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नागेश्वर ज्योतिर्लिंग


Friday, 19 March 2021
नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग
12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में आज हम आपको विस्तार से बताएंगे। भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में भक्तों के संकट हरने के लिए  विराजमान रहते हैं। ज्योतिर्लिंगों की महिमा का वर्णन शिव पुराण में भी किया गया है। माना जाता है कि ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही मनुष्य के सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और उसका ध्यान आध्यात्मिक कार्य में लग जाता है

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग गुजरात राज्य में स्थित है। जो द्वारका धाम से 16 किलोमीटर की दूरी पर है। मंदिर खूबसूरत ज्योतिर्लिंगों में से एक है। यहां पर भगवान शिव के 80 फीट की ऊंचाई वाली मूर्ति स्थापित की गई है। मूर्ति में भगवान शिव अद्भुत रूप में विराजमान है। नागेश्वर का मतलब नागों का देवता है मंदिर में ज्योतिर्लिंग के ऊपर चांदी का नाग बना हुआ है। जो हमेशा ज्योतिर्लिंग की रक्षा करता है। शिवलिंग गोल काले पत्थर की बनी हुई है। यहां पर शिवलिंग के साथ मां पार्वती की भी पूजा की जाती है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग की कथा के बारे में कहा जाता है सुप्रिय नाम का भगवान शिव का एक सच्चा भक्त था। जिसके मुख पर सुबह-शाम, दिन रात केवल शिव का नाम ही रहता था। उसकी भक्ति को दारूक नाम का राक्षक भंग करना चाहता था। एक बार सुप्रिय नाव में कहीं बाहर जा रहा था कि राक्षक दारूक ने मौका देखते ही उस पर आक्रमण कर दिया और कैद करके ले गया। दरअसल, दारूक को शिव भक्त पसंद नहीं थे। जिससे वो किसी भी शिव भक्त को नहीं छोड़ता था। सुप्रिय को उस राक्षक ने एक कारागार में बंद कर दिया और घोर यातनाएं देने लगा। सुप्रिय ने लगातार कारागार में भी अपनी भक्ति को कम ना होने दिया और शिव की पूजा करता रहा। जब राक्षक दारूक का इस बात का पता चला तो वो क्रोध से भर गया और कारागार में गया उसने वहां देखा कि सुप्रिय अपनी भक्ति में लीन है। उसने गुस्से में सुप्रिय को भला बुरा कहा मगर सुप्रिय शिव के ध्यान में लगा रहा। राक्षक ने गुस्से में आकर सुप्रिय को मारने का आदेश दिया। सुप्रिय मारने का आदेश सुनकर भी भयभीत ना हुआ। वह एकाग्र मन से राक्षको का वध करने की प्रार्थना करता रहा। उसकी भक्ति को देखकर भगवान शिव ने प्रसन्न होकर कारागार में एक ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए और उन्होंने सुप्रिय को एक शक्तिशाली अस्त्र प्रदान किया। सुप्रिय ने शिव के अस्त्र से दारूक राक्षक वध कर दिया और शिव धाम चला गया। जिस ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव ने अपने भक्त को दर्शन दिए थे उसे नागेश्वर ज्योतिर्लिंग कहा गया।

 

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग में दर्शन का समय

  नागेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। मंदिर सुबह 6 बजे दर्शनों के लिए खोल दिया जाता और दोपहर 12.30 पर मंदिर को बंद किया जाता है। शाम के समय 5 बजे से 9.30 बजे तक दर्शन किए जाते हैं।

मंदिर में शिवरात्री का उत्सव

यहां पर भगवान शिव ध्यान मुद्रा में लीन है। जिससे मंदिर और भी ज्यादा शक्तिशाली माना जाता है। यहां पर शिवरात्री का उत्सव बड़े ही धुमधाम के साथ मनाया जाता है। बोल बम के जयकारे चारो दिशाओं में गूंज उठते हैं।

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