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मीनाक्षी मंदिर, तमिलनाडु


Thursday, 18 March 2021
मीनाक्षी मंदिर, तमिलनाडु

मीनाक्षी मंदिर, तमिलनाडु

 

मीनाक्षी मंदिर दक्षिण भारत में स्थित सबसे सुंदर और अमीर मंदिरों में से एक है। जो तमिलनाडु राज्य के मदुरई नगर में स्थित है। यो मां पार्वती और भगवान शंकर का मंदिर है। शायद ही आप जानते होंगे कि माता पार्वती ने मीनाक्षी रूप में भी जन्म लिया था और भगवान शंकर ने सुंदरेश्वर रूप में पृथ्वी पर आकर मां मीनाक्षी से विवाह रचाया था। आइए जानते हैं कि मुदरई नगर में भगवान शंकर और माता पार्वती का विवाह किस प्रकार हुआ और मां पार्वती ने मीनाक्षी रूप क्यों धारण किया। साथ ही जानिए मीनाक्षी मंदिर की सुंदरता और इसके इतिहास के बारे में...

माता मीनाक्षी का यह मंदिर सर्वाधिक पवित्र स्थानों में से एक माना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार मां पार्वती ने पांडेय राजा मलयध्वज की पुत्री के रूप में जन्म लिया था। जिसके बाद भगवान शंकर ने मां पार्वती से विवाह करने के लिए प्रकट हुए और उन्होंने मां पार्वती के मीनाक्षी रूप से विवाह कियाष

 

 

मीनाक्षी मंदिर की पौराणिक कथा

कहा जाता है कि एक बार तमिलनाडु के राजा मलयध्वज ने मां पार्वती को खुश करने के लिए घोर तपस्या की और मां पार्वती ने प्रसन्न होकर उन्हें दर्शन दिए। जिसके बाद राजा ने मां पार्वती से वरदान मांगा कि वह उन्हें अपनी पुत्री के रूप में चाहते हैं तब माता पार्वती ने तपस्या से खुश होकर राजा के घर एक पुत्री के रूप में अवतार लिया।  राजा ने उनका नाम मीनाक्षी रखा और मीनाक्षी ने बड़े होने पर नगर का शासन संभाला। इसके बाद भगवान शंकर सुंदरेश्वर रूप में पृथ्वी पर आए और उन्होंने मीनाक्षी देवी के पास आकर विवाह का प्रस्ताव रखा। भगवान शंकर माता पार्वती का विवाह का संचालन स्वयं भगवान विष्णु ने अपने हाथ में लिया लेकिन किसी कारणवश विष्णु जी को आने में विलंब हो गया। किसी और ने मीनाक्षी का विवाह संपन्न करा दिया। जिसके बाद भगवान विष्णु ने क्रोधित होकर मदुरई में कभी ना आने की प्रतिज्ञा ली। तब माता पार्वती और भगवान शंकर ने देवताओं के साथ मिलकर भगवान विष्णु को मना लिया।

कहा जाता है कि इस दिव्य युगल में नगर पर बहुत समय तक शासन किया। इस तरह से शिव-पार्वती के विवाह और भगवान विष्णु को शांत कर मनाना दोनों को ही मदुरई में सबसे बड़े त्यौहार के रूप में मनाया जाता है जिसे  चितिरई तिरुविझा यानि ईश्वर का विवाह कहा जाता है।

 

मीनाक्षी मंदिर की संरचना

 

ये मंदिर को 3500 साल पुराना माना जाता है और इसकी दीवारें लगभग 1500-2000 वर्ष पुरानी हैं। पूरा मंदिर का भवन बड़ा भव्य है जो 45 एकड़ भूमि में बना है। मंदिर के मुख्य मंदिर का निर्माण भव्य तरीके से किया गया। मंदिर की लंबाई 254 मीटर और चौड़ाई 237 मीटर है। हालांकि वर्तमान मीनाक्षी मंदिर का निर्माण 17वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में 8 खंभों पर लक्ष्मी जी की मूर्तियां बनी हुई है। मंदिर के परिसर में एक पवित्र सरोवर भी है जो 165 फीट लंबा और 120 फीट चौड़ा है।

 

शिव मंदिर समूह के मध्य में स्थित है। इस मंदिर में शिव की नटराज मुद्रा भी स्थापित की गई है। साथ ही मंदिर में गणेश मंदिर भी है जिसे मुकुरुनय विनायगर् कहते हैं। कहा जाता है कि भगवान गणेश की मूर्ति सरोवर की खुदाई के समय निकली थी।

 

मीनाक्षी मंदिर के चर्चित त्योहार

मीनाक्षी मंदिर जितना भव्य है उतना ही भव्य यहां पर त्यौहार भी मनाए जाते हैं। यहां पर नवरात्रि और शिवरात्रि बड़े ही धूमधाम से मनाई जाती है। मंदिर में शोभा और पद यात्रा का आयोजन किया जाता है और पूरी तमिलनाडु में बड़ा ही उत्सव का माहौल रहता है। इस मंदिर का मुख्य त्याहौर मीनाक्षी तिरुकल्याणम है जिसे चैत्र मास में मनाया जाता है। 

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