श्रावण पुत्रदा एकादशी
आज हम आपको भगवान श्री कृष्ण के लिए सबसे प्रिय व्रत के बारे में बताने जा रहे हैं। दरअसल, भगवान श्री कृष्ण का सबसे प्रिय व्रत एकादशी का है। जो भी एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें मरणोपरांत बैकुंठ धाम मिलता है। एकादशी का व्रत करने से हर एक मनोकामना पूर्ण हो जाती है। आज हम आपको एक ऐसी एकादशी के बारे में बताने जा रहे हैं। जिसका व्रत करने से संतान की प्राप्ति होती है। आइए जानते हैं कि इस साल यानी 2021 में एकादशी कब है और किस प्रकार का व्रत किया जाता है।
जिस एकादशी के बारे में हम बात कर रहे हैं। उस एकादशी का नाम पुत्रदा एकादशी है। पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है। एक पौष के महीने में और दूसरी श्रावण मास में। हम आपको श्रावण मास की एकादशी के बारे में बताने जा रहे हैं, जो 2021 में 18 अगस्त को है। यह श्रावण की दूसरी एकादशी है, जो शुक्ल पक्ष में आती है। ये भगवान श्री कृष्ण को बड़ी ही प्रिय है। इस एकादशी का नाम पुत्रदा है इसलिए इसका व्रत करने से संतान की इच्छा करने वालों को संतान की प्राप्ति होती है।
कैसे करें पुत्रदा एकादशी का व्रत
पुत्रदा एकादशी का व्रत करने के लिए सबसे पहले मन में संकल्प लें कि भगवान हमारी कोई संतान नहीं है इसलिए हम पुत्रदा एकादशी का व्रत रख रहे हैं। आप हमारी मनोकामना को पूर्ण करें और सुबह उठकर स्नान करके पीले वस्त्र धारण करें।
भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा का पूजन करने के लिए पूजा की थाली में रोली, चंदन, हल्दी, कुमकुम, धूप, दीप, पीले फूल और प्रसाद रखें।
सबसे पहले घर में ही भगवान श्री कृष्ण का पूजन करें। उन्हें हल्दी, चंदन, कुमकुम का तिलक करें और पीले फूल चढ़ाकर आरती करें।
पूजन करते समय ओम नमो नारायण भगवते वासुदेवाय नमः मंत्र का जाप करें।
यथाशक्ति के अनुसार पूजा करने के बाद भगवान को भोग लगाएं और श्रद्धा अनुसार गरीबों को भोजन कराएं।
घर में पूजन करने के बाद मंदिर में जाकर भगवान श्रीकृष्ण या विष्णु जी की आराधना करें।
एकादशी के दिन दान देने का बड़ा महत्व है। माना जाता है कि इस दिन दान देने से दोगुना पुण्य मिलता है और मनोकामना जल्द ही पूर्ण हो जाती है। जो लोग अन्न, वस्त्र, आभूषण दान करते हैं। उनके भंडार भरे रहते हैं।
पुत्रदा एकादशी व्रत महत्व
वैवाहिक जीवन में संतान के बिना पति-पत्नी दुखी ही रहते हैं। जो सबसे बड़ा दुख है। जिससे उभरने के लिए एकादशी का व्रत सबसे उत्तम बताया गया है।
व्रत करने से भगवान श्री कृष्ण प्रसन्न होकर संतान की प्राप्ति का वरदान देते हैं।
जो लोग सच्चे दिल से व्रत करते हैं। वह संतान सुख को भोगते हैं और उनकी संतान ज्ञानी और बलवान होती है।
संतान की प्राप्ति के साथ जीवन में आने वाले दुखों को दूर करने के लिए भी पुत्रदा एकादशी महत्वपूर्ण है।
इस एकादशी का व्रत करने से हर एक मनोकामना पूर्ण होती है और जीवन के संकट मिट जाते हैं।
माना जाता है कि हर मनुष्य को जीवन में एक बार जरूर पुत्रदा एकादशी का व्रत करना चाहिए।
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