(पितृपक्ष | Pitra Paksha) पितृपक्ष की बात करें तो पितृपक्ष की शुरुआत साल 2021 में 20 सितंबर से होती हुई नजर आएगी। पितृपक्ष का आरंभ आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से होता है और समापन की बात करें तो यह आश्विन मास की अमावस्या यानी पितृ अमावस्या पर होता हुआ नजर आता है। इन 15 दिनों में जो लोग अपने पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करना चाहते हैं उनके लिए यह विशेष महत्व रखता है। ऐसी मान्यता है कि हम अपने पूर्वजों से इन 15 दिनों में जुड़ते हुए नजर आ सकते हैं। इसलिए पितरों का यह त्यौहार श्राद्ध के रूप में सालों से चलता हुआ नजर आ रहा है।
पितरों के लिए समय शास्त्रों में निर्धारित किया गया है। इन दिनों में लोग अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनके प्रति श्रद्धा प्रकट करते हुए नजर आते हैं। यदि कुंडली में पित्र दोष जैसी स्थिति बनी हुई रहती है तो इन दिनों में विशेष पूजा के द्वारा उस दोष को खत्म किया जाता है। पिंडदान के द्वारा पित्र दोष संबंधी दोष का उपाय किया जाता है। इस बार 20 सितंबर से यह पितृपक्ष शुरू होते हुए नजर आएंगे और अंतिम श्राद्ध 6 अक्टूबर को होता नजर आएगा।
तो आइए जानते हैं कि पितृपक्ष में वह कौन सी बातें हैं जिनका हम सभी को ध्यान रखना चाहिए-
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पितृपक्ष के लिए यह बात बताई गई है कि यदि आप पितृपक्ष के दिन किसी ब्राह्मण को अपने घर पर भोजन के लिए बुला रहे हैं तो इसके लिए दोपहर का समय रखना चाहिए। माना जाता है कि यह समय पित्र पूजन के लिए सबसे अच्छा समय होता है। पितरों के लिए दान इसी समय में करना चाहिए। यदि आप भोजन किसी गाय को चारा और कुत्ते को रोटी दे रहे हैं तो इसके लिए भी आप यही समय चुनें।
पित्र पक्ष के अंदर यदि या पितरों के लिए भोजन बना रहे हैं तो इसके लिए लोहे के बर्तनों का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। मान्यता है कि पितृपक्ष में लोहे के बर्तनों का प्रयोग बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। इससे परिवार के मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता हुआ नजर आता है। साथ ही साथ यह घर में आर्थिक तंगी भी बढ़ाता हुआ दिखता है और घर में कलेश भी बढ़ जाता है। 15 दिनों में लोहे के किसी भी बर्तन का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और खासकर जब पितरों के लिए भोजन बनाए तब तो किसी भी स्थिति में लोहे का बर्तन इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
ऐसी मान्यता है कि जिस दिन आप अपने पितृपक्ष पर घर में श्राद्ध कर रहे हो उस दिन शरीर के किसी भी अंग पर तेल नहीं लगाना चाहिए।
इसके साथ-साथ श्राद्ध वाले दिन पान भी खाने की मनाही बताई गई है और आपको दाढ़ी और बाल नहीं कटवाने हैं। दाढ़ी और बाल के प्रति यह भी मान्यता है कि इन 15 दिनों में दाढ़ी और बाल नहीं बनाए जाते हैं। पित्र पक्षों के प्रति शास्त्रों में यह भी लिखा गया है कि इन 15 दिनों में कोई भी नया कार्य शुरू नहीं करना चाहिए। यहां तक की कोई नई खरीदारी भी नहीं करनी चाहिए। समय में पूरा ध्यान केवल और केवल पितरों की आत्मा को कोई तरफ लगाना चाहिए और यदि उनसे संवाद स्थापित करना है तो किसी भी नई वस्तु की तरफ ध्यान नहीं भटकाना चाहिए। इसलिए पितृपक्ष में कोई भी नया काम करने की मनाही है और नई वस्तु नहीं खरीदनी चाहिए।
इसके साथ-साथ यह भी बोला गया है कि पितृपक्ष में आपके घर के द्वार से कोई भी भिक्षुक या जानवर खाली हाथ या खाली पेट नहीं लौटना चाहिए। शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि पितरों की आत्मा किसी भी रूप में हमारे द्वार पर आ सकती है इसलिए कोई भी भीक्षु या फिर जानवर द्वार से भूखा नहीं लौटना चाहिए।
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