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परिवर्तिनी एकादशी


Saturday, 20 March 2021
परिवर्तिनी एकादशी

परिवर्तिनी एकादशी 2021: व्रत, मुहूर्त और पूजा विधि

एकादशी का व्रत सभी व्रतों में सबसे उत्तम बताया गया है। इस व्रत को जीवन में एक बार जरूर करना चाहिए।  साल में 24 एकादशी होती है। जिसमें से एक एकादशी में भगवान विष्णु के वामन अवतार का पूजन किया जाता है। जिस एकादशी में भगवान विष्णु के वामन अवतार का पूजन किया जाता है। उस एकादशी का नाम परिवर्तिनी है। यह एकादशी 2021 में किस तारीख को और किस पूजा विधि के साथ मनाई जाएगी। आइए जानते हैं...

परिवर्तिनी  एकादशी: 17 सितंबर 2021, शुक्रवार
एकादशी तिथि आरंभ:  0 9:40PM ( 16 सितंबर 2021)
एकादशी तिथि समापन:  08:10 PM (17 सितंबर)
पूजा मुहूर्त: 06: 14AM से 8: 36AM तक

एकादशी पर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है और परिवर्तिनी  एकादशी पर भगवान विष्णु के वामन अवतार का पूजन किया जाता है। कहा जाता है कि भगवान विष्णु इस एकादशी के दिन सोते हुए करवट लेते हैं। बता दें कि भगवान विष्णु 4 महीने तक सोते हैं और देवउठनी एकादशी को उठते हैं। परिवर्तिनी एकादशी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष में आती है। परिवर्तिनी  एकादशी पर भगवान करवट लेते हैं इसीलिए इसका नाम परिवर्तिनी  पड़ा है लेकिन इसे पार्शव एकादशी, वामन एकादशी, डोल ग्यारस, जयझूलनी और जयंती एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। लोग श्रद्धा के साथ इस एकादशी का व्रत रखते हैं। कहा जाता है कि जो भी इस एकादशी का व्रत रखता है वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।

परिवर्तिनी  एकादशी पूजा विधि
प्रात काल उठकर स्नान के पश्चात भगवान विष्णु की पूजन की तैयारी करें। सबसे पहले भगवान विष्णु की मूर्ति की स्थापना करके मुहूर्त के अनुसार उनकी पूजा अर्चना शुरू करें।

भगवान विष्णु का रोली चंदन से तिलक करने के बाद उन्हें तुलसी, पुष्प चढ़ाएं आदि अर्पित करें।

भगवान विष्णु के सामने दीप प्रज्वलित करें और एक लोटे में जल भरकर उसमें चीनी के दानें डाल लें और परिवर्तिनी एकादशी की कथा सुनें।

 

कथा सुनने के बाद लोटे के जल को तुलसी को अर्पित कर दें और भगवान विष्णु की धूप दीप से आरती उतारें।

आरती के बाद भगवान को प्रसाद का भोग लगाएं।

इस दिन तुलसी की माला से कम से कम 108 बार अवश्य ही ओम नमो नारायण भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें।

पूरे दिन अच्छे से व्रत रखने के बाद शाम को फिर से भगवान विष्णु का पूजन करें और उनकी आरती करने के बाद प्रसाद का भोग लगाएं।

इस दिन नमक नहीं खाना चाहिए। व्रत पूरा होने के बाद अगले दिन द्वादशी को प्ले के लिए गाय माता को आटे

की लोई और गरीबों में अन्न दान करें।

परिवर्तिनी एकादशी का महत्व
इस एकादशी का व्रत करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। मनुष्य द्वारा किए गए सभी पापों का नाश होकर उसे मृत्यु के बाद बैकुंठ धाम मिलता है। इस व्रत के प्रभाव से धन-धान्य में कभी कोई कमी नहीं रहती और व्रती पर भगवान विष्णु की कृपा हमेशा बनी रहती है। जो जीवन में एक बार भी परिवर्तिनी एकादशी का विधिवत् व्रत करता है उसे जन्म-जन्म के पाप नष्ट हो जाते हैं।

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