नटराज मंदिर, तमिलनाडू
ज्यादातर मंदिर में भगवान शिव शिवलिंग के रूप में विराजमान रहते हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बता रहे हैं। जहां पर भगवान अद्भुत रूप में विराजमान हैं। तमिलनाडु के चिदंबरम शहर शिव नटराज अवतार में विराजमान है। इस मंदिर का नाम नटराज मंदिर है। जो शिव को समर्पित है। यह मंदिर बेहद विशाल और खूबसूरत है। जो कलाकृतियों के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। मंदिर की वास्तुकला और आध्यात्मिकता बड़ी सुंदर और विचित्र है।
नटराज से रूप में भगवान शिव
कहा जाता है कि भगवान शिव ने यहां आनंद नृत्य की प्रस्तुति की थी इसलिए इस जगह को आनंद तांडव के नाम से भी जाना जाता है। ये मंदिर भारत के 5 सबसे पवित्र शिव मंदिरों में से एक है। नटराज को भरतनाट्यम नृत्य के देवता कहा जाता है। भगवान शिव नटराज के रूप भक्तों का उद्धार करते हैं। इस मंदिर में भगवान शिव के नटराज रूप को देखने के लिए भक्तों का तांता लगा रहता है। यहां पर मंदिर की बनावट को देखने के लिए कुछ तय राशि देनी पड़ती है।
नटराज मंदिर का इतिहास
1. माना जाता है कि मंदिर का निर्माण 12वीं और 13वीं शताब्दी में कराया गया था। हालांकि मंदिर के इतिहास का कोई प्रमाणित साक्ष्य नहीं है। 7वीं शताब्दी से लेकर 16 वीं शताब्दी तक राजवंश परिवार ने मंदिर की रक्षा की और मंदिर में बड़े बड़े बदलाव कराएं। चोला, पल्लव, पंड्या और चेरा वंश के राजाओं ने मंदिर में बहुत-सी कलाओं को प्रदर्शित कराया। राजवंश परिवारों ने इसकी संरचना को सबसे अद्भुत और अलौकिक बनाया।
नटराज या चिदंबरम मंदिर की संरचना
चिदंबरम मंदिर तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई से 45 किलोमीटर दूर चेन्नई तंजावुर मार्ग पर स्थित है। जो 40 एकड़ में बना है। मंदिर का निर्माण द्रविड़ वास्तुशैली में किया गया है। मंदिर बेहद विशाल है और इसके अंदर जाने के 9 दरवाजे बने हुए है। जिनमें से चार पर ऊंचे गोपुरम बने हुए हैं। गोपुरम मे 7 स्तंभ है और दक्षिण में बना स्तंभ सबसे पुराना और सुंदर है। इन स्तंभों पर नाट्य शास्त्र के भारतनाट्यम करने के 108 प्रकार दर्शाए गए हैं। हर एक गोपुरम पर शिव के भिक्षाटन, कंकाल, कल्याणसुंदर आदि रूपों को बनाया गया है। मंदिर की दीवारों की बड़ी सुंदरता के साथ नक्काशी की गई है। दीवारों पर नगाड़ा बजाने वाले और संगीतकारों की मूर्ति भी बनाई गई है। मंदिर के शिखर पर सोने के कलश लगाए गए हैं। मंदिर परिसर में एक सरोवर भी बना हुआ है। जिसे शिवगंगा कहा जाता है। यहां पर देवी सिवगामी का भी मंदिर बना है। नटराज मंदिर के भवन में गोविंदराज और पंदरीगावाल्ली के मंदिर भी बने हुए हैं।
नटराज मंदिर की विशेषताएं
नटराज मंदिर में कांस्य की प्रतिमाएं मौजूद है। जो चोल काल की बताई जाती हैं।
मंदिर के पूर्वी दिशा में एक कुआं बना है। जहां से पूजन के लिए जल लिया जाता है। इस कुएं का नाम परमानंद कूभम चित सभई है।
मंदिर की सबसे अनोखी विशेषता यह है कि यहां पर भगवान शिव नटराज की बेजल वाली छवि है। जो शिव को भारतनाट्यम के गुरु के रूप में दर्शाती है।
यहां पर बने अधिकतर मंदिर रथ के रूप में बनाए गए हैं और रथ को खींचने के लिए घोड़े भी बने हैं।
मंदिर में होने वाले उत्सव को बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यहां मंदिर की कार का उपयोग साल में दो बार जूलूसो के लिए किया जाता है। इसे त्योहारों पर भक्त बड़ी संख्या में खींचते हैं।
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