कोई भी पूजा बिना आरती के अधूरी ही मानी गई है। उत्तर भारत में कुंज बिहारी जी की आरती का भी विशेष महत्व रहा है। खासकर यदि हम वृंदावन की बात कर रहे हैं तो यहां पर कुंज बिहारी जी की आरती का विशेष आयोजन होता आया है। बिना कुंज बिहारी जी की आरती के भगवान श्री कृष्ण की पूजा आराधना भी अधूरी मानी गई है। हिंदू लोगों को ऐसा लगता है कि कुंज बिहारी जी की आरती केवल और केवल जन्माष्टमी के दिन ही की जानी चाहिए लेकिन ऐसा सत्य नहीं है। कुंज बिहारी जी की आरती का आयोजन आप प्रतिदिन अपने घर में कर सकते हैं। सुबह माता बहन अपने घर में पूजा के समय और खासकर ऐसे लोग जिनके घर में ठाकुरजी हैं और यह लोग श्री कृष्ण जी की पूजा करते हैं तो उन लोगों को घर में कुंज बिहारी जी की आरती सुबह और शाम निश्चित रूप से होनी चाहिए।
कुंज बिहारी जी की आरती को करने से घर में नकारात्मक शक्तियां नहीं आती हैं। साथ ही साथ सभी तरीके के दुख और परेशानियों में भी कमी आती हुई नजर आती है। वृंदावन में जन्माष्टमी के समय जब भगवान श्री कृष्ण राधा के साथ होते हैं तो इस समय कुंज बिहारी जी की आरती आनंद देती हुई प्रतीत होती है। कुंज बिहारी जी की आरती के समय संख, घंटी, करताल बजाए जाते हैं। जन्माष्टमी में श्री कृष्ण जी के जन्म के समय कृष्ण जी का श्रृंगार किया जाता है उन्हें झूला झुलाया जाता है और उसी के समय कुंज बिहारी जी की यह आरती जिसको की कृष्ण आरती भी बोला जाता है यह की जाती है।
एस्ट्रो ओनली आपके लिए कुंज बिहारी जी की विशेष आरती लेकर आया है। आप सभी को अपने परिवार के साथ मिलकर कुंज बिहारी जी की इस आरती का आयोजन अपने घर में निश्चित रूप से करना चाहिए-
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला,
बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,
नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली,
राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,
ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,
देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै ।
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,
अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥
जहां ते प्रकट भई गंगा,
सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,
चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,
बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,
टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की...॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।