Shardiya Navratri 2021 : घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और घटस्थापना की सही विधि
घटस्थापना नवरात्रि के दौरान किया जाने वाला महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक माना जाता है। यह 9 दिनों के उत्सव की शुरुआत के लिए हमारे शास्त्रों में भी एक निश्चित समय अवधि में घट स्थापना करने के लिए नियम और दिशानिर्देश बताये गए हैं। घटस्थापना से माता देवी का आवाह्न किया जाता है। इसे अगर गलत समय अवधि पर स्थापित किया जाये तो माता दुर्गा रूठ भी सकती हैं। घटस्थापना अमावस्या की रात के समय ही किया जाता है। अगर आप मंत्रों के साथ इसकी स्थापना करना चाहे तो किसी पंडित की मदद से पूरा कर सकते हैं।
घट स्थापना करने का सबसे शुभ समय प्रतिपदा के दिन प्रातः काल में किया जाए तो उसे बहुत ही शुभ माना जाता है। यदि कुछ कारणों की वजह से यह समय उपलब्ध नहीं होता है तो किसी भी अभिजीत मुहूर्त के दौरान भी घटस्थापना की जा सकती है। घटस्थापना के दौरान विशेष रूप से नक्षत्र चित्रा और वैधृति योग से बचने की सलाह दी जाती है लेकिन यह इतना भी विशेष नहीं है सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि घट स्थापना हिंदू धर्म के अनुसार दोपहर के पहले ही की जानी चाहिए।
शारदीय नवरात्रि आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को 7 अक्टूबर 2021 से आरंभ होगा। 14 अक्टूबर तक चलने वाले इन दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। 15 अक्टूबर को रामनवमी का त्यौहार मनाया जाएगा।
इस बार 7 अक्टूबर को घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 17 मिनट से सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक का है। इसी समय घटस्थापना करने से नवरात्रि फलदायी होते हैं। इस घटस्थापना को करने के लिए आपके पास 7 तरह के अनाज और मिट्टी का बर्तन ,गंगाजल, अशोक के पत्ते सुपारी नारियल और , लाल वस्त्र, पुष्प होना चाहिए।
1 सात प्रकार के अनाज और अनाज बोने के लिए मिट्टी का बर्तन
2 अनाज बोने के लिए स्वच्छ मिट्टी
3 मिट्टी का कलश
4 पवित्र गंगाजल
5 पवित्र धागा
6 इत्र
7 सुपारी
8 कलश में डालने के लिए सिक्के
9 आम के पेड़ के पांच पत्ते
10 कलर्स को ढकने के लिए ढक्कन
11 कच्चे साबुत चावल
12 कच्चा नारियल
13 गुलमोहर का फूल
14 दुर्वा घास
1. सबसे पहला काम मिट्टी के बर्तन को अच्छी तरीके से साफ कर लें और फिर उसमें 7 तरह के अनाज को रखें
2. उसके बाद कलश में जल भरे और की कलश के गर्दन पर कलावा बांध का उसको मिट्टी के बर्तन के ऊपर रख दे।
3. कलश को गंगाजल के पानी से गर्दन तक भर दे।
4. पानी में सुपारी इत्र, दूर्वा घास, अक्षत और सिक्का को भी डाल दे
5. इसके बाद अशोक के 5 पत्तों को कलश के किनारे पर ढक्कन से ढक कर रख दे।
6. अब लाल कपड़े के अंदर बिना नारियल को लपेट कर रखें और फिर उसे पवित्र धागे से बांध दे।
7. अब इस नारियल को कलश के ऊपर रख दे।
8. आखिर में कलश को मिट्टी के बर्तन के बीचो बीच स्थापित कर दे।
आखिर में आपके पास वह कलश होगा जिससे माता दुर्गा का आवाहन किया जा सकता है
गंगे! च यमुने! चैव गोदावरी! सरस्वति!
नर्मदे! सिंधु! कावेरि! जलेSस्मिन् सन्निधिं कुरु।।
जो भक्त नवरात्रि के 9 दिनों में उपवास रखते हैं तो इस मंत्र के साथ पूजा करने से माता बहुत ही प्रसन्न होती है।
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे(अपने नगर या गांव का नाम लें), अमुकनामसम्वत्सरे आश्विनशुक्लप्रतिपदे अमुकवासरे प्रारभमाणे नवरात्रपर्वणि एतासु नवतिथिषु
अखिलपापक्षयपूर्वक-श्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये संयमादिनियमान् दृढ़ं पालयन् अमुकगोत्रः
अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः प्रसादाय व्रतं विधास्ये।
यदि आप इस मंत्र का जाप नहीं कर पा रहे हैं यह मंत्र कठिन लग रहा है तो आप इस मंत्र का भी जाप कर सकते हैं
"यथोपलब्धपूजनसामग्रीभिः कार्य सिद्धयर्थं कलशाधिष्ठित देवता सहित, श्री दुर्गा पूजनं महं करिष्ये।" कह सकते हैं।
नवरात्रि में षोडशोपचार पूजा करना बड़ा महत्वपूर्ण होता है. आप नीचे दिए गए मंत्र से प्रतिदिन पूजा का संकल्प करें:
ॐ विष्णुः विष्णुः विष्णुः, अद्य ब्राह्मणो वयसः परार्धे श्रीश्वेतवाराहकल्पे जम्बूद्वीपे भारतवर्षे, अमुकनामसम्वत्सरे
आश्विनशुक्लप्रतिपदे अमुकवासरे नवरात्रपर्वणि अखिलपापक्षयपूर्वकश्रुति-स्मृत्युक्त-पुण्यसमवेत-सर्वसुखोपलब्धये अमुकगोत्रः
अमुकनामाहं भगवत्याः दुर्गायाः षोडशोपचार-पूजनं विधास्ये।
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