प्रदोष व्रत
आज हम आपको भगवान शिव और माता पार्वती के लिए रखे जाने वाले सबसे पवित्र व्रत के बारे में बताने जा रहे हैं। इस व्रत का नाम प्रदोष व्रत है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, प्रदोष व्रत मास के तैरहवें दिन यानी त्रयोदशी को आता है। यह व्रत पूरे साल में 24 बार आता है और यदि अधिक मास हो तो 26 बार यह व्रत आता है। एक माह में दो बार यह व्रत रखा जाता है।, हम आपको श्रावण मास के शुक्ल पक्ष के प्रदोष व्रत के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं कि सावन मास के शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत कब पड़ रहा है।
सावन मास प्रदोष शुक्ल पक्ष व्रत: 20 अगस्त, 2021 शुक्रवार
प्रदोष व्रत का महत्व
इस व्रत का बड़ा ही महत्व है। यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती का व्रत है। जिसमें विधि विधान से पूजा अर्चना करके भगवान शिव को मनाया जाता है।
जो भी सुहागन स्त्री इस व्रत को रखती है उसका गृहस्थ जीवन हमेशा कुशल और मंगलमय रहता है।
कुंवारी कन्या यदि इस व्रत को करती हैं तो उन्हें मनपसंद वर मिलता है और उनका गृहस्थ जीवन अच्छा रहता है।
इस व्रत को करने से संतान की प्राप्ति होती है। भगवान भोलेनाथ और मां पार्वती हर एक मनोकामना को पूर्ण कर देते हैं।
इस व्रत को सभी व्रतों में सर्वोपरि माना जाता है। सावन मास के शुक्ल पक्ष में यह व्रत शुक्रवार को पड़ रहा है और कहा जाता है कि शुक्रवार के दिन प्रदोष व्रत रखने से सौभाग्य और दांपत्य जीवन के सुख शांति मिलती है।
प्रदोष व्रत करने की विधि
प्रात: सवेरे उठे और नहा धोकर पूजन के लिए थाली तैयार करके मंदिर जाएं।
पूजन की थाली में धूप, दीप, कलावा, नारियल, दूध, भी प्रसाद और दीपक रखें।
यदि व्रत स्त्री अपने सुहाग के लिए करें तो मां पार्वती के लिए श्रृंगार का सामान भी मंदिर में लेकर जाएं।
पहले भगवान शिव को दूध, शहद से स्नान कराकर शुद्ध जल से स्नान कराएं।
फिर मां पार्वती को श्रृंगार का सामान चढ़ाएं और भगवान शिव और पार्वती को नारियल चढ़ाकर रोली से तिलक करें।
पूजन करते समय मंत्रों का जाप करते रहें और भगवान की आरती करें। जिसके बाद में प्रसाद का भोग लगाकर मंदिर में ही प्रसाद बांट दें।
इस व्रत में फलाहार लिया जाता है और यह व्रत हमेशा मीठे किया जाते है। इस व्रत में नमक नहीं खाना खाना चाहिए।
प्रदोष यानी त्रयोदशी का व्रत सप्ताह के कोई से भी दिन पड़ जाता है। जिनका फल कुछ इस प्रकार से मिलता है...
सोमवार: यदि प्रदोष का व्रत सोमवार को पड़े तो यह बड़ा ही शुभ माना जाता है। संतान की प्राप्ति और गृहस्थ जीवन के लिए यह व्रत करना शुभ होता है।
मंगलवार: यदि प्रदोष का व्रत मंगलवार को पड़े तो माता लक्ष्मी की कृपा मिलती है और लिए गए उधार से छुटकारा मिलता है।
बुधवार: बुधवार को व्रत रखने पर सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।
गुरुवार: प्रदोष का व्रत गुरुवार के दिन रखने से शत्रु पर विजय पाई जा सकती है।
शुक्रवार: सौभाग्य प्राप्ति के लिए शुक्रवार के दिन प्रदोष का व्रत रखा जाता है।
शनिवार: शनिवार के दिन व्रत रखने से जीवन में सुखों की की कमी नहीं होती।
रविवार: यदि प्रदोष व्रत के दिन रविवार पड़े तो रोगों से मुक्ति मिलती है।
ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।