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माँ ब्रह्मचारिणी - नवरात्र का दूसरा दिन माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा विधि


Thursday, 31 March 2022
Maa Brahmacharini

Navratri 2022 Day 2  | Maa Brahmacharini | मां ब्रह्मचारिणी

 

Maa Brahmacharini | मां ब्रह्मचारिणी -  नवरात्रि के दूसरे दिन माता  दुर्गा के दूसरे स्वरूप माता ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। पंडितों के अनुसार नवरात्रि के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की पूजा अर्चना की जाती है। कुछ साधक इस दिन अपने मन को माता के चरणों में अर्पित कर देते है। ब्रह्म का अर्थ तपस्या होता है वही चारिणी यानी आचरण करने वाली भी कहा जाता हैं। इस प्रकार ब्रह्मचारिणी का अर्थ हुआ तप का आचरण करने वाली। ब्रह्मचारिणी माता के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल धारण किये हुए होती हैं। 

माता दुर्गा जी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों के अनुसार अनंत फल प्रदान करने वाली होती हैं। इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम में  बढ़ोतरी होती हैं। जो जातक माता ब्रह्मचारी की सच्चे मन से पूजा अर्चना करता हैं।  तो वह भक्त कठिन संघर्षों में भी उनका मन अपने कर्तव्य पथ से विचलित नहीं होता।

माता ब्रह्मचारिणी देवी की कृपा से भक्तों को सर्वत्र सिद्धि और विजय की प्राप्ति होती है नवरात्रि के दूसरे दिन ही माता ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है। 

 

माता दुर्गा के दूसरे स्वरूप ब्रह्मचारिणी की पूजा की विधि : Puja Vidhi Navratri 

 

ज्योतिषाचार्य के अनुसार देवी ब्रह्मचारी की पूजा में सबसे पहले फूल, अक्षत, रोली, चंदन से माता की पूजा की जाती है। तब इसके बाद उन्हें दूध, दही, शर्करा, घृत, व मधु से स्नान करायें फिर माता को प्रसाद अर्पित करते है।  प्रसाद के बाद माता को फिर पान, सुपारी भेंट कर इनकी प्रदक्षिणा की जाती हैं. कलश देवता की पूजा के बाद  इसी प्रकार नवग्रह  देवता, ग्राम देवता, की पूजा भी की जाती है।  माता ब्रह्मचारी की पूजा करते समय सबसे पहले हाथों में एक फूल लेकर प्रार्थना करें।

 

इधाना कदपद्माभ्याममक्षमालाक कमण्डलु

देवी प्रसिदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्त्मा

 

इसके पश्चात माता को पंचामृत स्नान कराएं फिर विभिन्न प्रकार के फूल ,अक्षत, कुमकुम, सिन्दुर, अर्पित करें माता दुर्गा के ब्रह्मचारी स्वरूप को अरूहूल का फूल बेहद प्रिय होते हैं। माता को  इन फूलों की माला पहनाए और अंत में माता की घी व कपूर को मिलाकर देवी की आरती करें।

 

मां ब्रह्मचारिणी का स्रोत पाठ | Shrot Paath Maa Brahmacharini

 

मां ब्रह्मचारिणी का स्त्रोत पाठ

तपश्चारिणी त्वंहि तापत्रय निवारणीम्।

ब्रह्मरूपधरा ब्रह्मचारिणी प्रणमाम्यहम्॥

शंकरप्रिया त्वंहि भुक्ति-मुक्ति दायिनी।

शान्तिदा ज्ञानदा ब्रह्मचारिणीप्रणमाम्यहम्॥

“मां ब्रह्मचारिणी का कवच”

त्रिपुरा में हृदयं पातु ललाटे पातु शंकरभामिनी।

अर्पण सदापातु नेत्रो, अर्धरी च कपोलो॥

पंचदशी कण्ठे पातुमध्यदेशे पातुमहेश्वरी॥

षोडशी सदापातु नाभो गृहो च पादयो।

अंग प्रत्यंग सतत पातु ब्रह्मचारिणी।

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