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Friday, 19 March 2021
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शोर मंदिर, महाबलीपुरम तमिलनाडु

 

आज हम आपको एक बहुत ही आकर्षक मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जो ग्रेनाइट पत्थर से बना हुआ है। यह मंदिर अपनी खूबसूरती के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस मंदिर का नाम शोर मंदिर है जो तमिलनाडु के महाबलीपुरम शहर में स्थित है। दक्षिण भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से एक है। इस मंदिर आठवीं शताब्दी का माना जाता है। यूनेस्को ने शोर मंदिर को विश्व विरासत घोषित किया हुआ है। यह मंदिर भगवान विष्णु और शिव का मंदिर है। मंदिर की सुंदरता और कलाकृतियों को लाखों की संख्या में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं।

 

शोर मंदिर का इतिहास

शोर मंदिर का इतिहास बहुत पुराना बताया गया है। कहा जाता है इस मंदिर का निर्माण आठवीं शताब्दी में कराया गया था। यह मंदिर पल्लव राजवंश के राजा नरसिंह वर्मन द्वितीय के शासनकाल में बनाया गया था। पल्लव राजवंश के शासन के दौरान शोर मंदिर का निर्माण बड़े अद्भुत और विचित्र तरीके से कराया गया। दरअसल, इस मंदिर के निर्माण के लिए पत्थर काटे गए और उन्हीं पत्थरों से मंदिर को बनाया गया। कुछ सालों पहले ही मंदिर के सामने एक पत्थरों की दीवार बनाई गई। जिससे समुंद्र के कटाव के कारण मंदिर को कोई भी नुकसान ना पहुंचे। आपको बता दें कि साल 2004 में सुनामी के कारण मंदिर को भारी क्षति पहुंची थी और जिससे इसका कुछ हिस्सा नष्ट भी हो गया था।

 

शोर मंदिर के अनेक मंदिर

शोर मंदिर के परिसर में तीन मंदिर स्थित है। जिसमें एक बड़ा मंदिर है और दो मंदिर और भी है। शोर मंदिर का सबसे मुख्य और बड़ा मंदिर 5 मंजिला है। यह भगवान शिव को समर्पित है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान शिव की बड़ी शिवलिंग है। जिस पर जलाभिषेक किया जाता है। मुख्य मंदिर के मध्य में भगवान विष्णु का मंदिर बना है जबकि दोनों तरफ भगवान शिव के ही मंदिर है। मुख्य मंदिर 60 फुट ऊंचा और 50 फुट वर्ग में फैला हुआ है।

 

शोर मंदिर का आकर्षक दृश्य

शोर मंदिर से टकराती सागर की लहरें एक अनोखा दृश्य उपस्थित करती हैं। जिससे मंदिर की शोभा कई गुना बढ़ जाती है। इस मंदिर में पांच पांडव रथ है, जो मुख्य आकर्षण का केंद्र है। इनमें से चार रथ पांडवों के नाम पर है लेकिन पांचवे रथ को द्रोपदी के नाम से जाना जाता है। मंदिर में स्थित इन रथों की बनावट कारीगरों ने इस प्रकार से की है कि इन्हें देखते ही सभी आश्चर्यचकित हो जाते हैं।

 

क्यों पड़ा शोर मंदिर नाम

इस मंदिर का नाम शोर मंदिर है। जिसके पीछे ये कारण है...कि शोर मंदिर के बेहद करीब बंगाल की खाड़ी है, जिससे आने वाले शोर की वजह से इस मंदिर का नाम शोर मंदिर रख दिया गया।

 

 

शोर मंदिर की पौराणिक कथा

 

शोर मंदिर की कथा के अनुसार, कहा जाता है कि राक्षस राजा हिरण्यकश्यप और उनके पुत्र प्रहलाद का संबंध इसी मंदिर से है। भगवान विष्णु ने इसी जगह पर हिरण्यकश्यप का वध किया था। जिसके बाद प्रहलाद को राजा बनाया गया। इस कथा के अनुसार, माना जाता है कि राजा प्रहलाद के पुत्र राजा महाबली ने इस मंदिर का निर्माण कराया था।

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