प्रीमियम ज्योतिषियों से बात करें
अभी कॉल करे

पौष पुत्रदा एकादशी 2021


Wednesday, 17 March 2021
 पुत्रदा एकादशी

पौष पुत्रदा एकादशी 2021

तिथि- 24 जनवरी 2021

 

संसार में मां होना सबसे बड़ा सुख है। इस सुख को प्राप्त करने के उद्देश्य से पौष मास में शुक्ल पक्ष को व्रत रखा जाता है। इसी को पौष पुत्रदा एकादशी कहा जाता है। पौष पुत्रदा अर्थात पुत्र की प्राप्त के लिए रखा जाने वाला व्रत। पौष पुत्रदा का व्रत महिलाएं पुत्र की प्राप्ति के लिए तथा उनकी रक्षा के लिए रखती है। भगवान विष्णु की अराधना इस दिन महिलाएं करती है ताकि भगवान विष्णु अपने सुदर्शन चक्र से उनके पुत्र की रक्षा सदैव करते रहें।

 

पौष पुत्रदा एकादशी शुभ मुहूर्त

तिथि- 24 जनवरी

समय- 25 जनवरी को प्रातः 07:12:49 से 09:21:06 तक

समयावधि- 2 घंटे 8 मिनट

 

 

पौष पुत्रदा एकादशी पूजा विधि

पौष पुत्रदा एकादशी का सीधा संबंध भगवान चक्रधारी भगवान विष्णु की अराधना से है। इस दिन भगवान विष्णु की अराधना के साथ-साथ व्रत की निम्न विधियों का सही तरकी से अनुपालन करना चाहिए। इसकी विधि को इसी क्रमानुसार पालन करें-

चरण- 1   एक दिन पूर्व अर्थात दशमी के दिन सात्विक भोजन ग्रहण करना तथा भोजन के पश्चात ब्रह्मचर्य का पालन करना।  

चरण- 2  प्रातः स्नान के पश्चता भगवान का ध्यान लगाकर व्रत का संकल्प लेना।

चरण- 3  नारायण भगवान की पूजा करना। पूजा में विशेष रुप से गंगा जल, तुलसी दल, दिल, फूल पंचामृत का उपयोग करें।

चरण- 4  व्रती को अगर जरूरत महसूस हो तभी सांध्याकाल में दीपदान के पश्चात फला का उपयोग आहार के रुप मे करें।

चरण- 5  अगले दिन द्वादशी पर व्रत का पारण करने के लिए किसी ब्राह्मण या जरुरतमंद को भोजन कराया या दान दिया जाना चाहिए।

 

व्रत के दौरान इन कार्यों को करने से बचें-

व्रती को व्रत के दौरान जल के बिना ही रहना चाहिए।  

मांस-मदिरा, प्याज, लहसुन के साथ-साथ मसूर की दाल के सेवन से बचना चाहिए।  

दशमी के दिन से ही भोग विलास चीजों से बचना चाहिए।

ऐसे किसी कार्य को न करें जिससे ब्रह्मचर्या के नियमों का उल्लंघन हो।

 

संतान के लिए करें यह कार्य-

भगवान श्रीकृष्ण की उपासना पति-पत्नि को एक साथ करना चाहिए। 

संतान गापाल मंत्र का जाप करना तत्पश्चात संयुक्त रुप से प्रसाद ग्रहण करना चाहिए।

जरूरतमंदों को भोजन तथा दान देना चाहिए।

 

पौष पुत्रदा एकदशी का महत्व

 संतान की सुख किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। खात तौर पर महिलाएं इस सुख के बिना खुद को अधूरा महसूस करती है। इसी सुख की प्राप्ति के लिए पौष पुत्रदा एकादशी का महत्व है। भक्त के जतन से संतान रूपी रत्न की प्राप्ति संभव हो पाती है। मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा और जतन से इस व्रत को रखने पर संतान की प्राप्ति अवश्य ही होती है।

 

पौराणिक कथा

 

पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रवति नगरी का राजा सुकेतुमान अपनी पत्नी के साथ रहता था लेकिन वह खुद को दुनिया का सबसे दुखी मनुष्य मानता था। राजा सुकेतुमान के पास कोई संतान नहीं थी जिसकी वजह से पति पत्नि दोनों ही काफी दुखी थे। एक समय पर दोनों इतने मायूस हुए की उन्होंने शरीर को त्याग देने का निर्णय लिया लेकिन ईश्वर की कृपा से इस निर्णय को त्याग दिया। वह इतने परेशान हुए कि वो जंगल में चले गए। सुबह से जंगल में घूमते घूमते उन्हें जब प्यास लगी थी पानी की तलाश में एक सरोवर के पास जा पहुंचे जहां बहुत सारे मुनी मौजूद थे। राजा से वह मुनी काफी प्रभावित हुए और उन्हें संतान की प्राप्त के लिए पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने को कहा। राजा सुकेतुमान ने अपनी पत्नी के साथ यह व्रत रखा और मुनियों के निर्देशों का पालन किया जिसके बाद राजा की पत्नी गर्भवति हुई और एक पुत्र को जन्म दिया। मुनियों के आर्शीवाद से वह पुत्र बहुत ही यशस्वी और सूरवीर राजा बना। इसके बाद से ही पुत्र की प्राप्ति के लिए पौष पुत्रदा का व्रत रखा जाता है।

लेख श्रेणियाँ

Banner1
Banner1

ज्योतिष सेवाएँ आपकी चिंताएँ यहीं समाप्त होती हैं
अब विशेषज्ञों से बात करे @ +91 9899 900 296

Astro Only Logo

ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।

PayTM PayU Paypal
whatsapp