आपका विश्वास करना मुश्किल हो जाएगा लेकिन यह बात एक दम सच है कि इतिहास में एक आध्यात्मिक बाबा जो कि भारत में हुए उनके बारे में बोला जाता है कि वह 900 तक बिना अन्न खाए जिंदा रहे थे। कुछ जगहों पर ऐसा भी जिक्र है कि यह 900 की जगह 500 साल तक जिंदा रहे थे। बाबा पर लिखी हुई किताबों और बहुत सारे लेख अलग-अलग इस तरीके का दावा किया है कि बाबा ने जीवन भर कभी भी अन्न नहीं खाया था। बहुत सारे लोग और स्रोत यह बताते हैं कि बाबा देवरहा 19 मई 1990 में शरीर त्याग देते हुए नजर आए थे लेकिन उससे पहले वह काफी सालों तक जिंदा रहे थे। बाबा हमेशा यमुना के किनारे पर रहते हुए नजर आए और यमुना किनारे उन्होंने एक मकान बना रखा था जिसके ऊपर यह सदैव रहा करते थे और यहीं से वह आने वाले भक्तों को आशीर्वाद देते थे बाबा देवरहा के बारे में एक बात और अधिक मशहूर है कि यह जिस भक्तों के ऊपर अपने कदम रखते थे उसके बाद भक्तों की किस्मत चमकती हुई नजर आती थी। बाबा के भक्तों में कई सारे राजनीतिक लोग भी शामिल थे और यह लोग उच्च पदों पर बैठते हुए भी नजर आए थे।
बाबा देवरहा कभी अन्न नहीं खाया करते थे वह केवल यमुना नदी का पानी पीया करते थे। साथ में यह दूध, शहद और श्रीफल के रस का सेवन किया करते थे। इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि उनको भूख नहीं लगती थी किंतु यह बात विज्ञान में लिखी गई है कि ब्रह्मांड की ऊर्जा से यदि हम अपने शरीर को एनर्जी प्राप्त करने लगे तो हम अपनी भूख को कंट्रोल करते हुए नजर आ सकते हैं। शायद देवरहा बाबा ने यही सीख लिया था।
बाबा देवरहा के साथ एक बात और साथ जुड़ी रही कि ऐसा बोला जाता रहा कि बाबा देवरहा एक साथ दो स्थानों पर भी नजर आते थे। बाबा को कभी किसी ने ट्रैवल करते हुए नहीं देखा और ना ही यह ट्रेवल किया करते थे इसके बावजूद भी कई बार इस तरीके के चमत्कार हुए कि बाबा एक साथ दो जगहों पर नजर आए हैं। बाबा देवरहा का जन्म कब हुआ, यह बात कोई नहीं जानता है किंतु 19 मई 1990 को यह शरीर छोड़ते हुए नजर आए थे। बाबा के माता पिता और बाबा के जन्म के बारे में कोई कुछ नहीं जानता है। योग के अंदर ऐसा बोला जाता है कि कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनको विशेष सिद्धि प्राप्त हो जाती है और तब उस स्थिति में एक साथ दो जगहों पर उपस्थित रहा जा सकता है। बाबा सांस रोककर आधे घंटे तक पानी में रहते हुए नजर आते थे। इसके साथ-साथ जानवरों से उनकी भाषा में बातें करते थे और उनको कंट्रोल करते हुए नजर आते थे।
बाबा देवराहा को एक और शक्ति प्राप्त थी कि यह कहीं पर भी आवागमन करते हुए नजर आ सकते थे। पल भर में बाबा जगह बदलते हुए नजर आते थे। इसकी वजह खेचरी मुद्रा को माना जाता रहा है। अपने अनुयायियों को यह प्रसाद जरूर दिया करते थे। हवा में खाली हाथ लहराकर यह न जाने कहां से मेवा, फल और अन्य कई तरह के के खाद्य पदार्थ भक्तों को दिया करते थे। इसके साथ साथ बाबा के आसपास जितने भी बबूल के पेड़ थे उनके ऊपर कभी भी काटे नहीं आया करते थे। बाबा की उम्र 900 साल थी या 500 लेकिन बाबा देवरहा अमर हैं और इंटरनेट इनकी शिक्षा और इनके प्रवचन से भरा हुआ है।
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