं विषकन्या योग?

 

विषकन्या योग कुंडली में | VishKanya Yoga in Kundli

अशुभ योगों में विष कन्या योग सबसे प्रमुख बताया गया है। जैसा कि इसके नाम से ही ज्ञात हो जाता है कि ये योग विष के समान होता है। कुंडली में मौजूद विषकन्या योग जातक के वैवाहिक जीवन में अशांति उत्पन्न करता हुआ नजर आता है। यह एक ऐसा योग है जो दांपत्य जीवन में हानि पहुंचाता है, इससे बचने के लिए विवाह से पहले वर-वधू की कुंडली विद्वान ज्योतिषी के द्वारा जरूर दिखाई जानी चाहिए। विषकन्या योग जातक को पतिहीन, संतानहीन, संपत्तिहीन आदि अशुभ फल देता हुआ नजर आता है।

 

स्त्री की कुंडली में विषकन्या योग का निर्माण:-

नक्षत्र : वार : तिथि- अश्लेषा तथा शतभिषा : रविवार : द्वितीया

कृतिका अथवा विशाख़ा अथवा शतभिषा : रविवार : द्वादशी

अश्लेषा अथवा विशाखा अथवा शतभिषा : मंगलवार : सप्तमी

अश्लेषा : शनिवार : द्वितीया

शतभिषा : मंगलवार : द्वादशी

कृतिका : शनिवार : सप्तमी या द्वादशी

 

कैसे होता है कुंडली में विष कन्या योग का निर्माण

 

कुंडली के अंदर यदि शनि लग्न में सूर्य पांचवे भाव में नवम भाव में मौजूद हो तो विषकन्या योग का निर्माण होता हुआ नजर आता है।

दूसरी स्थिति देखें तो कुंडली के लग्न या फिर प्रथम भाव में पाप ग्रह मौजूद हो दूसरी तरफ कुंडली के अंदर अच्छे ग्रह छठे आठवें और बारहवें भाव में बैठे हो तो भी विषकन्या योग बनता हुआ नजर आता है।

तीसरी स्थिति में देखें कि यदि कुंडली में छठे स्थान पर कोई पाप ग्रह एक या एक से अधिक शुभ ग्रहों के साथ युति बनाए हुए हैं तो भी विषकन्या योग बनता हुआ दिखता है।

इसके अलावा किसी स्त्री की जन्म कुंडली के सातवें भाव में पापी ग्रह बैठा हुआ है और उसके ऊपर कोई दूसरा कोई पापी ग्रह दृष्टि डाल रहा है तो भी विषकन्या योग बन जाता है।

 

कुछ परिस्थितियों में विष कन्या योग खत्म भी हो जाता है-

 

जैसे कि यदि कुंडली में सप्तमेश सातवें भाव के स्वामी अच्छी शुभ स्थिति में मौजूद हो या फिर सप्तम भाव गुरु की दृष्टि से जुड़ा हुआ हो तो विषकन्या दोष दूर हो जाता है।

यदि जन्म कुंडली में विष कन्या योग बन रहा है लेकिन लग्न या लग्न से सप्तम भाव में कोई शुभ ग्रह बैठा हुआ है या दृष्टि संबंध बना रहा है तो विषकन्या दोष दूर होता हुआ नजर आ जाता है।

हालांकि ऐसा भी बोला जाता है कि ऐसा होने के बावजूद भी स्त्री या लड़की की कुंडली से विषकन्या दोष है जो आपको लगता है कि ऊपर बताई स्थिति में खतम हो रहा है उसके बावजूद भी उपाय करा लेने चाहिए।

 

क्लिक कीजिये- विषकन्या योग के उपाय जानने के लिए पंडित जी से बात कीजिए। 

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