मुंडन मुहूर्त 2021
मुंडन यानि शिशु के जन्म के पश्चात पहली बार उसे सर बार को काटने की परंपरा। जब मां बच्चे को जन्म देती है तो बच्चों के सर पर थोड़े बहुत बाल होते है। इस बार को ऐसे ही सिर्फ सर से उतारा जाता है बल्कि उसके लिए एक शुभ मुहूर्त की जरूरत होती है। यह इसलिए की मान्याता के अनुसार जन्म के पश्चात बच्चों के बाल को उतारने से उसके पिछले जन्म के सभी ऋणों से उसे मुक्ति मिल जाती है। हिन्दु धर्म में मुंडन की विशेष महत्ता है।
सामान्य तौर पर मुंडन एक वर्ष की आयु में कर दिया जाता है परंतु यह भी माना जाता है कि एक जन्म लेने वाला शिशु अगर बालक है तो वह विषम वर्षों जैसे 3,5,7 में मुंडन करना चाहिए। वहीं शिशु अगर बालिका है तो मुंडन के लिए सम नम्बर का उपयोग करना चाहिए।
मुंडन का शुभ मुहूर्त
दिनांक |
आरंभ काल |
समाप्ति काल |
सोमवार, 22 फरवरी |
6:53:49 |
10:58:12 |
बुधवार, 24 फरवरी |
18:07:29 |
30:51:54 |
गुरुवार, 25 फरवरी |
6:50:55 |
13:17:57 |
बुधवार, 03 मार्च |
6:44:49 |
24:23:44 |
बुधवार, 10 मार्च |
14:42:01 |
30:37:13 |
गुरुवार, 11 मार्च |
6:36:06 |
14:41:39 |
बुधवार, 24 मार्च |
6:21:12 |
23:13:07 |
सोमवार, 29 मार्च |
20:56:32 |
30:15:24 |
बुधवार, 07 अप्रैल |
6:05:04 |
26:30:47 |
सोमवार, 19 अप्रैल |
5:52:10 |
24:02:58 |
सोमवार, 26 अप्रैल |
12:46:12 |
29:45:20 |
गुरुवार, 29 अप्रैल |
14:30:21 |
22:12:09 |
सोमवार, 03 मई |
8:22:41 |
13:41:39 |
बुधवार, 05 मई |
13:24:03 |
29:37:35 |
गुरुवार, 06 मई |
5:36:47 |
10:32:38 |
शुक्रवार, 14 मई |
5:44:58 |
29:31:14 |
सोमवार, 17 मई |
5:29:28 |
11:36:14 |
सोमवार, 24 मई |
5:26:08 |
24:13:15 |
गुरुवार, 27 मई |
13:04:36 |
22:29:55 |
सोमवार, 21 जून |
5:23:36 |
13:33:42 |
सोमवार, 28 जून |
14:18:22 |
29:25:28 |
बुधवार, 07 जुलाई |
18:19:30 |
27:23:00 |
मुंडन मुहर्त का महत्व
आदिकाल से चली आ रही इस धार्मिक परम्पराओं को खुद विज्ञान ने सिद्ध किया है। विज्ञान में भी बच्चों को जन्म के पश्चात सर के बाल को काटने की सलाह दी जाती है। दरअसल इसके पीछे जो डॉक्टर्स कारण बताए हैं उनके अनुसा जन्म के पश्चात मनुष्य के बालों पर बहुत से बैक्टीरिया लग जाते है। जिसे कई बार धोने के बाद भी साफ नहीं किया जा सकता इसलिए इसे कुछ माह या साल बाद ही करना चाहिए। गर्भ के बालों को उतार देने से बच्चा टोना – टोटका, बुरी शक्तियों जैसे बुरे प्रभाव डालने वाली चीजों से सुरक्षित रहता है।
मुंडन संस्कार मुहर्त का लाभ
हिंदू धर्म में मुंडन बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। वर्तमान में वैज्ञानिकों ने भी सिद्ध किया है कि जन्म के बाद किया गया मुंडन बहुत ही लाभकारी होता है।
बच्चे के शरीर के तापमान को सामान्य बनाए रखने के लिए जन्म के बाद मुंडन लाभकारी होता है।
जन्म के बाद मुंडन कराने से बच्चों की स्वास्थ्य से संबंधित बहुत सारी परेशानियां हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है।
मुंडन शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए भी बहुत लाभप्रद माना गया है।
जन्म के बाद शुभ समय में मुंडन से बच्चों के शरीर का तापमान सामान्य रहता है।
जिन बच्चों का मुंडन कराया जाता है उन्हें दांत निकलते समय बहुत ही न्यूनतम परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
विज्ञान मानता है कि जन्म के बाद मुंडन कराने से बच्चों के सर पर पड़ने वाले धूप से उन्हें उचित मात्रा में विटामिन डी मिलता है जो कि बच्चों को आरोग्य बनाने के लिए महत्वपूर्ण होता है। विटामिन डी कोशिकाओं में प्रवाह होकर बच्चों के बालों को भी बेहतर बनाने का कार्य करता है। तथा मानसिक तौर पर मजबूत बनाता है।
मुंडन के लाभ को यजुर्वेद में उल्लेखित करते हुए कहा गया है कि बच्चों का सही समय पर मुंडन होने से वह बलशाली, आरोग्य तथा लंबी आयु के होते हैं।
शुभ मुंडन से संबंधित ध्यान रखने वाली महत्वपूर्ण जानकारी
जन्म के तीसरे, पांचवे या सातवे वर्ष में से किसी वर्ष में बच्चों का मुंडन कर देना चाहिए।
जन्म लेने वाले शिशु का मुंडन आषाढ़, माघ और फाल्गुन महीने में कराना चाहिए।
चैत्र, वैशाख और ज्येष्ठ माह में मुंडन कराने से बचना चाहिए। इन माह में हिन्दू धर्म के अनुसार मुंडन को निषेध माना गया है।
बच्चों के मुंडन के लिए द्वितीया, तृतीया, पंचमी, सप्तमी, दशमी, एकादशी और त्रयोदशी ऐसे किसी एक दिन का चयन कर मुंडन करवाना चाहिए।
मुंडन के लिए दिनों का चयन उसके बालक या बालिका होने के आधार पर निर्धारित करता है। बालक के लिए सोमवार, बुधवार, गुरुवार, और शुक्रवार का दिन मुंडन के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। वहीं बालिकाओं के लिए सोमवार, बुधवार और गुरुवार का दिन सबसे शुभ माना जाता है।
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