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माँ महागौरी - नवरात्र का आठवां दिन माँ दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा विधि - Astroonly.com


Saturday, 09 October 2021
Navratri

Navratri 2021 Day 8 :  नवरात्रि के 8 मई दिन माता महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है

 

नवरात्रि के अष्टमी पे माता महागौरी की पूजा अर्चना की जाती है, महागौरी को माता दुर्गा का आठवां स्वरूप कहा जाता है। हमारे पुराणों के अनुसार इनकी तेज से ही संपूर्ण विश्व प्रकाशमान है। दुर्गा सप्तशती के अनुसार यह भी कहा जाता है कि राक्षसों से पराजित होने के बाद ही देवताओ ने माता देवी महागौरी से ही अपनी रक्षा की प्रार्थना अर्चना की थी तभी माता ने राक्षसों का वध किया था। माता महागौरी की पूजा करने से शारीरिक क्षमता में भी विकास होता है और मानसिक रूप से भी उनको शांति की  प्राप्ति होती है। इस स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी भी कहा जाता है। 

 

महागौरी की पूजा विधि: Mata Mahagauri Puja Vidhi

 

इस दिन सुबह भक्तों को जल्दी उठ जाना चाहिए और  स्नान करके साफ वस्त्र पहनकर माता के लिए लकड़ी की चौकी लेकर उस पर माता की प्रतिमा या तस्वीर की स्थापना करें। तत्पश्चात उन्हें फूल चढ़ाएं और फिर माता का ध्यान करें माता की घी का दीपक जलाए और फिर मां को फूल और नैवेद्य माता की आरती करें और फिर माता के मंत्रों का जाप करें। इस दिन कन्या पूजन किया जाता है। ९ कन्याओ और एक बालक को पूजा जाता है इन्हें घर बुलाकर भोजन कराया जाता है और फिर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेकर उन्हें विदा कर दे।

 

महागौरी की कथा: Mata Mahagauri mata Katha

 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा कहा जाता है माता पार्वती ने शंकर जी को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए अपने पुराने जन्म में कठोर तपस्या की थी। उसके बाद ही जाकर पार्वती जी को शिवजी पति के रूप में प्राप्त हुए थे। जब माता पार्वती ने शिव जी को प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या कर रही थी तो उनका शरीर धूल मीठी से ढंककर मलिन यानि काला हो गया था। तब उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शंकर जी ने उन्हें दर्शन देकर माता से सरीर को गंगा जल से धोया था तब गौरी जी का शरीर गौर व दैदीप्यमान हो गया था। तबसे माता देवी को महागौरी के नाम से भी जाना जाने लगा।

 

मां महागौरी के मंत्र: Mata Mahagauri Mantra

 

ध्यान मंत्र: Mata Mahagauri Dhyan Mantra

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥

पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।

वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥

पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।

कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

 

स्तोत्र पाठ: Mata Mahagauri Shrot Paath 

 

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।

ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।

डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥

त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।

वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

 

महागौरी की आरती: Devi Mahagauri Aarti

 

जय महागौरी जगत की माया ।

जय उमा भवानी जय महामाया ॥

हरिद्वार कनखल के पासा ।

महागौरी तेरा वहा निवास ॥

चंदेर्काली और ममता अम्बे

जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥

भीमा देवी विमला माता

कोशकी देवी जग विखियाता ॥

हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा

महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥

सती 'सत' हवं कुंड मै था जलाया

उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥

बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया

तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥

तभी मां ने महागौरी नाम पाया

शरण आने वाले का संकट मिटाया ॥

शनिवार को तेरी पूजा जो करता

माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥

'चमन' बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो

महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ॥

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