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पौष पूर्णिमा


Wednesday, 17 March 2021
पौष पूर्णिमा

पौष पूर्णिमा हिंदुओं के लिए महत्वपूर्ण दिनों में से एक है जो हिंदू कैलेंडर में पौष के महीने में पूर्णिमा तिथि पर पड़ता है। इसे शाकंभरी जयंती भी कहा जाता है। इस दिन हजारों श्रद्धालु पवित्र गंगा और यमुना नदियों में स्नान करते हैं। ग्रेगोरियन कैलेंडर में, पौष पूर्णिमा दिसंबर-जनवरी के महीनों में मनाई जाती है। वहीं पौष पूर्णिमा 2021 में 28 जनवरी को गुरुवार के दिन पड़ने वाली है।

 

पौष पूर्णिमा के अवसर पर, प्रयाग संगम (नदियों गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम) पर हिंदू श्रद्धालु दूर-दूर से आते है पवित्र नदियों में नहाते है। यह माना जाता है कि इस तरह के कृत्य से सभी पापों से छुटकारा मिल जाता है। यहां तक कि पिछले जन्मों से भी। प्रयाग के अलावा, अन्य प्रमुख तीर्थ स्थान हैं नासिक, इलाहाबाद और उज्जैन माने जाते है।

 

पौष पूर्णिमा को पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है और इस दिन देश के विभिन्न हिस्सों में हिंदू मंदिरों में विशेष अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं। कुछ स्थानों पर, पौष पूर्णिमा को शाकंभरी जयंती के रूप में भी मनाया जाता है और इस दिन देवी शाकंभरी को अत्यंत श्रद्धा के साथ पूजा जाता है। नौ दिनों तक चलने वाले शाकंभरी नवरात्रि उत्सव का समापन भी पौष पूर्णिमा से होता है। छत्तीसगढ़ में लोग इस दिन 'चरता' त्योहार मनाते हैं। यह एक महत्वपूर्ण फसलों का उत्सव भी है जिसे आदिवासी समुदायों द्वारा बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है।

 

पौष पूर्णिमा के दौरान अनुष्ठान

 

पौष पूर्णिमा के दिन स्नान करना सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। भक्त बहुत जल्दी उठते हैं और सूर्योदय के समय पवित्र नदियों में स्नान करते हैं। वे उगते सूरज को 'अर्घ्य' और कुछ अन्य धार्मिक प्रथाओं को भी करते हैं।

 

स्नान के बाद, भक्त जल के साथ 'शिव लिंग' की पूजा करते हैं और कुछ समय साधना में बिताते हैं।

 

भक्त इस दिन सत्यनारायण भगवान का भी व्रत रखते हैं और पूरी श्रद्धा के साथ भगवान विष्णु की पूजा करते हैं। इसके अलावा भक्तजन 'सत्यनारायण' की कथा का पाठ भी करते हैं। प्रभु को चढ़ाने के लिए विशेष प्रसाद तैयार किया जाता है। प्रसाद चढ़ाने के बाद सभी में बांट दिया जाता है जिसके बाद एक आरती की जाती है। पौष पूर्णिमा के दिन, पूरे भारत में भगवान कृष्ण के मंदिरों में विशेष 'पुष्यभिषेक यात्रा' निकाली जाती है। इस दिन रामायण और भगवद् गीता पर व्याख्यान भी आयोजित किए जाते हैं।

 

पौष पूर्णिमा पर दान पुण्य करना भी बहुत शुभ होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन किया गया दान आसानी से फल जाता है। वहीं मंदिरों और आश्रमों में जरूरतमंदों को नि: शुल्क भोजन परोसा जाता है।

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