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 शनि शिंगणापुर मंदिर,


Friday, 19 March 2021
 शनि शिंगणापुर मंदिर,

जानिए शनिदेव के चमत्कारी मंदिर के बारे में

 

 शनि शिंगणापुर मंदिर, महाराष्ट्र  

आज तक आपने सुना होगा की भक्ति में शक्ति है लेकिन आज हम आपको इस बात का परिणाम दिखाने जा रहे हैं। जी हां, आज हम आपको एक ऐसी श्रद्धा, भक्ति के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसे जानकर आपका आस्था में और भी ज्यादा विश्वास बढ़ जाएगा। दरअसल, हम महाराष्ट्र के अहमदाबाद जिले में स्तिथ शिंगणापुर गांव की बात कर रहे हैं। जिसे श्री शनिदेव का गांव कहा जाता है। भगवान शनिदेव का यहां बड़ा ही चमत्कारी मंदिर है। जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। भगवान शनिदेव के गांव शिंगणापुर में शनि देव की भक्ति का असर कुछ ऐसा है कि यहां रहने वाले लोगों के घरों में दरवाजे नहीं है। ना ही कभी भी किसी जगह ताला लगाया जाता है क्योंकि शनिदेव स्वयं अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। उनके छत्रछाया में कोई भी इस गांव में चोरी नहीं कर सकता है। आइए जानते हैं, श्री शनिदेव के मंदिर के बारे में

शनि शिंगणापुर मंदिर
अहमदाबाद के शिंगणापुर में शनिदेव का मंदिर बिना किसी छत का बना है। श्री शनिदेव की की शीला खुले आसमान में संगमरमर के चबूतरे पर विराजमान है। जो 5 फुट 9 इंच लंबी और 1 फुट 6 इंच चौड़ी है। गर्मी, सर्दी और बरसात के हर मौसम में शनिदेव खुले आसमान में ही रहते हैं। मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि ये मंदिर 500 साल से भी ज्यादा पुराना है।

शनि शिंगणापुर की कथा
माना जाता है कि एक बार शिंगणापुर गांव में बहुत तेज बारिश हुई। जिससे बाढ़ जैसे हालात हो गए। जब बारिश के कम होने के बाद लोग बाहर निकले तो उन्होंने देखा कि पत्थर की बड़ी शीला पेड़ से अटकी हुई है। शीला को देखकर ग्रामीण आश्चर्यचकित हो गए कि इतनी बड़ी शीला यहां कैसे आई। शीला कुछ अजीबोगरीब थी इसलिए एक व्यक्ति ने उसपर पत्थर मारा। जिससे उसमे से खून निकलने लगा। सभी लोग आश्चर्यचकित होने के साथ-साथ डर भी गए कि आखिर ये क्या चमत्कार है। गांव वालों ने मिलकर उसे हिलाने की कोशिश की लेकिन शीला टस से मस न हुई। जिसके बाद सभी घर वापस चले गए। माना जाता है कि अगले रात को एक सज्जन व्यक्ति के सपने में शनि देव ने दर्शन देते हुए कहा कि शीला यह तब तक नहीं उठेगी जब तक कोई मामा भांजा मिलकर इसे उठाएगा नहीं। उन्होंने गांव के उस सज्जन व्यक्ति से कहा कि यह मेरी शक्ति की शीला है। इसे अपने गांव में स्थापित करो सभी के संकट दूर हो जाएंगे।
तब उस व्यक्ति ने सुबह सभी को अपने सपने की बात कही और गांव वालों ने मिलकर मामा भांजे से उस शीला को उठवाया और गांव में खुले आसमान के नीचे विस्थापित किया। तब से आज तक भगवान शनिदेव की शिंगणापुर में विशेष कृपा है और इस गांव को श्री शनिदेव का गांव माना जाता है।

मंदिर में दर्शन के नियम
श्री शनिदेव के इस मंदिर में ज्यादातर लोग केसरिया रंग के वस्त्र पहन कर जाते हैं। यहां पर शनिदेव की शीला पर तेल चढाने का विशेष महत्व माना जाता है। बहुत से लोग तेल का चढ़ावा भी देते है।


माना जाता है कि मंदिर में प्रवेश करते समय बिल्कुल सीधा जाना चाहिए। यदि कोई आवाज भी लगाए तो पीछे मुड़कर भूलकर भी नहीं देखना चाहिए। भगवान की पूजा करने के बाद सीधा बाहर निकल जाएं। यदि कोई भूल से भी पीछे मुड़कर देखता है तो अशुभ माना जाता है और उसका बुरा प्रभाव पड़ता है।


शनिवार के दिन यहां पर भक्तों की भारी भीड़ रहती है। दूर-दूर से श्रद्धालु आकर शनिदेव की शीला पर तेल चढ़ाते हैं। हर रोज यहां पर सुबह 4:00 बजे और शाम को 5:00 बजे आरती कर भोग लगाया जाता है और शनिदेव जयंती को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। जयंती पर पूरे गांव में उत्सव का माहौल रहता है।

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