अयप्पा सबरीमाला मंदिर
लंबे समय से विवादों में चल रहा सबरीमाला मंदिर एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। जहां पर लाखों की संख्या में लोग दर्शन के लिए आते हैं। ये मंदिर भगवान अयप्पा भगवान को समर्पित है। भगवान अयप्पाके पिता शिव और माता मोहिनी है। कहा जाता है कि विष्णु जी का मोहिनी रूप देखकर भगवान शिव का वीर्यपात हो गया था। उनके वीर्य को पारद कहा गया। उनके वीर्य के बाद में सस्तव नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। जिन्हें दक्षिण भारत में अयप्पा के नाम से जाना गया। भगवान शिव और पार्वती से उत्पन्न होने के कारण अयप्पा को हरिहरपुत्र कहा जाता है। भगवान अयप्पा ये मंदिर भारत के राज्य केरल में सबरीमाला में स्थित है। आइए जानते हैं मंदिर की कुछ महत्वपूर्ण बातें
अयप्पा स्वामी का मंदिर
सबरीमाला में स्वामी अयप्पा का मंदिर श्री राम जी की भक्त शबरी के नाम पर है। जिन्होंने रामायण में श्री राम जी को अपने झूठे बेर खिलाए थे। यह मंदिर 18 पहाड़ियों के बीच में बसा हुआ है। मंदिर में मकर सक्रांति की रात को घने अंधेरे में एक चमत्कारी ज्योति दिखाई देती है। इस ज्योति की मान्यता कुछ ऐसी है कि इसके दर्शन के लिए दुनिया भर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं। माना जाता है कि जब जब ये रोशनी दिखाई देती है। इसके साथ शोर भी सुनाई देता है। दिव्य ज्योति को अयप्पा भगवान स्वयं जलाते हैं। आज ज्योति को जलाते हुए किसी को नहीं देखा गया है।
महिलाओं का जाना था वर्जित
सबरीमाला मंदिर उन मंदिरों में शामिल था जिनमें महिलाओं का जाना मना था। यह विवाद लंबे समय से चलता आ रहा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध को हटा दिया।
सबरीमाला मंदिर के महोत्सव
पौराणिक कथाओं के अनुसार माना जाता है कि पांडलम के राजा राजशेखर ने अयप्पा जी को पुत्र के रूप में गोद लिया। मगर भगवान अयप्पा महलों की सुखों को छोड़कर चल गए। मान्यता है कि हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर पांडलम राज महल से अयप्पा भगवान के आभूषणों को संदूक में रखकर भव्य शोभायात्रा निकाली जाती है। जो पूरे 90 किलोमीटर की यात्रा होती है। इस लंबी यात्रा को तय करके सभी श्रद्धालु 3 दिन में सबरीमाला पहुंचते हैं। इसी दिन यहां पर पहाड़ की कांतामाला चोटी पर ज्योति दिखाई देती है।
कैसे पहुंचे सबरीमाला
तिरुवंतपुरम से सबरीमाला के पंपा तक आप बस द्वारा या अपने निजी वाहन द्वारा पहुंच सकते हैं। पंपा से आगे जाने के लिए पैदल जंगल के रास्ते 5 किलोमीटर चलकर जाना होता है। 1535 फीट ऊंची पहाड़ियों पर सबरीमाला मंदिर में भगवान अय्यप्पा के दर्शन होते हैं। आप यहां रेल या हवाई जहाज द्वारा भी जा सकते हैं। चैंगन्नूर रेलवे स्टेशन सबरीमाला के नजदीक है। वहीं नजदीकी एयरपोर्ट तिरुवंतपुरम में है जो सबरीमाला से कुछ ही दूरी पर स्थित है।
सबरीमाला की मान्यता
मंदिर की मान्यता है कि यदि यहां पर कोई तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर व्रत रखकर पनवेल से भरी पोटली लेकर यात्रा करता है तो उसकी हर एक मनोकामना पूर्ण हो जाती है। जो माला को धारण करता है वो भक्त स्वामी कहलाने लगता है और उसे भगवान अयप्पा का प्रिय भक्त माना जाता है।
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