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रामेश्वर मंदिर, तमिलनाडू


Friday, 19 March 2021
रामेश्वरम मंदिर, तमिलनाडु

रामेश्वर मंदिर, तमिलनाडू

 

रामायण एक धार्मिक ग्रंथ है जो हिंदू धर्म में सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है. यह भगवान राम के जीवन से जुड़ा हुआ है. जिसमें भगवान राम के जन्म से लेकर बैकुंठ जाने तक का पूरा वृतांत कहा गया है. भगवान राम ने धरती पर बहुत-से पुण्य कार्य किए. जब वह सीता माता को ढूंढने के लिए लंका जा रहे थे तब वहां पर लंका के इस पार समुंद्र किनारे उन्होंने शंकर की पूजा अर्चना की और जब सभी वानर सेतू निर्माण में लगे हुए थे तो राम जी ने एक शिवलिंग की  स्थापना करके उसे रामेश्वर नाम दिया. उसी रामेश्वर मंदिर के बारे में हम आज आपको बताएंगे. 

 

 

 

 

 

भगवान राम ने रामेश्वर की पूजा करके लंका को पार कर रावण पर विजय प्राप्त की.

वही रामेश्वर मंदिर तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में स्थित है. यह हिंदुओं के चार धामों में से एक परम पवित्र धाम माना जाता है. जहां पर स्थापित शिवलिंग द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक है. जिस तरह से शंकर जी को काशी के प्रिय है. उसी तरह से रामनाथपुरम का यह रामेश्वर मंदिर भी बहुत ही प्रिय है.

 

रामेश्वर धाम

 

कहा जाता है कि रामनाथ का यह मंदिर बहुत ज्यादा पुराना नहीं है. इस मंदिर की स्थापना 800 साल पहले बताई गई है. मंदिर के बहुत से भागों को बने हुए अभी 50 साल के लगभग ही हुए हैं. आपको बता दें कि मंदिर में गर्भ ग्रह के समीप ही 9 ज्योतिर्लिंग है जो लंकापति विभीषण ने स्थापित की थी.

 

 

रामेश्वर मंदिर की संरचना

 

रामेश्वर मंदिर हिंद महासागर और बंगाल की खाड़ी से चारों तरफ से गिरा हुआ. जो एक सुंदर शंखाकार द्वीप है. रामेश्वर मंदिर का गलियारा विश्व का सबसे लंबा गलियारा है. यह उत्तर दक्षिण में 197 और पूर्व दक्षिण में 133 मीटर है जबकि इसके परकोटे की चौड़ाई 6 मीटर और ऊंचाई 9 मीटर है. यह मंदिर लगभग 6 हेक्टर में बना हुआ है.  रामेश्वर मंदिर 1000 फुट लंबा और 650 फुट चौड़ा है. यह 150 फुट ऊंचा है. मंदिर भारतीय निर्माण कला और शिल्प कला का बहुत आकर्षण उदाहरण है। इसके प्रवेश द्वार 40 फीट ऊंचा है. मंदिर के अंदर सैकड़ों विशाल खंभे हैं जो देखने में एक जैसे लगते हैं परंतु यदि आप उनके नजदीक जाएंगे तो आपको मालूम होगा कि खंभों पर अलग-अलग तरह की कारागरी की गई है. 

 

 

 

 

 

चबूतरो के एक और पत्थर की बड़े-बड़े खंभों की लंबी कतारें खड़ी है. मंदिर में चारों और दूर-दूर तक कोई भी पहाड़ नहीं है. कहा जता है  मंदिर निर्माण के लिए कई लाख ठन के पत्थर दूर-दूर से नावों में लादकर लाए गए थे।

 

 

रामेश्वर मंदिर के अन्य तीर्थ स्थान

रामेश्वर मंदिर के पास बहुत से तीर्थ स्थान है। जिसमें सीता कुंड, हनुमान कुंड, साक्षी विनायक, एकांतराम मंदिर, अम्मन देवी मंदिर, आदि सेतु. नंदीकेश्वर, विभीषण तीर्थ, माधव कुंड शामिल है।

 

 

 

रामेश्वर धाम की मान्यता है कि यहां पर उत्तराखंड के गंगोत्री से गंगाजल लाकर ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाने से विशेष फल मिलता है। ऐसा करने से शंकर जी के साथ-साथ राम जी भी प्रसन्न होते हैं और मरणोपरांत बैकुण्ठ में स्थान मिलता है। 

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