मृत्यु पर विजय के लिए महामृत्युंजय मंत्र
आपने भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र के बारे में जरूर सुना होगा। ये मंत्र मृत्यु और काल को टालने वाला माना जाता है। इस मंत्र को सबसे ज्यादा शक्तिशाली माना गया है क्योंकि यह एकमात्र मंत्र है जो मृत्यु तक को टाल सकता है। आइए हम आपको बताते हैं कि इस मंत्र का जाप किस स्थिति में करना चाहिए और यह मंत्र प्रभाव क्या क्या है...
भगवान शिव के जिस मंत्र के बात हम कर रहे हैं वह मंत्र है-
ऊँ त्रयंबकम यजामहे सुगंधिंपुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धानान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।।
महामृत्युंजय मंत्र का प्रभाव
भगवान शिव का यह महामृत्युंजय मंत्र मृत्यु और काल को भी टालने वाला होता है। कहा जाता है कि यदि भगवान शिव के इस मंत्र का जाप सच्चे दिल से किया जाता है तो मृत्यु भी टल जाती है।
इस मंत्र के प्रभाव से दुश्मनों पर विजय पाई जा सकती है।
किसी व्यक्ति के बीमार होने पर यदि इस मंत्र का जाप किया जाए तो वह बहुत ही जल्द स्वस्थ हो जाता है।
यदि इस मंत्र का शुद्ध उच्चारण ना किया जाए तो यह मंत्र प्रभावशाली नहीं रहता है।
दुख से निकलने के लिए यह मंत्र बड़ा उपयोगी होता है। दुख के समय में जब भगवान शिव को याद किया जाता है तो वह अपने भक्तों की मदद करने के लिए दौड़े चले आते हैं।
मंत्र के पाठ से रोगों से मुक्ति मिलने के साथ-साथ, पुत्र की प्राप्ति, व्यवसाय में तरक्की, शिक्षा में सफलता भी मिलती है।
मंत्र को जपने का सही तरीका
किसी मंत्र का जाप सही प्रकार से नहीं किया जाता है तो वह मंत्र प्रभावशाली नहीं रहता है इसलिए हर एक मंत्र का उच्चरण बड़ा ही शुद्ध होना चाहिए और महामृत्युंजय मंत्र सभी मंत्रों से ज्यादा कठिन है। इस मंत्र का शुद्ध उच्चारण करना बहुत जरूरी है।
सोमवार के दिन शिव के मंदिर में जाकर इस मंत्र का केवल 11 बार पाठ करें और भगवान शिव से प्रार्थना करते हुए अपने दुखों का कारण बताएं।
इस मंत्र का जाप रुद्राक्ष की माला से आसन पर बैठकर करना चाहिए।
दिन में कम से कम 5 बार इस मंत्र का पाठ जरूर करें। इससे आपके अंदर सकारात्मकता का भाव बढ़ेगा और आपकी मनोकामना पूर्ण होने लगेगी।
भगवान शिव के साथ मां पार्वती कभी पूजन करना भी जरूरी है इसलिए जब भी मंत्र का जाप करें तो भगवान शिव मां पार्वती को याद करते हुए करें।
शुद्ध और पवित्र उच्चारण का ध्यान रखें और यदि आपको मंत्र सही प्रकार से पढ़ना नहीं आता है तो आप पंडित से मंत्र का उच्चारण सीख सकते हैं।
पुत्र की प्राप्ति के लिए इस मंत्र का 1100 बार जाप करना चाहिए।
मंत्र का जाप आप सुबह और शाम कर सकते हैं लेकिन ज्यादा दुख घड़ी में पूरे दिन भी महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जा सकता है।
परिवार में सुख-शांति के लिए और बच्चों की सफलता के लिए 108 बीज वाली माला से 11 बार जाप करें।
अकाल मृत्यु से बचने के लिए महामृत्युंज्य मंत्र का कम से कम सवा लाख बार शुद्ध मन से पाठ करना पड़ता है। जो लोग सवा लाख बार मंत्र को पढ़ते हैं वो अकाल मृत्यु के डर से बाहर निकल जाते हैं।
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