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शीतला षष्ठी व्रत


Thursday, 18 March 2021
शीतला षष्ठी व्रत

माघ शुक्ल षष्ठी पर शीतला षष्ठी व्रत मनाया जाता है। शीतला षष्ठी पर महिलाएं व्रत रखती हैं। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत को रखने से व्यक्ति को शारीरिक और दैविक ताप से राहत मिलती है। साथ ही, यह व्रत पुत्र-प्राप्ति और सौभाग्य दोनों के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो महिलाएं पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखती हैं, उन्हें इस दिन व्रत रखना चाहिए। साथ ही इस व्रत को रखने से मन शांत रहता है। इसके अलावा इस व्रत को रखने से जिन्हें चेचक की बीमारी है उन्हें मुक्त मिलती है।

जानिए शीतला षष्ठी की विधि

जो लोग शीतला षष्ठी के दिन व्रत रखते है उन्हें जल्दी उठना चाहिए। इसके बाद स्नान करके शीतला माता की पूजा करनी चाहिए।

इस दिन गर्म खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं किया जाना बहुत लाभकारी माना जाता है। साथ ही, गर्म पानी से नहाना भी वर्जित है। इसलिए इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना ही सही है। शीतला षष्ठी पर घर में चूल्हा नहीं जलाया जाता। इस दिन चुल्हे की भी पूजा की जाती है।

पूजा के लिए, सभी नैवेद्य या भोग एक दिन पहले ही तैयार किया जाता है। फिर इसके बाद एक लकड़ी का पटिया या सफेद कपड़ा बिछाकर, उस पर शीतला माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करना चाहिए। इसके बाद इस मंत्र “श्रीं शीतलायै नमः, इहागच्छ इह तिष्ठ” के साथ जल अर्पित करें। इसके बाद अपने हाथ में एक कपड़ा या मौली लें और इसे माता को पीठिका के रूप में अर्पित करें।

इसके बाद शीतला माता के चरण धोने के लिए जल चढ़ाया जाता है। इसके बाद मूर्ति को स्नान करवाया जाता है और उसके बाद वस्त्र मंत्र के साथ वस्त्र अर्पित किया जाता है। इदं वस्त्र समर्पयामि, ॐ श्रीं शीतलायै नमः इस मंत्र से शीतला माता को वस्त्र अर्पित करें। इसके बाद चंदन और अक्षत का तिलक चढ़ाएं। फिर पुष्प और पुष्पांजलि अर्पित करें। साथ ही इसके बाद शीतला माता को धूप और दीप भी जलाया जाना चाहिए।

इस प्रकार जो एक रात पहले भोग तैयार किया गया था उस भोजन को सभी के साथ खाना चाहिए। इस दिन शीतला षष्ठी व्रत की कथा भी सभी के साथ सुननी बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। कथा के बाद माता शीतला जी की आरती भी करनी चाहिए।

शीतला षष्ठी व्रत का महत्व

जो लोग शीतला षष्ठी के दिन व्रत रखते है उनको बहुत लाभ मिलते है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन पुत्र प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाएं व्रत रखती है तो उन्हें पुत्र की प्राप्ति का फल मिलता है। साथ ही इस व्रत को रखने से मन शांत रहता है। इसके अलावा इस व्रत को रखने से जिन्हें चेचक की बीमारी है उन्हें मुक्त मिलती है। इस प्रकार हर साल शीतला षष्ठी के दिन बहुत संख्या में लोग व्रत रखते है।

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