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श्रीनगर की खूबसूरती में बसा महादेव का ये मंदिर


Friday, 19 March 2021
श्रीनगर की खूबसूरती में बसा महादेव का ये मंदिर

श्रीनगर की खूबसूरती में बसा महादेव का ये मंदिर

शंकराचार्य मंदिर, श्रीनगर

जम्मू-कश्मीर भारत का सबसे खूबसूरत राज्य है। यहां पर घाटी की सुंदरता कहते नहीं बनती है। पूरे राज्य में प्राकृतिक ने दुल्हन का लिबाज पहना हुआ है। हर जगह अद्भुत नज़ारे देखने को मिलते है। जम्मू कश्मीर के श्रीनगर इलाके के सबसे खूबसूरत और धार्मिक मंदिर शंकराचार्य है। जो डल झील के किनारे गोपाद्री पर्वत पर स्थित है। शंकराचार्य मंदिर भगवान शिव को समर्पित है। ये मंदिर समुंद्र तल से 1100 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस मंदिर को तख्त-ए-सुलेमान के नाम से भी जाना जाता है। लोग की मंदिर को देखने के लिए दूर-दूर से आते हैं।

शंकराचार्य मंदिर का इतिहास

इस मंदिर के इतिहास के बारे में कहा जाता है कि ये मंदिर 200 साल से भी ज्यादा पुराना मंदिर है। इसका निर्माण 371 ई. पूर्व राजा गोपादत्य ने कराया था। उस समय इस मंदिर का नाम राजा के नाम पर रखा गया है। तब मंदिर का नाम गोपाद्ररी था लेकिन बाद में ये नाम बदलकर शंकराचार्य रख दिया। बता दें कि मंदिर का नाम इसलिए बदला गया क्योंकि जब आदिगुरु शंकराचार्य जी कश्मीर की यात्रा पर आए तो वो इसी स्थान पर ठहरे थे। मंदिर बेहद ऊंचाई पर मौजूद है जिस तक पहुंचने के लिए काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। मंदिर में आसानी से पहुंचा जा सके इसलिए महाराज गुलाब सिंह ने यहां पर सीढ़ियों का निर्माण कराया था। मंदिर का विद्दुतीकरण सन् 1925 में कराया गया था। इस मंदिर में तब से श्रद्धालु बड़ी सख्या में आते हैं और मंदिर में भगवान शंकर के दर्शन करते हैं।

शंकराचार्य मंदिर का अद्भुत संरचना

इस मंदिर की सबसे बड़ी खासियत ये है कि मंदिर का निर्माण केवल पत्थरों से ही किया गया। मंदिर की वास्तुकला का जवाब नहीं है। हर कोई मंदिर को देखकर दंग रह जाता है। महाशिवरात्री पर मंदिर को और भी ज्यादा सुंदरता के साथ सजाया जाता है और इस दौरान मंदिर का नजारा अलग ही दिखाई देता है।

 शिव के अवतार शंकराचार्य

शंकराचार्य को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। माना जाता है कि आदिगुरु शंकराचार्य के पिता शिवगुरु नामपुद्री और माता विशिष्टा देवी के विवाह के लंबे समय से कोई संतान नहीं थी। शंकराचार्य के माता-पिता ने पुत्र की प्राप्ति के लिए भगवान की शिव की आराधना की। दोनों की तपस्या इतनी कठिन थी कि भगवान शिव ने प्रसन्न होकर उनके घर में शंकराचार्य के रूप में जन्म लिया।

शंकराचार्य मंदिर की कड़ी सुरक्षा

जम्मू-कश्मीर में आंतकवादी गतिविधियों के कारण मंदिर की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं। दरअसल, यहां पर आंतकी हमले का डर रहता है। जिससे शंकराचार्य जी के मंदिर में आने जाने वाले हर श्रद्धालु की तलाशी ली जाती है और किसी को भी मंदिर में तस्वीर लेने की इजाजत नहीं है।

शंकराचार्य मंदिर की महिमा

भगवान भोलनाथ के इस मंदिर की महिमा निराली है। घाटी की वादियों में बसे इस मंदिर में जो भी भक्त श्रद्धा के साथ भोलेनाथ के दर्शन करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है। इस मंदिर में महाशिवरात्री के दिन मांगी हर मुराद जल्द से जल्द पूरी हो जाती है। सच्ची भक्ति से इस मंदिर में जाने वाले श्रद्धालुओं परर भगवान भोलेनाथ अपनी विशेष कृपा दृष्टि बनाएं रखते हैं।  

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