प्रीमियम ज्योतिषियों से बात करें
अभी कॉल करे

संतान सप्तमी व्रत और पूजन विधि


Saturday, 20 March 2021
संतान सप्तमी व्रत और पूजन विधि

संतान सप्तमी व्रत और पूजन विधि

 

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह के शुक्ल पक्ष में सप्तमी आती है। जिसका व्रत रखने से मनोकामनाएं सिद्ध होती है। हर सप्तमी का फल अलग-अलग प्रकार से मिलता है। आज हम आपको भाद्रपद मास में आने वाली संतान सप्तमी के बारे में बताने जा रहे हैं। यह सप्तमी 2021 में कब आएगी और इसका व्रत किस प्रकार से किया जाता है, आइए जानते हैं...

संतान सप्तमी व्रत का महत्व
संतान के सुख के लिए माता-पिता बहुत यतन करते हैं। जो निसंतान होते हैं, वह संतान प्राप्ति के लिए अनेकों व्रत करते हैं और उन्हीं व्रतों में से एक है संतान सप्तमी का व्रत है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से अवश्य ही संतान की प्राप्ति होती है।

इस व्रत को स्त्रियां पुत्र की प्राप्ति के लिए भी रखती हैं।

इस व्रत को रखने से संतान तेजस्वी, ज्ञानवान, वीर और बलवान उत्पन्न होती है।

जिन लोगों को संतान होती भी है वह भी इस व्रत को करते हैं ताकि उनकी को प्रबल बुद्धि और विवेक प्राप्त हो।

इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है और साथ में भगवान विष्णु का भी पूजन होता है। तीनों देव की कृपा से इच्छा की पूर्ति होती है।

संतान सप्तमी 2021:  28 अगस्त, शनिवार

कैसे करें संतान सप्तमी का व्रत
प्रातकाल सवेरे उठकर स्नान करके लाल वस्त्र पहनें और भगवान विष्णु शिव और पार्वती दिन की तैयारी करें।

सबसे पहले मन में व्रत का संकल्प लें।


इस व्रत की पूजा दोपहर के समय की जाती है। दोपहर के वक्त चौक पुरकर भगवान शिव और माता पार्वती की मूर्ति स्थापित करें।

शिव पार्वती को जल अर्पित करके चंदन का लेप लगाएं। उन्हें नारियल और सुपारी चढ़ाएं।

पूजन के लिए धूप, दीप जलाएं। भगवान को लाल और सफेद रंग के पुष्प चढ़ाएं।

संतान की रक्षा का संकल्प लेकर भगवान शिव को डोरा बांधें। बाद में इस डोरे को अपनी संतान की कलाई पर बांध दें और अपनी कलाई पर भी डौरा बांधे।

भगवान शिव-पार्वती की सप्तमी व्रत कथा सुनें और पूजन करने के बाद विधिवत आरती करें।

 

आरती के बाद भगवान को प्रसाद का भोग लगाएं।

आपको बता दें कि इस व्रत में प्रसाद के रूप में खीर, पुरी और गुड़ के पुए बनाए जाते हैं।

संतान सप्तमी व्रत कथा
सबसे पहले ये कथा भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठर जी को सुनाई थी। भगवान श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर जी से कहा कि एक बार मथुरा में लोमश ऋषि आए। माता देवकी और पिता वासुदेव ने उनका खूब आदर सत्कार किया। जिसके बाद लोमश ऋषि ने कहा कि देवकी-वसुदेव कंस ने तुम्हारे सारे पुत्रों को मार दिया। इस दुख से उबरने के लिए तुम संतान सप्तमी का व्रत करो जो भाद्पद मास की शुक्ल पक्ष में आती है। मैं तुम्हें इस व्रत की कथा सुनाता हूं ध्यानपूर्वक सुनो...


लोमस ऋषि ने कहा कि अयोध्या नगरी में नहुष नाम का एक राजा था। जिसकी पत्नी का नाम चंद्रमुखी था। चंद्रुमखी की एक सखी जिसका नाम रूपमती था। वह नगर के ब्राह्मण की पत्नी थी। चंद्रमुखी और रूपमती दोनों  में बहुत ही प्रेम था। एक बार वे दोनों सरयू नदी के तट पर स्नान करने गई और वहां पर बहुत सी स्त्रियां संतान सप्तमी का व्रत कर रही थी। संतान सप्तमी की कथा सुनकर इन दोनों सखियों ने भी पुत्र प्राप्ति के लिए इस व्रत को करने का निश्चय लिया परंतु घर आकर वे दोनों व्रत करने की बात भूल गई। कुछ समय बाद दोनों की मृत्यु हो गई और दोनों ने पशु योनि में जन्म लिया। आगे लोमश ऋषि ने कहा कि कई जन्मों के बाद दोनों ने मनुष्य योनि में जन्म लिया। इस जन्म में चंद्रमुखी का नाम ईश्वरी और रूपमती का नाम भूषणा था। इस जन्म में भी दोनों सखी ही बनी और भूषणा को पूर्व जन्म की बात याद आ गई इसलिए उसने संतान सप्तमी का व्रत किया और उसे 8 पुत्र प्राप्त हुए। ईश्वरी व्रत का पालन करना भूल गई जिससे उसे कोई संतान प्राप्त नहीं हुई। इसी कारण उसे भूषणा से ईर्ष्या होने लगी। उसने कई प्रकार से भूषणा के पुत्रों को मारने की कोशिश की लेकिन भूषणा के व्रत के प्रभाव से उसके पुत्रों को कोई भी हानि नहीं पहुंची। बाद में ईश्वरी को पछतावा हुआ और उसने अपनी सहेली भूषणा से माफी मांगते हुए कहा कि पुत्र प्राप्ति के मोह में मैंने बहुत अपराध किए हैं।  हे सखी! मुझे माफ करो और संतान की प्राप्ति का कोई उपाय बताओ। तब भूषणा ने उसे पूर्व जन्म की बात याद दिलाई और संतान सप्तमी के व्रत करने को कहा। जिसके बाद ईश्वरी ने पूरी विधि विधान के साथ व्रत किया और अपने पापों की क्षमा मांगी और उसे एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई।


इस प्रकार जो भी इस व्रत को विधिपूर्वक करता है। उसकी संतान हमेशा सुरक्षित, स्वस्थ रहती है और निसंतान को संतान की प्राप्ति होती है।

लेख श्रेणियाँ

Banner1
Banner1

ज्योतिष सेवाएँ आपकी चिंताएँ यहीं समाप्त होती हैं
अब विशेषज्ञों से बात करे @ +91 9899 900 296

Astro Only Logo

ज्योतिष के क्षेत्र में शानदार सेवाओं के कारण एस्ट्रो ओनली एक तेजी से प्रगतिशील नाम है। एस्ट्रो केवल ज्योतिष के क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन लोकप्रियता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त कर रहा है। प्रामाणिक और सटीक भविष्यवाणियों और अन्य सेवाओं के कारण इस क्षेत्र में हमारा ब्रांड प्रमुख होता जा रहा है। आपकी संतुष्टि हमारा उद्देश्य है। अपने जीवन में सकारात्मकता और उत्साह को बढ़ाकर आपकी सेवा करना हमारा प्रमुख लक्ष्य है। ज्योतिष के मूल्यवान ज्ञान की मदद से हमें आपकी सेवा करने का मौका मिलने पर खुशी होगी।

PayTM PayU Paypal
whatsapp