नीलकंठ महादेव, ऋषिकेश
भगवान शंकर हमेशा अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। उन्हें जब भी किसी ने भी सच्चे मन से बुलाया है वो दौड़े चले आते हैं। भगवान शिव को नीलकंठ महादेव भी कहा जाता है। जब शिव ने समुद्र मंथन से निकला हुआ विष पिया तो वे नीलकंठ महादेव कहलाए और उन्हीं नीलकंठ महादेव जी का मंदिर ऋषिकेश में स्थित है। ऋषिकेश को भारत की योग राजधानी भी कहा जाता है। नीलकंठ महादेव का मंदिर ऋषिकेश का प्रमुख धार्मिक स्थल है। आइए जानते हैं नीलकंठ महादेव की महिमा
नीलकंठ महादेव की महिमा निराली है। मान्यता है कि एक बार सावन मास में समुद्र से विष का प्याला निकला तो देवता और दानव भयभीत हो गए। यह विष का प्याला दानव और देवताओं में से कोई भी सहन नहीं कर सकता था। इसलिए सभी देवताओं ने मिलकर भगवान शंकर की आराधना की और भगवान शंकर ने अपने भक्तों की प्रार्थना सुनकर जगत की रक्षा के लिए विष का प्याला को अपने कंठ में समा लिया और शिव नीलकंठ महादेव कहलाए। विष इतना कठिन था कि शिव का कंठ नीला हो गया था जिसे शांत करने के लिए देवताओं ने उन पर जल की धारा प्रवाहित की। जब से शिव शंकर पर जल चढ़ाने का महत्व है। चुंकि समुद्र मंथन सावन मास में हुआ था इसीलिए ही भगवान शिव पर सावन मास में जल चढ़ाने का विशेष महत्व है।
नीलकंठ महादेव की महिमा
नीलकंठ महादेव जी का मंदिर ऋषिकेश से लगभग 5500 फीट की ऊंचाई पर स्वर्ग आश्रम की पहाड़ी की चोटी पर है। ये मंदिर पर्वतों से घिरा सुंदर मंदिर है। ये भगवान शिव का ऐसा मंदिर है जिसकी नक्काशी देखने लायक है। मंदिर के शिखर को बड़ी सुंदरता से सजाया गया है। शिखर क तल पर समुद्र मंथन का कहानी को चित्रों से दर्शाया गया है। जिसे देखकर मन प्रफुल्लित हो जाता है।
नीलकंठ महादेव की यात्रा
नीलकंठ महादेव की यात्रा हरिद्वार ऋषिकेश यात्रा का तीसरा पड़ाव है। यहां भगवान भोलेनाथ के दिव्य दर्शन करने को मिलते हैं। नीलकंठ महादेव का मंदिर पहाड़ी पर है। जिसका रास्ता काफी जोखिम भरा है इसलिए वहां पर जाना आसान नहीं है। जिनके मन शिव की भक्ति में लीन होता है वो ही नीलकंठ महादेव के दर्शन कर पाते हैं।
सावन के महीने में यहां पर श्रद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं और नीलकंठ महादेव पर जल समर्पित करते हैं। मान्यता है कि यहां पर जल चढ़ाकर कावड़ियां कावड़ लेकर जाते हैं। इस मंदिर में साल में दो बार महाशिवरात्रि के मौके पर मेला लगाया जाता है जिसे देखने के लिए बहुत दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।
नीलकंठ महादेव मंदिर के परिसर में कपिल मुनि और गणेश जी की मूर्ति स्थापित है। मंदिर के ठीक सामने पहाड़ी पर माता पार्वती का एक मंदिर है।
नीलकंठ महादेव जी के मंदिर में एक परम पवित्र धूनि जलाई जाती है। इस धूनी की भभूत श्रद्धालु प्रसाद के तौर पर अपने घर ले जाते हैं और सभी कष्टों से मुक्ति पाते हैं।
नीलकंठ महादेव मंदिर जाने से भगवान शंकर खुश होते हैं। जो भी भक्त भगवान शंकर की पूजा अर्चना करते हैं उन्हें एक बार जरूर नीलकंठ महादेव के मंदिर में जाना चाहिए।
कहा जाता है कि यदि आप चार धाम की यात्रा नहीं कर पाए तो एक बार नीलकंठ महादेव के मंदिर की यात्रा करने से वैसा ही फल मिलता है। नीलकंठ महादेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ पर जल चढ़ाने से संकट कट जाते हैं।
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