ओंकारेश्वर मंदिर, मध्यप्रदेश
मध्यप्रदेश का सबसे प्रसिद्ध मंदिर ओंकारेश्वर भगवान शिव को समर्पित है। जो ये मध्यप्रदेश और देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर के पास स्थित है। नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर ये मंदिर बना है। कहा जाता है कि ओंकारेश्वर महादेव एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान शिव शयन करते हैं। बता दें कि ओंकारेश्वर महादेव 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल है। इस मंदिर को भगवान शिव का सबसे प्रिय मंदिर कहा जाता है। आइए जानते है ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के बारे में जानते हैं
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर परिसर
ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग ऊं का आकार लिए हुए है इसलिए इसे ओंकारेश्वर नाम से पुकारा जाता है। मंदिर परिसर के बारे में बता दें कि ओंकारेश्वर महादेव जी का मंदिर बहुत भव्य है। ये पांच मंजिला है। जिसकी पहली मंजिल पर महाकालेश्वर का मंदिर, तीसरी पर सिद्धनाथ महादेव जी स्थित हैं तो चौथी मंजिल पर गुप्तेश्वर महादेव और पांचवी मंजिल पर राजेश्वर महादेव जी का मंदिर बना हुआ है। ओंकेश्वर महादेव जी का मंदिर भव्यता के लिए विश्व भर में प्रसिद्ध है। यहां पर अनेक मंदिर बने हुए हैं। नर्मदा के दोनों दक्षिणी और उत्तरी तट पर मंदिर हैं। साथ ही यहां अमलेश्वर ज्योतिर्लिंग नर्मदा जी के दक्षिण तट पर विराजमान है। ओंकारेश्वर जी और कमलेश्वर जी दोनों शिवलिंग को ज्योतिर्लिंग माना गया है।
भगवान शिव करते हैं ओंकारेश्वर में शयन
भगवान शिव के विश्व भर में लाखों की संख्या में मंदिर है लेकिन केवल ओंकारेश्वर महादेव जी का एकमात्र मंदिर ऐसा है। जहां पर भगवान शिव शयन करते हैं। भगवान शिव प्रतिदिन तीनों लोकों के भ्रमण के पश्चात यहां आकर विश्राम करते हैं। मंदिर में दिनभर दर्शनों के बाद रात के समय शयन आरती की जाती है। शयन आरती के बाद ज्योतिर्लिंग के सामने भगवान के सोने के लिए अद्भुत सेज सजाई जाती है। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के कुछ पंडित गुप्त आरती भी करते हैं। उस वक्त वहां पर पुजारियों के अलावा कोई भी गर्भ ग्रह में नहीं जा सकता है।
ओंकारेश्वर मंदिर का इतिहास
मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि नर्मदा नदी के किनारे राजा मांधाता ने ओंकार पर्वत पर भगवान शिव को खुश करने के लिए घोर तपस्या की। राजा ने इतनी कठिन तपस्या की थी कि भगवान शिव को राजा को दर्शन देने के लिए आना ही पड़ा। शिव ने दर्शन देकर राजा से वर मांगने को कहा तब राजा मांधाता ने भगवान शिव से वरदान मांगा कि वो नर्मदा के किनारे विराजमान हों। तब से प्रसिद्ध ओंकारेश्वर महादेव जी प्रकट हुए और ये सबसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थान बन गया।
कुबेर की घोर तपस्या
माना जाता है कि ओंकारेश्वर महादेव मंदिर में शिव भक्त कुबेर ने तपस्या की थी। तपस्या के लिए वहां पर शिवलिंग की स्थापना की गई। देवताओं ने शिव की आराधना से खुश होकर कुबेर को धन का देवता बना दिया। कुबेर ने अपनी कठिन तपस्या से शिव को खुश कर लिया और कुबेर के स्नान के लिए भगवान शिव ने अपनी जटा के बाल से कावेरी नदी उत्पन्न की थी। यह नदी कुबेर मंदिर के पास से बहकर नर्मदा जी में मिलती है। यहां पर कुबेर जी के दर्शन के लिए भी भारी संख्या में भक्त आते हैं।
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